कथा प्रसंगों को जीवन में उतारने से दोनों लोक सुखी होते हैं-पं व्यास



भोपाल| मानव जीवन में सबसे बड़ा सुख परिवार का है कली काल में संयुक्त परिवार का परित्याग कर हम एकांकी जीवन को ज्यादा महत्व दे रहे हैं जिसके परिणाम अब बहुत दुखद आ रहे हैं शिव परिवार में रहने वाले समस्त जीव पूरी तरह एक दूसरे के विरोधी थे लेकिन उनमें कभी तकरार नहीं हुई शिव परिवार से सबसे बड़ी शिक्षा हमें यही मिलती है, सुखी जीवन के लिए सिर्फ कथा श्रवण करना अथवा कराना पर्याप्त नहीं है बल्कि कथा प्रसंगों को अपने जीवन में उतारकर किए गए सद्मार्गी एवं परमार्थी कार्यों से लोक एवं परलोक दोनों में सुख प्राप्त किया जा सकता है|
उक्त उद्गार आज अयोध्या नगर में चल रही शिवमहापुराण कथा के तृतीय दिवस पंडित रमाकांत व्यास ने व्यक्त किए |उन्होंने पार्थिव पूजन का महत्व बताते हुए कहा कि यह संपूर्ण मनोरथों को पूर्ण करने वाला है और इसे कोई भी कर सकता है कथा स्थल पर सायंकाल बालाजी सरकार की भजन संध्या पंडित सुधीर व्यास इंदौर के द्वारा एवं छप्पन भोग का आयोजन भी संपन्न हुआ| इस अवसर पर यजमान सुनील अशोक गुप्ता दिनेश,सुबोध बालाजी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे|
