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श्री नाथ जी मंदिर में दीपोत्सव गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव शुरू 

भोपाल।आमतौर पर दीपावली का उत्सव 3 दिन का मनाया जाता है परंतु पुष्टिमार्ग दीपोत्सव पूरे सप्ताह का उत्सव है जोकी 27 अक्टूबर से के दिन से शुरू होगा जिसमें प्रभु श्रीनाथजी प्रथम दिवस चांदी की एक तल की हटरी( चांदी का बंगला) विराजमान होंगे हटरी का मतलब हॉट होता है इसका यह भाव है कि प्रभु श्री कृष्ण ने नंद महल के बाहर चांदी के हॉट मैं विराजमान होकर सभी ब्रज वासियों को गिरिराज गोवर्धन की पूजा करने का संदेश दिया एवं फल दूध विक्रय कर गोवर्धन पूजा के लिए सामग्री इकट्ठे की ताकि सभी ब्रज वासियों को इसका पता लगे ,यही भाव से पुष्टिमार्ग में भी हटरी का उत्सव और साथ में दीप मालिका का प्रज्वलन किया जाता है मंदिर में लगभग 104 वर्ष पुरानी पीतल की 2 कुंटल की साडे 5 फुट के पीतल की जीत मालिका है जिसे पिलसोद कहते हैं इसमें 21 दीपक है हर दिया में 11 बत्ती लगते हैं इसके बड़े दीपक में लगभग आधा लीटर तेल आता है जिसका दीपक पुरी रात्रि जलता है और यह पिलसोद हमारे बड़े दादा जी मुखिया गोपाल लाल जी शर्मा ने नीलामी में खरीदी और इसको पूरा खोलकर अलग किया जा सकता है जो उस समय की कारीगरी का नायाब नमूना है। फिर 28 अक्टूबर रमा एकादशी के दिन प्रभु सुनहरी वस्त्र के साथ चांदी के बंगले विराजमान होंगे।
फिर 29 नवंबर को धनतेरस वाले दिन प्रभु को चांदी के चौतरा मैं हरे साज की सज्जा के साथ विराजमान किया जाएगा फिर 31 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी एवं दीपावली दोनो उत्सव साथ माने जायेंगे रूप चतुर्दशी वाले दिन शास्त्रों में कहा गया है की तारों की रोशनी में स्नान करने से सौंदर्य में निखार आता है तो उसी भाव से प्रभु को भी प्रातः 5:00 बजे है तारों की छांव में चंदन आंवला एवं इत्र से स्नान किया जाए फिर रात्रि को दो माली की चांदी की हटरी में विराजमान होंगे
एवं प्रभु श्रीनाथजी गौ संवर्धन का संदेश देंगे एवं कान जगाई उत्सव होगा। कान जलाई का मतलब होता है प्रभु श्री कृष्णा गौ माता को गोवर्धन पूजन करने का आमंत्रण देते हैं और गायों की पूजा करते हैं क्योंकि ब्रज वासियों का सबसे बड़ा धन तो गोवंश है पूजा करने के बाद गायों के कान में यह कहा जाता है कि कल अपने को इंद्र का मान भंग करना श्वेत छटा के साथ प्रभु 3 मंजिल की हटरी में विराजमान होंगे और दीप मालिका में वैष्णव जन दीपमालिका में तेल डालते हैं और दीपक प्रज्वलित करेंगे। उसी रात से ही अन्नकूट की चावल की सेवा शुरू हो जाती है। 1 नवंबर अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन का उत्सव मनाया जाएगा जिसमें प्रातः काल प्रभु को गोकर्ण पहनाए जाते हैं गोकर्ण मतलब गाय के जैसे कपड़े एवं जरी के कान जिससे प्रभु गायों को रिझाते है पुष्टिमार्ग में प्रभु गोवर्धन पूजा कोई देव की तरह करने नहीं अपने परिवार की तरह की जाते हैं प्रभु श्रीनाथजी को उस दिन चांदी के सुखपाल यानी पालकी में विराजमान किया जाता है फिर गोबर से निर्मित गोवर्धन की पूजा कर फिर गोवंश की पूजा की जाती है फिर गोवर्धन नाथ जी को भोग लगाकर उनकी परिक्रमा की जाती है फिर गोवर्धन के ऊपर से गाय अपने पग मुंडन कर वापस जाती है फिर सभी वैष्णव जन परिक्रमा कर कीर्तन करते हैं मैं तो गोवर्धन को जाऊं मेरी वीर नहीं माने मेरे मनवा फिर लगभग 3:00 बजे अन्नकूट के दर्शन खुलेंगे
अन्नकूट वाले दिन लगभग 2 से ढाई हजार लोग मंदिर में प्रसादी लेते हैं और यह सब पूरी प्रसादी प्रभु के लिए विशेष स्वच्छता स्वचता एवं ध्यान से मुखिया परिवार द्वारा ही बनाई जाती है। मंदिर में दीपोत्सव की तैयारी है की जा रही हैं जिसमें प्रभु श्रीनाथजी का चांदी के बंगले की सफाई एवं मंदिर में विशेष सज्जा की जा रही है।
मुखिया श्रीकांत शर्मा
श्री जी का मंदिर लखेरापूरा भोपाल

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