क्रेडाई का सटीक सवाल: दरों का आधार डेटा है या अटकलबाज़ी?
भोपाल संभाग में गाइडलाइन दरों को लेकर विवाद गहराया,नीति-निर्माताओं से संतुलित रणनीति की मांग

राजधानी भोपाल सहित मध्यप्रदेश में वर्ष 2009 से हर साल की जा रही गाइडलाइन दरों की वृद्धि पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष मनोज सिंह ‘मीक’ ने सरकार से मांग की है कि सर्किल रेट निर्धारण के पीछे डेटा आधारित पारदर्शिता और व्यवहारिकता सुनिश्चित की जाए, ताकि रियल एस्टेट सेक्टर में स्थिरता, निवेश और राजस्व – तीनों का संतुलन बना रहे।गुजरात मॉडल का हवाला देते हुए मीक ने कहा कि “जहाँ गुजरात ने 2011 से 2023 तक गाइडलाइन दरें स्थिर रखकर पूंजी और निवेश को आकर्षित किया, वहीं मध्यप्रदेश में हर साल रेट और उपबंधों की बढ़ोतरी से बाजार अस्थिर हुआ है।”क्रेडाई सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने सुबह महानिरीक्षक पंजीयन अमित तोमर के साथ बैठक की, लगभग एक घंटा चली बैठक में जिला पंजीयन अधिकारियों भी उपस्थित रहे। क्रेडाई ने अपने स्टैंड पर क़ायम रहीं तथा सिलसिलेवार बाजार के तथ्यों समेत दूसरे राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेस से अधिकारियों को अवगत कराया। राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने के अपने प्रस्ताव को दोहराया। भोपाल के सक्रिय संगठनों से सुनील जैन 501 वरिष्ठ उपाध्यक्ष भोपाल चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स, सुनील अग्रवाल संयुक्त अध्यक्ष कैट, सावन्त उप्रेती सीआइआई, दीपक खरे अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन. डॉ. संजय गुप्ता नर्सिंग होम एसोसिएशन ने क्रेडाई के साथ मिलकर समाधान के इस प्रयास में हिस्सा लिया।
मनोज मीक का वक्तव्य:
“असमान्य वृद्धि का यह मॉडल अनुमान को आंकड़ों पर और उपबंधों को वास्तविकता पर हावी कर रहा है जो न विकास व निवेश के अनुकूल है, न जनहित के। यदि हम निवेश और रोजगार चाहते हैं, तो सर्किल रेट नीति में पारदर्शी डेटा, ज़मीनी हकीकत और व्यवसायिक दृष्टिकोण अनिवार्य हैं। क्रेडाई का पुनः आग्रह है कि डेटा उपलब्ध करायें, सभी दरें स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा पुनः मूल्यांकित हों, और जब तक रिपोर्ट ना आए, किसी भी वृद्धि पर रोक लगे।”
संतुलित नीति की अपील:
क्रेडाई ने स्पष्ट किया कि गाइडलाइन नीति यदि असंतुलित रही, तो हाउसिंग फॉर ऑल मिशन जैसे राष्ट्रीय अभियान और शहरी निवेश दोनों प्रभावित होंगे। इसलिए अब ज़रूरत है – नीतियों में विज्ञान, डेटा और संवाद की।