देशमध्य प्रदेश

एकलव्य आवासीय विद्यालयों में पूर्व से कार्यरत शिक्षकों के हित में निर्णय लिया जाए-प्रदेश अध्यक्ष डीके सिंगौर

भोपाल ।‌‌ जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षकों की समस्याओं को लेकर मप्र ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के “प्रदेश अध्यक्ष डीके सिंगौर” के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल भोपाल जाकर विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. ई रमेश कुमार और सुधीर जैन से मिला। विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा कर समस्याओं से अवगत कराया गया। इस दौरान ज्ञापन देते हुए शिक्षकों के हित में कार्रवाई करने की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल में संगठन के एचएन नरवरिया सहित वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश पाटीदार कुक्षी, महासचिव सुरेश यादव इंदौर, महासचिव शिरीन कुरैशी सरदारपुर, संयुक्त सचिव अरुण कुशवाह डही, धार जिला अध्यक्ष शैलेष मालवीय, मनावर तहसील अध्यक्ष शोभाराम वास्कले, मनावर ब्लॉक अध्यक्ष कैलाश बुंदेला आदि मौजूद थे।

एसोसिएशन के प्रदेश मीडिया प्रभारी इरफान मंसूरी डही ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को भोपाल पहुंचकर विभाग के आला अधिकारियों से शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिए गए ज्ञापन में बताया गया कि वर्ष 2017 और वर्ष 2023 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षकों की पूर्ति के लिए जनजातीय कार्य विभाग के शिक्षकों की परीक्षा लेकर पद स्थापना की गई थी। लेकिन वर्तमान में पूर्व से कार्यरत परीक्षा द्वारा चयनित उत्कृष्ट शिक्षकों को हटाकर नेस्ट्स के माध्यम से शिक्षकों की पूर्ति की जा रही है। जबकि पूर्व में कार्य करने वाले शिक्षकों की न तो अस्थाई नियुक्ति थी और न ही प्रतिनियुक्ति की गई थी। बल्कि उनकी पदस्थापना की गई थी। ऐसे में उन्हें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय से नहीं हटाने की प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग भोपाल से मांग की गई है। साथ ही ज्ञापन में बताया गया कि एकलव्य आदर्श विद्यालयों से इन शिक्षकों को वापस किया जाना आवश्यक है तो इन्हें विभाग की अन्य समस्त विशिष्ट शालाओं जैसे कन्या शिक्षा परिसर एवं ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय और सभी सामान्य शालाओं के रिक्त पदों पर स्वैच्छिक काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना की जाए,जिन शिक्षको के गृह जिलों में ट्राइबल की शालाये नहीं है उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग में जाने हेतु noc दी जावे ताकि अपने गृह जिले में जाने का इन शिक्षकों को अवसर प्राप्त हो सके। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर मजबूरी में शिक्षकों को न्यायालय की शरण लेने को बाध्य होना पड़ेगा।

शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल ने भोपाल पहुंचकर आला अधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया।

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