
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश ने मंगलवार को चुनाव अधिकारियों कानूनी गलतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की गलतियों के कारण पीटीआई पार्टी के उम्मीदवारों को आठ फरवरी के आम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर ने ये टिप्पणियां तब कीं जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा की अध्यक्षता वाली 13 पूर्ण पीठ ने सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एसआईसी ने आम चुनाव के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में महिलाओं व अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट पर उसके दावे को खारिज करने खिलाफ याचिका दायर की थी।
नेशनल असेंबली में 70 आरक्षित सीट हैं और चार प्रांतीय विधानसभाओं में 156 सीट हैं। एसआईसी को कोई सीट नहीं दी गई क्योंकि उसने चुनाव नहीं लड़ा था। पार्टी को मजबूती तब मिली जब चुनाव के बाद पीटीआई समर्थित स्वतंत्र रूप से निर्वाचित सदस्य इसमें शामिल हो गए। जीतने वाली पार्टियों को संबंधित विधानसभाओं में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आरक्षित सीट आवंटित की जाती हैं। लेकिन एसईआईसी की याचिका को पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) और पेशावर उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया था। जिसके बाद पार्टी ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान एसआईसी के वकील फैसल सिद्दीकी ने पार्टी को आरक्षित सीट देने की मुख्य याचिका के पक्ष में दलील दी और न्यायाधीशों ने अलग-अलग टिप्पणी कीं। एसआईसी के वकील के इस सवाल का जवाब देते हुए कि अगर शीर्ष अदालत ने बैट के चुनाव चिह्न पर अपना फैसला स्पष्ट कर दिया होता तो कोई मुद्दा ही नहीं होता, सीजेपी ने कहा, अगर पीटीआई ने अपने अंतर-पार्टी चुनाव कराए होते तो आरक्षित सीट का मुद्दा सामने ही नहीं आता। उन्होंने कहा, हर चीज के लिए उच्चतम न्यायालय को जिम्मेदार न ठहराएं।
वहीं, न्यायमूर्तित अख्तर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ईसीपी ने पीटीआई के अंतर-पार्टी चुनाव के मुद्दे पर फैसला करते समय कानूी गलतियां कीं और पार्टी को क्रिकेट बैट के चुनाव चिह्न से वंचित कर दिया। जिसके कारण वह एक पार्टी के रूप में आठ फरवरी को चुनाव नहीं लड़ सकी। उन्होंने कहा कि आरक्षित सीट के बारे में मुद्दा यह है कि क्या इन उम्मीदवारों को उन आरक्षित सीट से इसलिए वंचित कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने एसआईसी के छ्त्र के नीचे शरण ली है।