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पटाखा गन’ ने छीन ली 14 बच्चों के आंखों की रोशनी, 122 बच्चे अस्पतालों में भर्ती

एमपी के अलग-अलग जिलों में कार्बाइड गन से बच्चों के आखों में नुकसान होने की जानकारी मिली है.....

दिवाली के त्योहार में हर साल मार्केट में कुछ नया आता है। इस बार भी कार्बाइड गन यानी ‘देसी पटाखा गन’ ट्रेंड बनकर छा गई लेकिन मध्यप्रदेश के कई जिलों में पटाखा गन ने बच्चों की आंखों की रोशनी छीन ली। मार्केट में बिक रही सस्ती पटाखा गन अब एक खतरनाक ट्रेंड बनती जा रही है। अब तक इस गन से 14 बच्चों नें अपनी रोशनी खो दी है। लगभग 122 से ज़्यादा बच्चों को आंखों में गंभीर चोट लगने के कारण अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला विदिशा है, यहां पर 18 अक्टूबर को जारी सरकारी प्रतिबंध के बावजूद स्थानीय बाज़ारों में खुलेआम ये कच्ची ‘कार्बाइड गन’ बिक रही हैं।

खिलौना नहीं, एक बम

इस पूरे मामले में डॉक्टरों का कहना है कि देसी गन दिवाली का खिलौना नहीं, एक बम है, जो लोगों की आंखों की रोशनी को छीन रहा है। ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी, भोपाल डिवीजन और केंद्रीय संस्थान भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) ने इसके इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। जानकारी के लिए बता दें कि एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में निर्देश दिए थे कि दिवाली पर बाजार में कार्बाइड पाइप गन की बिक्री न हो। इसके बावजूद यह गन सभी जिलों में बिकी।

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