एआईडीएसओ ने युद्ध के खिलाफ वैश्विक प्रतिरोध का आह्वान किया
शिबासिस प्रहराज, महासचिव, एआईडीएसओ ने प्रेस को निम्नलिखित वक्तव्य जारी किया
जबकि फिलिस्तीन युद्ध की लपटों में लगातार जल रहा हैं, ऐसे में एक नया मोर्चा लापरवाही से खोल दिया गया है—इस बार ईरान के खिलाफ। हाल ही में दिए गए एक बयान में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों पर “सफल हमले” का दावा किया, जो अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का खुला उल्लंघन है और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की चेतावनियों की अवहेलना करता है। यह कोई अपवाद नहीं है—यह एक परिचित पैटर्न का हिस्सा है: जहां कहीं भी युद्ध होता है, वहां अमेरिकी हस्तक्षेप की छाया स्पष्ट दिखाई देती है। इसके साथ ही, इजरायल की निरंतर आक्रामकता ने संघर्ष को और बढ़ा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप ईरान में 400 से अधिक और इजरायल में 30 लोगों की जानें जा चुकी हैं। दुनिया आतंकित होकर देख रही है के किस प्रकार साम्राज्यवादी शक्तियां, विशेष रूप से अमेरिका और उसका सहयोगी इजरायल, मध्य पूर्व को और गहरे संकट में धकेल रहे हैं। ये राष्ट्र युद्ध अर्थव्यवस्था पर फलते-फूलते हैं। अपने देश में, अमेरिका एक गंभीर आर्थिक संकट की चपेट में है। अपने नागरिकों के कल्याण में निवेश करने के बजाय, उसने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती की है और, चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षा विभाग को भंग कर दिया है और अब पूरी तरह से अर्थव्यवस्था के सैन्यीकरण की ओर बढ़ रहा है। युद्ध कहीं भी हो, आम लोगों के लिए एक त्रासदी है। युद्ध अर्थव्यवस्था का मुकाबला केवल लोगों के व्यापक जन उभार से ही किया जा सकता है। अमेरिका और इजरायल के लोग भी अपने सरकारों और उनके नेताओं डोनाल्ड ट्रम्प और बेंजामिन नेतन्याहू की युद्ध भड़काने वाली नीतियों और उनके कदमों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। वे सामाजिक जन कल्याणकारी योजनाओं में की जा रही कटौती के खिलाफ भी अपनी आवाज उठा रहे हैं। यह वह आवाज है जिसे दुनिया को और बढ़ाना चाहिए। इसके विपरीत, भारत ने 14 जून को संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम की मांग वाले मतदान में हिस्सा नहीं लिया। ऐसी चुप्पी सहमति के समान है। युद्ध भड़काने वालों का मुकाबला चुप्पी से नहीं किया जा सकता। इतिहास ने हमें दिखाया है: युद्ध को केवल लोगों के सचेत प्रयासों से ही रोका जा सकता है। एआईडीएसओ यह मानता है, और इसलिए आह्वान करता है कि आज यह समय की मांग है कि हमारे देश के लोग—और वास्तव में, पूरी दुनियाँ के नागरिक, युद्ध पीड़ितों के साथ एकजुटता में खड़े हों, शांति की मांग करें, और अपनी सरकारों पर दबाव डालें कि वे युद्ध-विरोधी रुख अपनाएं। हम पूंजीवाद-साम्राज्यवाद द्वारा उत्पन्न युद्ध और युद्ध अर्थव्यवस्था के खिलाफ लोकतांत्रिक विचारधारा वाले, शांति प्रेमी लोगों के एक शक्तिशाली वैश्विक प्रतिरोध को खड़ा करने का आह्वान करते हैं।