भारतीय ग्लव्स इंडस्ट्री को है गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के लागू होने का इंतज़ार
औपचारिक तौर पर अधिसूचना जारी नहीं होने से नियमों के उल्लंघन और अवैध तरीके से डंपिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं

औपचारिक तौर पर अधिसूचना जारी नहीं होने से नियमों के उल्लंघन और अवैध तरीके से डंपिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं
• विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ 22-02-2025 को QCO अपलोड किया गया
• इस इंडस्ट्री को भारी नुकसान का सामना करने के साथ-साथ अपना वजूद बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है
National, 21st May 2025: भारत में ग्लव्स बनाने वाली कंपनियां अब मेडिकल एवं सर्जिकल ग्लव्स (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश (QCO) को जल्द-से-जल्द लागू किए जाने की मांग कर रही है, और यह बात सार्वजनिक डोमेन में है कि इसे व्यापार में तकनीकी बाधाएं (TBT) समझौते के तहत विश्व व्यापार संगठन (WTO) को प्रस्तुत किए जाने के बाद से 60 दिन से अधिक का समय हो चुका है। QCO को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसके तहत सभी प्रकार के आयातित और देश में बने मेडिकल एवं सर्जिकल ग्लव्स के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य हो गया है।
उद्योग जगत सरकार की ओर से आम जनता के स्वास्थ्य की हिफाजत और घरेलू ग्लव्स इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए इस निर्णायक कदम का स्वागत करता है, लेकिन इसे लागू करने में हो रही देरी से संबंधित पक्षों की चिंता बढ़ती जा रही है।
इंडियन रबर ग्लव्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IRGMA) के सचिव, श्री मनमोहन गुलाटी ने कहा, “WTO की 60 दिनों की परामर्श अवधि अब पूरी हो चुकी है, जिसमें सदस्य देश और सभी संबंधित पक्ष अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे सकते थे। हालाँकि, औपचारिक तौर पर अधिसूचना जारी नहीं होने से नियमों के उल्लंघन और अवैध तरीके से डंपिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।”
इस बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए, श्री के. अनिंदिथ रेड्डी, मैनेजिंग डायरेक्टर, एनलिवा- वाडी सर्जिकल्स, ने कहा कि, “QCO को औपचारिक तौर पर लागू किया जाना सचमुच घरेलू निर्माताओं के लिए एक बड़ी सफलता होगी, जो घटिया गुणवत्ता वाले और नियमों को अनदेखा करने वाले ग्लव्स की बाढ़ का मुकाबला करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। QCO की अधिसूचना जारी होने के साथ ही, BIS प्रमाणन नहीं लेने वाले ग्लव्स के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पाबंदी लग जाएगी। QCO का समय पर लागू होना सिर्फ गुणवत्ता वाले आयात की रोकथाम के लिए ही नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धा को निष्पक्ष बनाकर और उच्च गुणवत्ता वाले घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करने के लिए भी बेहद जरूरी है।”
QCO एक बड़ी खामी को दूर करने के लिए तैयार है, जिसका फायदा अवैध और घटिया ग्लव्स के आयात के ज़रिए उठाया जा रहा था। अब इसके तहत आयातित और घरेलू, दोनों तरह के सभी ग्लव्स पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और ISI प्रमाणन का कड़ाई से पालन अनिवार्य किया जाएगा। उद्योग का अनुमान है कि, नया QCO ऐसे अवैध उत्पादों के सालाना ₹450-500 करोड़ के औसत आयात पर सीधा असर डालेगा, जिससे भारतीय बाजार में सिर्फ सुरक्षित और प्रमाणित दस्तानों का प्रवेश सुनिश्चित होगा। उद्योग इस नियमन का समर्थन करता है, फिर भी उसे अंतिम अधिसूचना जारी होने और इसे लागू करने की प्रक्रिया का बेसब्री से इंतज़ार है। खराब गुणवत्ता वाले मेडिकल ग्लव्स से आम लोगों की सेहत को होने वाले संभावित खतरों से बचाने के लिए, भारतीय ग्लव्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री QCO को समय पर लागू करने का अनुरोध करती है।