डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में राम रहीम के खिलाफ दायर मुकदमों पर लगी रोक को हटा दिया है। अब इन मामलों में ट्रायल की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन शामिल थे। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे (रोक) को खत्म कर दिया और राम रहीम को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब देने के लिए कहा है। यह मामला बरगाड़ी में गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी से संबंधित है, जिसमें राम रहीम पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
हाईकोर्ट की रोक
मार्च 2023 में, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन मुकदमों की जांच पर रोक लगा दी थी। हालांकि, पंजाब सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस फैसले से राम रहीम के खिलाफ मामले की सुनवाई की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी, जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
धार्मिक भावनाएं और न्याय की आवश्यकता
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इस संवेदनशील मामले में न्याय होना आवश्यक है, क्योंकि यह धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। सरकार ने बताया कि हाईकोर्ट द्वारा जांच पर रोक लगाने से मामले की सुनवाई बाधित हो रही है, जिससे न्याय प्रक्रिया में देरी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट की रोक को हटा दिया।
आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, अब निचली अदालत में राम रहीम के खिलाफ ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और धार्मिक भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। राम रहीम पहले से ही अन्य मामलों में दोषी हैं, और अब इस नए ट्रायल से उनकी कानूनी परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि राम रहीम के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलेगी। इससे न केवल इस मामले में कानून का राज स्थापित होगा, बल्कि धार्मिक भावनाओं के प्रति भी सम्मान बना रहेगा। अब देखना होगा कि राम रहीम इस नए ट्रायल का सामना कैसे करते हैं और क्या उनकी पूर्व रिहाई की स्थितियों का उन पर कोई असर होता है।