मध्य प्रदेश

सामुदायिक पोषण वाटिका महिलाओं की आत्मनिर्भरता और पोषण सुरक्षा की नई पहल

राज्‍य स्‍तरीय एक दिवसीय कार्यशाला संपन्‍न

भोपाल, 21 मार्च 2025: मध्य प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण सुरक्षा और आजीविका सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक पोषण वाटिका (CNG) पहल को व्यापक स्तर पर अपनाया जा रहा है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भोपाल के अरेरा हिल्‍स स्थित विकास भवन सभागार में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), GIZ और प्रदान संस्था के सहयोग से आयोजित की गई, जिसमें 450 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में विभिन्‍न जिलों के ग्राम पंचायतों के महिला स्‍व-सहायता समूह (SHG) के सदस्‍य, ग्राम रोजगार सहायक (GRS), सरपंच, जिला एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और बड़ी सख्‍या में अधिकारी/कर्मचारी शामिल रहे हैं। कार्यशाला का शुभारंभ प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्रीमती दीपाली रस्तोगी, मध्‍यप्रदेश राज्‍य रोजगार गारंटी परिषद के आयुक्‍त श्री अवि प्रसाद के द्वारा दीप प्रज्‍वलित कर की गई। इस दौरान समुदायिक पोषण वाटिका पर आधारित ई-लर्निंग मॉड्यूल और ज्ञान पुस्तिका का लोकार्पण किया गया, इस पहल से पोषण सुरक्षा और आजीविका सशक्तिकरण को और मजबूती मिलेगी। इस अवसर पर आयुक्‍त मनरेगा श्री अवि प्रसाद ने कहा की हमें अपने सोच को बदलना होगा। हमें अपनी योजनाओं के अंतर्गत जिन महिला किसानों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए जो परिसंपत्तियां निर्माण की है, उन महिलाओं को सशक्‍त करना है, और उनके पसीने का सही मूल्‍य दिलाना है।

कार्यशाला के दौरान GIZ इंडिया के डिप्‍टी प्रोजेक्‍ट डॉयरेक्‍टर श्री तपन गोपे ने ब‍ताया कि 2019 से अब तक 1,000 से अधिक सामुदायिक पोषण वाटिकाएँ स्थापित की गई हैं, जिससे लगभग 30,000 SHG महिलाएँ लाभान्वित हुई हैं। महिला किसानों द्वारा संचालित ये पोषण वाटिकाएँ स्थानीय खाद्य सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
कार्यशाला में “स्टोरीज फ्रॉम ग्राउंड” सत्र विशेष आकर्षण रहा, जिसमें रीवा जिले के सिमरिया गाँव की स्‍व-सहायता समूह की सदस्य श्रीमती सुनीता कुशवाहा ने अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे पंचायत की सहायता से सामुदायिक पोषण वाटिका योजना से जुड़कर उन्होंने अपने परिवार और गाँव में पोषण स्तर को सुधारने में योगदान दिया।

मध्य प्रदेश, जो कृषि में अग्रणी होने के बावजूद कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है, के लिए सामुदायिक पोषण वाटिका मॉडल एक समाधान के रूप में उभर रहा है। इस पहल के माध्यम से महिला किसानों के नेतृत्व में पारिस्थितिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर गाँवों में कुपोषण दूर किया जा सकता है।

जब महिलाएं जमीन और श्रम का नेतृत्व करती हैं, तो वे अपनी आजीविका सुधारती हैं और समृद्धि की नींव भी रखती हैं-सुश्री अर्चना

प्रदान संस्‍था की इंट्रीग्रेटर सुश्री अर्चना ने कहा, “जब महिलाएं अपनी जमीन और श्रम का नेतृत्व करती हैं, तो वे न केवल अपनी आजीविका सुधारती हैं, बल्कि पूरे गाँव की सेहत और समृद्धि की नींव भी रखती हैं।”अपने विशेष संबोधन में मध्य प्रदेश आजीविका मिशन की सीईओ, श्रीमती हर्षिका सिंह ने सामुदायिक पोषण वाटिका पहल को आगे बढ़ाने पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पानी की प्रभावी व्यवस्था और सामूहिक प्रयासों को एक व्‍यवसाय की तरह विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे यह पहल सतत और व्यापक रूप से प्रभावी बन सके।इस कार्यशाला में जिला पंचायत मण्‍डला एवं बैतूल, नरसिंहपुर के मुख्‍य कार्यपालन अधिकारियों ने अपने जिलों में सामुदायिक पोषण वाटिका के प्रभाव पर चर्चा की एवं जिला मंडला, बैतूल, रायसेन और सिंगरौली के जनपद पंचायत के मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी, अतिरिक्‍त कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्‍व-सहायता की महिला किसानों द्वारा सफलता की कहानियाँ साझा कीं। सरकार और नागरिक संगठनों की भागीदारी से इस पहल को हर गाँव तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। सामुदायिक पोषण वाटिका न केवल महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ा रही है, बल्कि गाँवों में पोषण सुरक्षा को भी मजबूत कर रही है।

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