
मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अधिसूचना जारी हो गई है। अब वहां का प्रशासन राज्यपाल के हाथ में रहेगा। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था। खास बात है कि राष्ट्रपति शासन लगने से पहले मणिपुर में दिसंबर 2024 से लेकर अब तक म्यांमार से लगभग सात हजार लोगों ने प्रवेश किया है। यह प्रवेश 43 एंट्री प्वाइंट के माध्यम से हुआ है। जिन लोगों ने म्यांमार में प्रवेश किया है, वे दस किलोमीटर के दायरे में ही रहेंगे। असम राइफल, लोकल पुलिस और खुफिया एजेंसियों के पास इन लोगों का रिकार्ड मौजूद है। बायोमेट्रिक तरीके से सभी लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। इसके अलावा मणिपुर से असम राइफल की चार यूनिटें, लगभग 48 सौ जवान, जम्मू कश्मीर में तैनात किए गए हैं। गत वर्ष असम राइफल की दो यूनिटों को जम्मू कश्मीर के लिए रवाना किया गया था। पिछले दिनों दो अन्य यूनिटों को वहां भेजे जाने की प्रक्रिया शुरु हुई है।
बता दें कि मणिपुर में घुसपैठियों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने गत वर्ष भारत-म्यामांर के बीच 1610 किलोमीटर लंबे बॉर्डर को सील करने का निर्णय लिया था। बॉर्डर पर हैवी फेंसिंग लगाए जाने की शुरुआत हो गई है। इसके अलावा सीआरपीएफ की दो बटालियनों को मणिपुर में स्थायी तौर पर लगाया है। वहां पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 20000 जवानों की तैनाती की गई है। भारत सरकार ने भारत-म्यांमार सीमा पर पहले से चली आ रही मुक्त आवाजाही व्यवस्था ‘एफएमआर’ को समाप्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की नियमित समीक्षा कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए भारत और म्यांमार में सीमा के दोनों तरफ से लोगों की आवाजाही के नियम कड़े कर दिए हैं। नए नियमों के तहत लोगों की आवाजाही को मुक्त आवागमन व्यवस्था 10 किलोमीटर तक सीमित कर दिया गया है।
एफएमआर के जरिए म्यांमार से वीजा और पासपोर्ट के बिना मणिपुर में प्रवेश करने की सुविधा मिलती है। सीमा के दोनों तरफ रहने वाले लोगों के आपसी, सामाजिक और जातीय संबंधों को ध्यान में रखकर यह प्रावधान शुरु किया गया था। इसके चलते जनजातीय समुदाय के लोगों को सीमा के पार आने की अनुमति प्रदान की गई थी। सीमा पार से आने वाले लोगों के दस्तावेज देखने के बाद ही उन्हें मणिपुर में प्रवेश मिलता है। दस्तावेजों में उनके गांव के प्रमुख की सहमति होना भी जरुरी है। उसके बाद चेक पोस्ट पर उनका बायोमेट्रिक रिकार्ड रखा जाता है। हाथों के अलावा चेहरों की भी पहचान सुरक्षित रखी जाती है। उसे लोकल पुलिस या सुरक्षा एजेंसी के डेटा से मिलान किया जाता है। उसमें यह देखा जाता है कि सीमा पार से आया कोई व्यक्ति किसी तरह के अपराध में तो शामिल नहीं है। सूत्रों के अनुसार, दिसंबर 2024 से लेकर अब तक करीब सात हजार लोगों को भारत में प्रवेश दिया गया है। यह देखा जाता है कि वे लोग दस किलोमीटर के दायरे से बाहर न जाएं। असम राइफल्स द्वारा बॉर्डर पास के लिए कुल 43 निर्दिष्ट क्रॉसिंग पॉइंट स्थापित किए गए हैं।