संभावना गतिविधि में कलाकारों ने दीं काठी और गदली नृत्य की प्रस्तुति

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य,गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आज 08 सितंबर, 2024 को श्री रामदास साकले एवं साथी, खंडवा द्वारा काठी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। काठी नृत्य मध्यप्रदेश के निमाड़ का एक प्रसिद्ध लोकनृत्य-नाट्य है। पार्वती की तपस्या से सम्बन्धित काठी मातृ पूजा का त्यौहार है। नर्तकों का श्रृंगार अनूठा होता है गले से लेकर पैरों तक पहना जाने वाला बागा या बाना, जो लाल चोले का घेरेदार बना होता है। काठी नर्तक कमर में एक खास वाद्य यंत्र ‘ढांक्य’ बांधते हैं, जिसे मासिंग के डण्डे से बजाया जाता है। काठी का प्रारम्भ देव प्रबोधिनी एकादशी से होता है और विश्राम महाशिवरात्रि को।अगले क्रम में श्री दिनेश कास्देकर एवं साथी, बैतूल द्वारा कोरकू जनजाति गदली नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कोरकू नृत्य की वेशभूषा अत्यधिक सादगीयुक्त और सुरूचिपूर्ण होती है। पुरूष सफेद रंग पसंद करते हैं, सिर पर लाल पगड़ी और कलंगी पुरूष नर्तक खास तौर से लगाते हैं। स्त्रियाँ लाल, हरी, नीली, पीली रंग की किनारी वाली साड़ी पहनती है। स्त्री के एक हाथ में चिटकोला तथा दूसरे हाथ में रूमाल और पुरूषों के हाथ में घुंघरूमाला तथा पंछा होता है। कोरकू नृत्यों में ढोलक की प्रमुख भूमिका होती है। ढोलक की लय और ताल पर कोरकू हाथों और पैरों की विभिन्न मुद्राओं को बनाते हुए गोल घेरे में नृत्य करते हैं। गदली नृत्य विवाह आदि के अवसर पर किया जाता है। नृत्य में लोक संगीत बहुत कर्णप्रिय है। पुरुषों की बांसुरी और ढोलक की धुन पर लाल वस्त्र में महिलाएं हाथ में छोटा सा लोक वाद्य चिटकोरा बजाती हुई नृत्य करती हैं। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में प्रति रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।