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नोएडा से हैदराबाद तक: तरुण परमार की 1700 किमी साइक्लिंग यात्रा – नशा-मुक्त भारत का संदेश और हार्टफ़ुलनेस मेडिटेशन का प्रसार

56 वर्षीय तरुण परमार ने नोएडा से हैदराबाद तक पैडल चलाकर युवाओं से किया आह्वान – नशे से दूर रहें, ध्यान अपनाएँ। यात्रा का समापन हुआ कान्हा शांति वनम्, विश्व के सबसे बड़े ध्यान केंद्र और हार्टफ़ुलनेस ग्लोबल मुख्यालय पर

नेशनल , 29 सितम्बर 2025: अदम्य सहनशक्ति, दृढ़ निश्चय और उद्देश्यपूर्ण प्रयास का अद्भुत परिचय देते हुए 56 वर्षीय सॉफ़्टवेयर इंजीनियर एवं हार्टफ़ुलनेस मेडिटेशन साधक तरुण परमार ने नोएडा से हैदराबाद तक की 1700 किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी की। इस यात्रा का उद्देश्य ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के प्रति जागरूकता फैलाना और हार्टफ़ुलनेस ध्यान को प्रोत्साहित करना था। 13 सितम्बर से आरम्भ हुई यह यात्रा आज कान्हा शांति वनम् पहुँचकर सम्पन्न हुई — जो विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र और हार्टफ़ुलनेस संस्थान का वैश्विक मुख्यालय है। उनकी यह मंज़िल उस समय पर पहुँची जब वहाँ भंडारा समारोह मनाया जा रहा था, जो हार्टफ़ुलनेस के ग्लोबल गाइड श्री कमलेश डी. पटेल (दाजी) का जन्मदिन भी है। इस प्रकार उनकी यात्रा का समापन और भी प्रतीकात्मक एवं सार्थक बन गया।
हर दिन औसतन 110 से 120 किलोमीटर की साइक्लिंग करते हुए, तरुण परमार नोएडा, मथुरा, आगरा, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, बियावरा, भोपाल, इटारसी, बैतूल, नागपुर, निर्मल, पंढरखाडवा, कामारेड्डी से होते हुए आख़िरकार हैदराबाद पहुँचे। यह यात्रा उनके शारीरिक और मानसिक दोनों हदों की परीक्षा थी।मध्य प्रदेश की झुलसाती गर्मी, तेलंगाना की तेज़ बारिश, खतरनाक हाईवे के रास्ते, घने जंगल जहाँ अक्सर अंधेरे में दिशा तलाशनी पड़ी — सबका उन्होंने सामना किया। शिवपुरी और निर्मल जैसे पहाड़ी इलाक़ों में उन्हें साइकिल पैदल खींचकर चढ़ानी पड़ी। बहुत कम आराम, देर रात तक साइक्लिंग और भीगे व कठिन हालात के बावजूद उन्होंने यह सफ़र पूरा किया। अपनी इस हिम्मत और सहनशक्ति का श्रेय उन्होंने हार्टफ़ुलनेस मेडिटेशन को दिया।रास्ते भर लोग उनकी यात्रा को देखकर रुकते, उनके मक़सद के बारे में पूछते, वीडियो बनाते और हौसला बढ़ाते। हर ठहराव पर हार्टफ़ुलनेस साधकों ने उन्हें गर्मजोशी से अपनाया — भोजन, ठहरने की व्यवस्था और सहयोग दिया, जिससे वे इस कठिन सफ़र को जारी रख सके।

तरुण ने यह यात्रा के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Social Justice & Empowerment,GoI) के ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की प्रमुख पहल का समर्थन करने के लिए की — जिसका मक़सद नशे की लत को रोकना, उसके नुक़सान पर जागरूकता फैलाना और सामुदायिक भागीदारी से एक मज़बूत रोकथाम तंत्र बनाना है। इस अभियान का ख़ास ज़ोर युवाओं और शैक्षिक संस्थानों को जोड़ने पर है, ताकि एक सेहतमंद और नशा-मुक्त भारत बनाया जा सके। साथ ही यह अभियान हार्टफ़ुलनेस मेडिटेशन की ताक़त को भी बढ़ावा देता है — जो विश्रांति और आंतरिक जुड़ाव की एक सरल विधि है, तनाव घटाने, एकाग्रता बढ़ाने और भावनात्मक संतुलन विकसित करने में मदद करती है। योग परंपराओं से जुड़ी यह साधना विश्वभर में निःशुल्क उपलब्ध है और करोड़ों लोग इसे अपनाकर अपने जीवन में शांति, स्पष्टता और उद्देश्य लाए हैं।

तरुण परमार ने इस यात्रा से पहले 36 दिन का प्रशिक्षण लिया, जिसमें लगातार लम्बी दूरी की साइक्लिंग शामिल रही ताकि उनकी सहनशक्ति परख सके।
यात्रा पूरी करने के बाद उन्होंने कहा:
“युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं, और मुझे दुख होता है जब इतने सारे युवा नशे और लत की गिरफ्त में चले जाते हैं। ध्यान मन की शक्ति, एकाग्रता और आंतरिक सहनशीलता को विकसित करता है, जो व्यक्ति को अपने और समाज के लिए नुक़सानदेह आदतों से बचाता है। अगर हम नशा-मुक्त भारत के संदेश के साथ ध्यान को बढ़ावा दें, तो हम अपने युवाओं को सुरक्षित रख सकते हैं और राष्ट्र के भविष्य को सशक्त बना सकते हैं।”

हार्टफ़ुलनेस के वैश्विक मार्गदर्शक और श्री रामचन्द्र मिशन के अध्यक्ष दाजी (श्री कमलेश डी. पटेल) ने तरुण को बधाई देते हुए कहा:
“हार्टफ़ुलनेस में हमारा विश्वास है कि असली परिवर्तन भीतर से शुरू होता है। ध्यान का अभ्यास करके व्यक्ति, विशेषकर युवा, आंतरिक शक्ति, स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन पा सकते हैं — जो सही फ़ैसले लेने और नशे से बचने के लिए ज़रूरी हैं। तरुण की यह यात्रा इस बात का सच्चा उदाहरण है कि उद्देश्य से प्रेरित व्यक्तिगत इच्छाशक्ति बदलाव ला सकती है। नशा हमारे युवाओं के सामने एक गंभीर चुनौती है, और ध्यान उसमें लड़ने की आंतरिक शक्ति पैदा करता है। हार्टफ़ुलनेस युवाओं के साथ खड़ा है और एक स्वस्थ, सशक्त और नशा-मुक्त समाज की प्रतिज्ञा करता है। आइए जागरूकता फैलाएँ, कार्रवाई करें और मिलकर एक उज्जवल, नशा-मुक्त भारत बनाएँ।”

तरुण परमार का यह संकल्प याद दिलाता है कि नशा-मुक्त समाज का रास्ता ध्यान, आंतरिक अनुशासन और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से ही मज़बूत होता है।

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