मध्य प्रदेश

सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत “एक कदम अपनी ओर” थीम पर नुक्कड़ नाटक एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन*

भोपाल। सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में मनोविज्ञान विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सप्ताह का प्रमुख आकर्षण “*एक कदम अपनी ओर” थीम पर आधारित **नुक्कड़ नाटक* एवं *कला प्रदर्शनी* रहा, जिसका उद्देश्य समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने हेतु सकारात्मक संदेश देना था।नुक्कड़ नाटक में स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्राओं ने अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उन्होंने अभिनय के माध्यम से यह बताया कि मानसिक उलझनों, तनाव या अवसाद की स्थिति में काउंसलिंग लेना किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजगता का प्रतीक है। छात्राओं ने संदेश दिया कि जिस प्रकार शारीरिक बीमारी में डॉक्टर के पास जाना सामान्य है, उसी प्रकार मानसिक पीड़ा या द्वंद्व की स्थिति में मनोवैज्ञानिक या नैदानिक मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेना भी आवश्यक है।नाटक में यह भी दर्शाया गया कि माता-पिता को अपने बच्चों की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए और अपनी अपूर्ण आकांक्षाओं को उन पर थोपने से बचना चाहिए। प्रतिभागियों ने दर्शकों को समझाया कि आज की युवा पीढ़ी प्रतिस्पर्धा और अपेक्षाओं के बोझ से तनावग्रस्त हो रही है, जिसके चलते कभी-कभी वे आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने को विवश हो जाते हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, प्राणायाम, डायरी लेखन और सकारात्मक चिंतन जैसी गतिविधियाँ अत्यंत उपयोगी हैं।कार्यक्रम के अंतर्गत छात्राओं एवं विभाग के समस्त फैकल्टी सदस्यों द्वारा *मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता रैली* भी निकाली गई। रैली के दौरान “*नित्य योग-प्राणायाम करेंगे, अपनी प्रतिभा प्रखर करेंगे”, “उचित नींद, उचित आहार—इस पर करो विचार*” जैसे प्रेरक नारे लगाए गए।मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत आयोजित *कला प्रदर्शनी* में “मानसिक स्वास्थ्य और आहार”, “योग और मानसिक स्वास्थ्य”, “सकारात्मक चिंतन और मानसिक संतुलन” जैसे विषयों पर छात्राओं ने आकर्षक पोस्टर बनाकर जागरूकता फैलाने का कार्य किया। प्रदर्शनी का उद्देश्य इस वर्ष की *विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस* की थीम— “मानसिक पीड़ा में मानसिक सेवाओं तक आम लोगों की पहुंच”—को समाज तक पहुँचाना था।कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य *डॉ. दीप्ति श्रीवास्तव* ने किया। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि दैनिक जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं के प्रति हमारा दृष्टिकोण ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। उन्होंने सकारात्मक सोच, आत्म-जागरूकता और आत्म-संवाद के महत्व पर विशेष बल दिया।इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के संयोजक *डॉ. पी. के. खरे* उपस्थित रहे। नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में *डॉ. संजना शर्मा, **डॉ. सीमा रजा* एवं *डॉ. लक्ष्मी अग्निहोत्री* ने भूमिका निभाई। वहीं कला प्रदर्शनी एवं पोस्टर प्रतियोगिता में *डॉ. अपर्णा अनिल* एवं *डॉ. रामायण पटेल* निर्णायक रहे।पूरे कार्यक्रम के दौरान विभाग के सदस्य *डॉ. रजनी राय* एवं काउंसलर *सुश्री मोक्षी शर्मा* उपस्थित रहे।कार्यक्रम का सफल संचालन मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष *डॉ. संतोष रलावनिया* के निर्देशन में हुआ। उन्होंने अंत में प्राचार्य, निर्णायकों, अतिथियों तथा सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “मानसिक स्वास्थ्य केवल मनोवैज्ञानिक विषय नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के जीवन की मूलभूत आवश्यकता है—और इस दिशा में विभाग का उद्देश्य समाज में जागरूकता लाना है।”

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