महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुणे लैंड डील विवाद पर फिर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे पार्थ और उनके साझेदार को जमीन के सरकारी होने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस विवादास्पद लेन-देन को रद्द कर चुकी है। जानिए पवार ने इस हाईप्रोफाइल मामले में और क्या कहा?
पुणे के विवादित भूमि सौदे को लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विवादास्पद लेनदेन रद्द कर दिया है। विपक्षी दलों की तरफ से इस्तीफे की मांग और विवाद बढ़ने के बीच शुक्रवार को अजीत पवार ने कहा, उनके बेटे पार्थ और उनके व्यावसायिक साझेदार ने पुणे में जमीन खरीदी। हालांकि, दोनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुणे में उनकी कंपनी जो जमीन खरीद रही है, वह सरकारी संपत्ति है।
विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने पहुंचे पवार ने पत्रकारों को बताया कि सौदे की जांच के लिए सरकार ने समिति गठित की है। इसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर आ जाएगी। इससे पहले सरकार पुणे के इस जमीन सौदे से संबंधित दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द कर चुकी है। अधिकारियों को संबंधित हलफनामा भी सौंपा जा चुका है। डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि इस सौदे में एक भी रुपये का लेन-देन नहीं हुआ है।
पवार ने बताया, संबंधित जमीन सरकारी है। इसे बेचा नहीं जा सकता। पार्थ और उनके साझेदार दिग्विजय पाटिल को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी। पंजीकरण कैसे हुआ? इसका जिम्मेदार कौन है? ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे की अगुवाई में जांच समिति बनाई गई है। वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।’ विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 1,800 करोड़ रुपये है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, उनकी जानकारी के अनुसार, सरकारी अधिकारियों पर पार्थ पवार की कंपनी (अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी) को ज़मीन हस्तांतरित करने का दबाव नहीं डाला गया। इस मामले में दर्ज एफआईआर में तीन लोगों (दिग्विजय पाटिल सहित) का नाम है, लेकिन पार्थ का नाम प्राथमिकी में शामिल नहीं है। उन्होंने खुद भी अधिकारियों से कहा है कि अगर उन्हें उनके रिश्तेदारों से जुड़े किसी अन्य जमीन सौदे में भी कोई अनियमितता मिलती है, तो उन्हें डील रद्द कर कार्रवाई करनी चाहिए।