



: नेशनल मखाना बोर्ड की पहली बैठक शुक्रवार को दिल्ली स्थित कृषि भवन में हुई. इसमें केंद्रीय मखाना विकास योजना और नेशनल मखाना बोर्ड के क्रियान्वयन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ की गयी. बैठक में तय हुआ कि देश के तमाम राज्यों की बीज आवश्यकता को इकट्ठा किया जायेगा. इस वर्ष और आगामी वर्ष के लिए गुणवत्ता युक्त बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बिहार के सबौर स्थित कृषि विश्वविद्यालय और अन्य शोध संस्थानों को इसकी जिम्मेवारी दी जायेगी.
राज्य कृषि और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयत तथा एनआरसी मखाना दरभंगा को विभिन्न राज्यों के प्रशिक्षकों (ट्रेनर्स) को मखाना मूल्य श्रृंखला की नवीनतम तकनीकों पर प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी दी गयी. इस दौरान राज्यों तथा अनुसंधान संस्थानों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा हुई.
बोर्ड ने मखाना आधारित आवश्यकता-आधारित अनुसंधान, उन्नत खेती एवं प्रसंस्करण तकनीकों के विकास, ग्रेडिंग, ड्राइंग, पॉपिंग और पैकेजिंग की बुनियादी ढांचे की स्थापना का निर्णय लिया. मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, बाजार संबंध और निर्यात अवसरों को मजबूत करने की बात कही गयी. मखाना उत्पादन बढ़ाने, तकनीक हस्तांतरण, बाजार विस्तार, सब्सिडी प्रावधान, स्टार्टअप एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने से संबंधित निर्णय लिये गये. इससे किसानों और नये उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा.
केंद्र सरकार की ओर से इस साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की औपचारिक शुरुआत की गयी. मखाना क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने 476.03 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक संचालित होने वाली केंद्रीय मखाना विकास योजना को मंजूरी दी है. इस योजना से अनुसंधान, बीज उत्पादन, किसानों की क्षमता-वृद्धि, कटाई और प्रसंस्करण तकनीक, मूल्य संवर्धन, मार्केटिंग एवं निर्यात को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा.