सोयाबीन खरीदी में सख्त की पॉलिसी नहीं होने से कहीं वेयरहाउस विभाग भी ना बन जाए तिलहन संघ ?
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की सोयबिन की फसल को समर्थन मूल्य पर 25 अक्टूबर से खरीदना प्रारंभ कर रही है इससे कही ना कहीं किसानों उम्मीद जगी है लेकिन सरकार ने आज दिनांक तक भंडारण की पालिसी ओर लॉस गेन के कोई मापदंड निर्धारित नही किए है जिससे वेयरहाउस विभाग एवं संबंधित गोदाम संचालको को भविष्य की चिंता सताने लगी है क्योकि अन्य फसल की तरह सोयबिन में भंडारण के कोई मानक तय नही है चूंकि सोयाबीन खरीफ की फसल होने के साथ ही दलहन / तिलहन फसल होने से सोयबिन में 5-8 % तक सुखत / शॉर्टेज / कमी आती है जो भंडारण एजेंसी के लिए चिंता का विषय है. सोयाबीन के भंडारण के संबंध में यह तथ्य जानना जरूरी है-
1. यह सही है कि FAQ मापदंडों में सोयाबीन की आवक के समय अधिकतम नमी 12% रखी गई है, परन्तु प्रशासन / राजनेतिक दबाव में समितियां 14 से 16% तक की नमी की सोयबीन खरीदेंगी, जिसे प्रशासन के दबाव से शासन के गोदामों में जमा कराया जावेगा, जैसा हमेशा होता है।
2. जबकि भुगतान के समय सोयाबीन में 8 से 10 परसेंट की नमी रहेगी परिणामस्वरूप प्रति क्विंटल 4-5 किलो तक की घटती/कमी आएगी . इसका तात्पर्य यह हुआ कि प्रति कुंटल लगभग ₹300 का नुकसान निगम को होने की संभावना है । जबकि निगम को NAFED / NCCF से एक वर्ष का अधिकतम किराया 144 रुपये / क्विन्टल प्राप्त होता है।
3. सोयबिन में 2-5 % तक कि सुखत मान्य की जाए अथवा नमी आधारित मापदंडों के अनुसार सोयाबीन को भंडारित कराया जाए
4. दो वर्ष पूर्व निगम द्वारा हाफेड हरियाणा के साथ व्यवसाय किया गया था उनका गेहूं धान नामी आधारित मापदंडों पर ही जमा किया गया था अतः निगम सोयाबीन का भंडारण भी नमी आधारित मापदंडों पर ही करे, अत: तत्काल निगम को मार्कफेड/नाफेड/ एनसीसीएफ के साथ लॉस गेन पर संयुक्त पालिसी बनाना चाहिए।
5. अन्यथा की स्थिति में जैसे धान के मामले में वेयरहाउसिंग कॉर्पोरशन को आय की तुलना में शॉर्टेज में बहुत ज्यादा आर्थिक क्षति हो रही है , यही हाल सोयाबीन में निगम का होगा ।
6. यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि लगभग 25-30 वर्ष पूर्व सोयाबीन का उपार्जन, भएडारण एवं निष्पादन का कार्य मध्य प्रदेश ऑयल फेेडरेशन द्वारा किया जाता था इसी अत्यधिक नमी के कारण अच्छे खासे फेडरेशन को बर्बाद कर दिया और कालांतर में ऑयल फेडरेशन बंद हुआ उसके कर्मचारी आज भी दर- दर की ठोकरे खा रहे हैं
7. वेयरहाउसिंग कॉर्पोरशन की भी दशा उक्त आयल फेड की तरह न हो , इसलिए समय रहते शासन को सर्वोच्च हित में नमी अधारित मापदंडों के अनुसार स्कंध जमा कराया जावे
8. शासन द्वारा सोयाबीन के जारी उपार्जन नीति की कंडिका 6.4 में सर्वेयर द्वारा चैक किये जाने के बावजूद क्वालिृटी की सम्पूर्ण जिम्मेदारी वेयरहाउसिंग कॉर्पोरशन की नियत की गई है, तात्पर्य यह है कि उपार्जन पाइन्ट पर लापरवाही अवश्यंभावी है और जो कार्य वेयरहाउसिंग का है ही नहीं है उसके लिए निगम को बाध्य किया जा रहा है, यह वेयरहाउसिंग एक्ट के विरुद्ध है एवं निगम हित मे नहीं है। तत्काल शासन को इसमे संसोधन करना आवश्यक है ।
9. यदि शासन के दबाव में गुणवत्ता की जिम्मेदारी निगम की ही रहने वाली है तो हमें गोदामवार दक्ष गुणवत्ता परीक्षक उपार्जन के पूर्व उपलब्ध कराये जाना चाहिए एवं इस कार्य पर होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति शासन के उपार्जन मद से ली जावे। आर.बी. एसोसियेट से गुणवत्ता परीक्षक बिल्कुल भी नहीं दिये जावें उनके लडकों को कुछ भी नहीं आता है।
शासन को ICAR के मानक अनुसार भंडारण एवं लॉस गेन पालिसी के बाद ही निगम में भंडारण हो इस हेतु निगम को आश्वासन करना चाहिए।