अध्यात्ममध्य प्रदेश

बिल्व पत्र पर ऊं नमः शिवाय मंत्र चढ़ाने से होता है बंचित फल की प्राप्ति: पं0सुशील

(मिट्टी के शिवलिंग की धान्य एवं पुष्प से संख्यात्मक पूजा)

आज यज्ञशाला के ऊपर बैठकर कबूतर ने पूरी कथा सुनी है ।

भोपाल, 23 ​​जुलाई. श्री शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट में आयोजित श्री शिवमहापुराण की कथा के दूसरे दिवस कथावाचक पं०सुशील महाराज ने आज भोले शिव की बीलपत्र एवं धान्य तथा पुष्प से संख्यात्मक पूजा की विधि श्री शिवमहापुराण में बर्णित प्रमाण के अनुसार श्रोताओं को बताई है।आचार्य श्री ने बताया है कि बीलपत्र के तीनों पत्तों पर “ऊं नम:शिवाय ” लिखकर की गई पूजा सर्वोत्तम पूजा होती है । सबसे ऊपर के पत्ते पर अष्टगंध अथवा चंदन से “ऊं” लिखें।नीचे वाम भाग पत्ते पर नम:लिखें । दाहिने पत्ते पर शिवाय लिखकर भोले शिव को अर्पण करें । क्योंकि श्रष्टि निर्माण के समय यह “ऊं एवं नम: शिवाय मंत्र स्तम्भ लिंग से प्रकट हुआ था ।यह भोले शिव का बैधानिक पौराणिक मूलमंत्र है ।” श्री शिवाय नमस्तुभ्यं ” यह पुराण में श्लोक के रूप में स्तुति है।यह भोले शिव का मूलमंत्र(बिजमंत्र) कदापि नहीं है ।क्योकि “श्री” शब्द मां लक्ष्मी के लिए प्रयुक्त किया जाता है। मां लक्ष्मी श्री बिष्णु की पत्नी है।इसलिए श्री शिवाय नमस्तुभ्यं को भोले शिव एवं मां लक्ष्मी का एकसाथ स्तुति मंत्र माना गया है ।पौराणिक प्रमाण के अनुसार भोले शिव का मूलमंत्र “ऊं” है।
ऊं नमः शिवाय के सवा लाख जाप करने पर यह मंत्र सकारात्मक परिणाम देना शुरु कर देता है। फिर जितना जाप करोगे । उतना हि फल मिलता है। सवा लाख जाप के अभाव में अन्न के सवा लाख दाने गिनकर अथवा मान्य किया गया बजन अखण्डित 7 सेर गेंहू,चावल, मूंग आदि धान्य भोले शिव पर चढाने से भोले शिव प्रशन्न होते हैं । और भक्त के घर में धन का भण्डार भरते हैं । बांछित फल प्रदान करते हैं ।
सिद्धाश्रम में दण्डी स्वामी परमात्माश्रम महाराज के सानिध्य में आचार्य पं0 लोचन शास्त्री द्वारा पार्थिव शिवलिंग पूजा संपन्न करवाई गई।
(पं०सुशील महाराज)
शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट, भोपाल

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