अध्यात्ममध्य प्रदेश

युवा अवस्था में भजन-पूजन से चेतना का निर्माण होता है : नीरज नयन महाराज

राजीव नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उमड़ा भक्तों का सैलाव

भोपाल। युवास्था में भजन पूजन से ही वृद्धावस्था में भजन चेतना का निर्माण होता है। सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वह बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा कर सकें, गो सेवा, साधु की सेवा कर सकें। यह उपदेश वृंदावन से पधारे कथा वाचक नीरज नयन महाराज ने राजीव नगर ए सेक्टर में चल रही श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन की कथा में भक्तों को रसपान कराते हुए कहे। नीरज महाराज ने ध्रुव चरित्र, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिह अवतार प्रसंग पर कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि हिरना कश्यप सबको आदेश दे रहा है कि भक्त प्रह्लाद को खत्म करो, भस्म करो। लकड़ियों के चारों तरफ जल्लाद खड़े कर दिए गए। इस दौरान जब आग का भयानक जलवा हुआ, तब भक्त प्रहलाद ने इतना ही कहा अच्छा भगवान, अच्छा मेरे राम तेरी मर्जी और भक्त प्रह्लाद बच गए। नरसिह अवतार में हिरना कश्यप को मार कर भक्त प्रह्लाद को बचाया। भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। जीवन में त्याग की महत्ता के माध्यम से गरीब ,पशु पक्षियों और जरूरतमंदों की सेवा करना चाहिए। वासना के वस्त्र को उतारकर भक्ति का वस्त्र पहनना है। महाराज जी ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा के साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं । समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता । महाराज श्री ने बताया कि जिसके अंदर के दानव जीत गया उसका जीवन दु:खी, परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा । इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी न•ार रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए।

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