अध्यात्ममध्य प्रदेश

माया को समझने से ज्ञान स्वत प्रकट हो जाता है और जब संतों की अनुकूलता होती है तो जीवन में भक्ति प्रकट होती है भक्ति प्रकट होने का लक्षण है जब हम भगवान का गुणगान सुने तो तन पुलकित और नेत्र सजल हो जाएं

जंबूरी मैदान में सकल समाज वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति द्वारा आयोजित संगीतमय श्री राम कथा महोत्सव के आठवें दिन अंतर्राष्ट्रीय संत पंडित मुरलीधर महाराज ने कहा कि शबरी प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संसार में कथा-श्रवण से बढ़कर कोई साधन नहीं है। “भक्ति का पहला लक्षण यही है कथा श्रवण से बढ़कर संसार में कुछ भी श्रेष्ठ नहीं है।

राम कथा के पंचवटी आश्रम राम लक्ष्मण संवाद में महाराज ने कहा कि मनुष्य माया-रूपी संसार में उलझा रहता है और संसारी विषयों में आसक्ति का कारण है। “जब विषय-आसक्ति छूट जाती है, तब ही जीव माया से मुक्त होकर भगवान को पहचान पाता है,” क्योंकि जब माया का आवरण हटता है तभी ईश्वर का साक्षात्कार संभव होता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि ईश्वर और जीव के बीच केवल माया खड़ी है, और जब जीव माया को भेद देता है तब कृपा से दर्शन और साक्षात्कार होता है।
जीव ईश्वर का अंश है, और जब माया का बोध हो जाता है तो ज्ञान-सत्ता प्रकट हो जाती है। कि जब भगवान का गुणगान सुना जाए तो तन पुलकित हो उठे और नेत्र सजल हो जाएं,” उन्होंने कहा।

मुरलीधर महाराज ने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि धन, विद्या और बल होते हुए भी यदि विनम्रता व भक्ति न हो तो कृपा-दृष्टि नहीं मिलती।
राम—सुग्रीव मिलन प्रसंग में उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में सती और सुग्रीव दोनों को भगवान के दर्शन हुए, परंतु सती ने अपनी दृष्टि से देखा और पहचान न सकीं, जबकि सुग्रीव ने हनुमान जैसे सद्गुरु की दृष्टि से भगवान को पहचाना। “इसीलिए संत और सतगुरु ही जीव को भगवान तक पहुँचाते हैं,” संत , सतगुरु की दृष्टि से ही भगवान के सच्चे ज्ञान का उद्घाटन होता है,

 

राम सुग्रीव मिलन प्रसंग में मुरलीधर महाराज संत–भिखारी की स्थिति का सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों के पास संसाधन कम होते हैं, परंतु संत अभाव में भी आनंद में रहते हैं, जबकि भिखारी अभाव के भाव में जीता है। संत का जीवन भाव से समृद्ध होता है, इसलिए वह सदैव मौज में रहता है। मुरलीधर महाराज ने कहा कि जीवन की गाड़ी यदि निरंतर चलती रहे तो उसमें विवेक का प्रकाश और सत्संग का सहारा होना अनिवार्य है। “सत्संग जीवन को स्थिरता देता है, और विवेक उसे दिशा देता है,” उन्होंने कहा।

श्री राम कथा महोत्सव में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचकर प्रवचनों और भक्ति संगीत का आनंद ले रहे हैं।
रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया ,,,,, मेरी झोपड़ी के भाग्य आज खुल जाएंगे,,,, वाह वाह मौज फकीरा री,,,,,जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले,,,जैसे संगीतमय भजनों को सुनकर श्रोता मगन होकर नृत्य करने लगे

आठवें दिन भी कथा स्थल पर अत्यधिक भीड़ देखने को मिली। विशाल पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा और कई लोग पंडाल से बाहर बैठकर कथा का श्रवण करते रहे।

प्रवक्ता बलवंत सिंह रघुवंशी एवं हरीश बाथवी ने बताया कि यह आयोजन समाज में धार्मिक मूल्यों, संस्कारों और सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार के उद्देश्य से प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है।
श्रीराम कथा महोत्सव में प्रतिदिन बड़ी संख्या में राम भक्त श्रद्धालु उपस्थित हो रहे ।
कल विराम दिवस कथा का समय प्रातः 9.30 से 1.30 बजे तक रहेगा,कथा उपरांत कथा स्थल पर ही विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है आज कथा श्रवण करने बालों में श्रीमती कृष्णा गौर मंत्री मध्य प्रदेश सरकार, श्रीमती विभा पटेल पूर्व प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष, पार्षद मधु संजय शिवनानी, के एल शर्मा अध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा नेता प्रज्ञा शुक्ला,वीरेन्द्र त्रिपाठी, नवीन गुर्जर, कथा संयोजक श्री रमेश /भगवती रघुवंशी, मुकेश /दर्शना शर्मा, राधेलाल शर्मा/ श्रीमती दया शर्मा,हीरालाल /रीना गुर्जर, गोविन्द/ वंदना पालीवाल मोर सिंह मधु राजपूत पदम सिंह जाट, जयप्रकाश/ ममता नामदेव, राघव जी, भाजपा नेता नवीन गुर्जर , महेश मालवीय,भरत साहू, कुबेर पाण्डेय अनिल अग्रवाल, ललित विभा पाण्डेय, अनीता दुबे, बृजेश रघुवंशी मनोज गुप्ता हरिद्वार सतीश कुमार, बद्री प्रसाद शर्मा एवं चंद्र मोहन गोयल रायसेन, संतोष साहू जयप्रकाश मालवीय, दिनेश साहू, विजय कुमार दुबे, राकेश रघुवंशी वीरेन्द्र रघुवंशी, रीना, गोकुल कुशवाहा सुधीर सोनी, संरक्षक सर्वश्री विजय माहेश्वरी, श्याम सुन्दर रघुवंशी,

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button