किसी भी परिस्थिति में भगवत भजन को नहीं भूलें- प्राची देवी
भोपाल |भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत में अपना विराट स्वरूप का दर्शन कराते हुए प्राणी मात्र को यह संदेश दिया कि मैं जितना सूक्ष्म हूं उतना विराट भी इसलिए संसार में आए प्रत्येक मानव को “कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषू कदाचना” का मूल मंत्र अपनाते हुए अपने कर्म करते रहना चाहिए|
दशहरा मैदान विट्ठल मार्केट में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवाहक प्राची देवी ने कहा कि मानव को फल की चिंता किए बगैर कर्म करते रहना चाहिए किसी को भी अक्रमण्य नहीं कार्यशील होना चाहिए| भागवत भजन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा की एकमात्र भक्त माता कुंती हैं जिन्होंने भगवान से वरदान में दुख: मांगते हुए कहा कि भगवान में सुख में रहूंगी तो आपको भूल जाऊंगी लेकिन दुख में आप सदा मेरे साथ रहेंगे इसलिए हर परिस्थिति में प्राणी मात्र को भागवत भजन नहीं छोड़ना चाहिए|
पूज्य प्राची देवी ने कहा कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती राजा उत्पानुपाद के पुत्र ध्रुव ने अपनी माता से ज्ञान प्राप्त कर मात्र 5 वर्ष की उम्र में ही भगवान को प्राप्त कर परम पद पा लिया था|आज वृषभान की दुलारी राधा जी के प्रकोटत्सव के अवसर पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बधाई गीत भी गाए |कथा के प्रारंभ में व्यास पीठ का पूजन स्वदेश सरोज सोनी, प्रभात सोनी, प्रदीप मिलन, प्रमोद नेमा आदि ने किया|