मान-कषाय मीठे जहर की तरह होता है_पंडित पंकज जैन शास्त्री
जैनत्व का महात्म्य" नाटक की हुयी भव्य प्रस्तुति

सर्वार्थसिद्धि संस्था की बालिकाओं ने मोह लिया सबका मन।श्री 1008 भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर, साकेत नगर में जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व, दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की विशेष पूजा आराधना की गई। उत्तम मार्दव धर्म को समझाते हुए डॉक्टर पंकज जैन शास्त्री जी ने कहा कि “मार्दव का अर्थ मृदुता या कोमलता है। आत्मा में कोमलता तब आती है जब मनुष्य अपने अहंकार को छोड़कर विनम्र बनता है। अहंकार को शास्त्रों में मान कषाय कहा गया है। मान कषाय मीठे जहर की तरह होता है। अपने धन, वैभव, बल, शरीर के सौंदर्य आदि पर कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार से मनुष्य की बुद्धि और विवेक नष्ट हो जाता है और वह दूसरों को तुच्छ समझने लगता है। विनम्रता मनुष्य को परिपूर्ण बनाती है और विनम्रता से ही मोक्ष का द्वार खुलता है। धर्म की प्राप्ति विनय से ही होती है।” पर्युषण पर्वाधिराज के द्वितीय दिवस पर मंदिर जी में समाज के पुण्यशाली भाव्यजनों ने पूजन, अभिषेक, शांतिधारा करने का परम सौभाग्य प्राप्त किया वहीं पंडित डॉ पंकज शास्त्री जी द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर सुबह एवं शाम को दशलक्षण धर्म पर बहुत ही सारगर्भित प्रवचन दिए जा रहे हैं।
साकेत नगर स्थित “श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर” में पर्युषण के अवसर पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत
सर्वार्थसिद्धि, भोपाल की बालिकाओं ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए शानदार अभिनय के द्वारा भव्य प्रस्तुति दी। बालिकाओं ने “जैनत्व का महात्म्य” विषय पर सुंदर नाटक प्रस्तुत किया। हेमलता जैन रचना ने बताया कि अभी सर्वार्थसिद्धि का उद्घाटन हुए सिर्फ 3 महीने ही हुए हैं लेकिन इतने कम समय में बालिकाओं का जो व्यक्तित्व निर्माण हो रहा है, वो सच में अदभुत है। रात्रि 11 बजे तक प्रस्तुति ने दर्शकों को बांधे रखा। साकेत नगर जैन मंदिर के अध्यक्ष नरेन्द्र टोंग्या जी ने नाटक के बाद कहा कि मेरा मन अब भी ये मानने को तैयार नहीं है कि 14 जुलाई को मंदिर के इसी हॉल से जिस सर्वार्थसिद्धि का उद्घाटन हुआ था वो इतनी जल्दी इतनी ऊंचाईय़ों को छूने लगेगा। सभी बालिकाओं ने नाटक का बहुत सुंदर और सारगर्भित मंचन किया। इसके साथ ही साकेत नगर जैन मंदिर में प्रवचन हेतु पधारे सांगानेर के विद्वान पंकज जी शास्त्री ने भी कहा कि जिस पवित्र उद्देश्य से यह विद्यालय खुला है उसकी झलक आज हम सबने अपनी आंखों से देखी।
पर्युषण के अवसर पर बाहर से पढ़ने आये विद्यार्थियों के लिए, कामकाजी पुरूष/महिलाओं के लिए या अन्य कोई भी साधर्मी बंधु, जिन्हें पर्व के दौरान शुद्ध भोजन हेतु तकलीफ होती है, उन सभी को ध्यान में रखते हुए श्री 1008 भगवान् महावीर दिगम्बर जैन मन्दीर जी साकेत नगर भोपाल द्वारा इस वर्ष भी 50/- की टोकन राशि पर सुबह 10:30 से 1 बजे तक एवं सांयकाल 5 to 6:15 बजे तक शुद्ध भोजन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया गया है। मंदिर जी की भोजन शाला में आज भी 250 से अधिक लोगों ने शुद्ध भोजन का आनंद लिया। नरेंद्र टोंग्या, शरद जैन, अमिताभ मन्या, सुनील जैन NHDC आदि द्वारा अपने हाथों से भोजन परोस कर खिलाया जा रहा है, इसके साथ ही समाज सेवा की तरफ एक और कदम आगे बढ़ाते हुए, समाज के वृद्धजन जो कि मंदिर आने-जाने में सक्षम नहीं के लिए, मंदिर अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने अपनी तरफ से वाहन की व्यवस्था भी की है।