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आचरण की प्रयोगशाला हैं दशलक्षण पर्व- पंडित पंकज शास्त्री

आचरण की प्रयोगशाला हैं दशलक्षण पर्व- पंडित पंकज शास्त्री

क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है

दिगंबर जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पर्व दशलक्षण पर्व है। भाद्र मास में मनाए जाने वाले इस पर्व में भगवान की विशेष पूजा आराधना के साथ-साथ आत्मा के क्षमा, मृदुता, सरलता एवं शुचिता आदि गुणों की विशेष साधना की जाती है। मंदिरों में जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ तत्वार्थ सूत्र का स्वाध्याय किया जाता है। दशलक्षण पर्व के प्रथम दिवस उत्तम क्षमा धर्म के अवसर पर जैन धर्म के विद्वान डॉक्टर पंकज शास्त्री जी ने कहा कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यह मनुष्य के शरीर और आत्मा दोनों का पतन करता है इसलिए इसे छोड़कर सभी को उत्तम क्षमा धारण करनी चाहिए। सभी प्राणियों से प्रेम और मैत्री की भावना रखने से ही स्वयं के भीतर के परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। साकेत नगर स्थित “श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर” में पर्युषण के अवसर पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों के ज्ञानवर्धन हेतु “बूझो कौन” प्रतियोगिता के साथ सर्वार्थ सिद्धि की छात्राओं द्वारा “दशलक्षण धर्म” नाटक का मंचन किया जायेगा।

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