
पैंगोंग झील के पास चीन का नया एयर डिफेंस साइट तैयार कर रहा है. सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कमांड सेंटर, मिसाइल प्रक्षेपण सुविधा और रणनीतिक महत्व. जानिए क्यों 2020 गलवान संघर्ष के बाद यह भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है.
भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से तनाव थोड़ा कम हुआ था. 9 नवंबर से शंघाई से दिल्ली के लिए उड़ानें फिर से शुरू हुईं और लोगों को लगा कि शायद दोनों देशों के बीच रिश्ते धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने इस उम्मीद पर सवाल खड़े कर दिए हैं. फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पैंगोंग झील के पास एक सीक्रेट रक्षा स्थल बना रहा है. यह वही इलाका है, जहां 2020 में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने आए थे. इस कदम से साफ होता है कि चीन सीमा पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, और वह ऐसे समय में यह कर रहा है जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य और स्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं.
सैटेलाइट फोटो से पता चला
फर्स्टपोस्ट के अनुसार, इंडिया टुडे की OSINT शाखा और अमेरिका की स्पेस इंटेलिजेंस कंपनी वैंटोर के सैटेलाइट फोटो दिखाते हैं कि पैंगोंग झील के पूर्वी तट के आसपास कमांड और कंट्रोल भवन, सैनिकों के लिए बैरक, वाहन शेड, गोला-बारूद भंडारण और रडार स्थितियां बन रही हैं. विशेष बात यह है कि यहां कई ढकी हुई मिसाइल लॉन्च सुविधाएं भी हैं. इनकी छतें पीछे हटने योग्य हैं और ये टीईएल (Transporter Erector Launcher) वाहनों को रखने के लिए बनाई गई हैं. टीईएल वाहन मिसाइलों को ले जाते हैं, तैयार करते हैं और लॉन्च करते हैं.
2020 गलवान संघर्ष के संदर्भ में क्यों है यह स्थल महत्वपूर्ण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह साइट दो-दो टीईएल वाहनों को रख सकती है, जिससे मिसाइलें प्रक्षेपण के समय छिपी और तेजी से इस्तेमाल योग्य रहेंगी. अमेरिका की भू-स्थानिक खुफिया कंपनी ऑलसोर्स एनालिसिस के विशेषज्ञों का मानना है कि ये स्थल लंबी दूरी की एचक्यू-9 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली से लैस हो सकता है. यह रूस के एस-300 सिस्टम जैसा है, जिसमें परिष्कृत रडार ट्रैकिंग और मार्गदर्शन क्षमता है. पैंगोंग झील के पश्चिम में स्थित इस सुविधा का कुछ हिस्सा अभी भी निर्माणाधीन है.
यह नया केंद्र कहां है
यह नया केंद्र वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 65 किलोमीटर दूर, गार काउंटी में, न्योमा एयरपोर्ट के ठीक सामने स्थित है. मुध हवाई अड्डा 13,710 फीट की ऊंचाई पर है और इसे दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक माना जाता है. सीमा सड़क संगठन (BRO) ने हाल ही में इस हवाई अड्डे को 230 करोड़ रुपये की लागत से अपग्रेड किया है.



