मध्य प्रदेश

राज्य से लेकर कलेक्टर कार्यालयों में व्यवस्थाएं तार-तार, वाहनों का हिसाब ले सरकार

– वाहन चालकों ने कहा कि संचालनालयो से लेकर कलेक्टर कार्यालयों में सड़ रहे अच्छे वाहन
भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी संपत्तियों को जिम्मेदार अधिकारी कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं कार्यालयों में खड़े सरकारी वाहन यह गवाही दे रहे हैं। अब अच्छी हालत के वाहनों की बर्बादी को लेकर वाहन चालक ही मैदान में आए हैं। इन्होने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हर कार्यालय से सरकारी वाहनों का हिसाब लिया जाए। ताकि शासन की इस संपत्ति का नुकसान होने से बच सके।
– हम पिछले 2 साल से सरकार से कर रहे हैं आग्रह- मोहम्मद जफर
शासकीय अर्धशासकीय वाहन चालक यांत्रिक कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद जफर का कहना है कि सरकारी वाहनों की बर्बादी ना हो। इसके लिए हम पिछले दो साल से शासन से आग्रह कर रहे हैं। उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भोपाल में ही ऐसा कोई राज्य संचालनालय नहीं है। जहां सरकारी वाहन अच्छी हालत के कबाड़ ना हो रहे हो। उन्होंने कहा कि कलेक्टर और तहसील कार्यालयों में भी बेहतर हालत की सरकारी गाड़ियां सबशड रही हैं। लेकिन अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है।
– शासन को नुकसान पहुंचाकर निजीकरण को बढ़ावा- एल जन चिढ़कर
संगठन के सदस्य एलएन चिढार का कहना है कि विभागों में वरिष्ठ अधिकारी अपने स्वार्थ के लिए सरकारी संपत्ति की बर्बादी करने पर तुले हुए हैं। इनका कहना है कि वन विभाग आदिम जाति कल्याण विभाग शिक्षा विभाग चिकित्सा शिक्षा उच्च शिक्षा जैसे विभागों में देखा जाए तो अच्छी हालत की सरकारी गाड़ियां कबाड़ कर डाली गई है। इनका कहना है कि अधिकारी अपने फायदे के लिए निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। प्राइवेट टैक्सियों को विभागों में लगाया जा रहा है। जबकि बेहतर हालात के सरकारी वाहनों की दुर्दशा की जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस दिशा में ध्यान देना होगा।
– करोड़ों रुपए के वाहन हो चुके हैं बर्बाद- अशोक मालवीय
संगठन सदस्य अशोक मालवीय का कहना है कि अधिकारियों ने करोड़ों रुपए के सरकारी वाहन कबाड़ करके रख दिए हैं। हम निरंतर मांग कर रहे हैं कि सरकारी गाड़ियां अच्छी हालत की हैं। इनका उपयोग किया जाए। लेकिन हर विभाग में बड़े पैमाने पर प्राइवेट टैक्सियां लग रही है। अब तो वाहन चालकों को भी बेरोजगार करने की तैयारी हो रही है। स्वीकृत पर संरचना के अनुसार जहां पदों को भारी नहीं जा रहा है। वहीं आउटसोर्स से कर्मचारी रखे जा रहे हैं। यह सालासर अन्याय है।
– विभाग प्रमुखों से लेकर कलेक्टरों को लिखा जाए पत्र- अशोक मालवीय
संगठन सदस्य अशोक मालवीय का कहना है कि इस संदर्भ में विभाग प्रमुखों से लेकर सभी जिलों में कलेक्टरों को पत्र लिखा जाना चाहिए। उनका कहना है कि सरकार को सभी विभागों से यह जानकारी लेना चाहिए कि राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक किस विभाग में कितनी गाड़ियां खड़ी हुई हैं। या तो उनकी नीलामी की जाए या फिर जो बेहतर हालत की गाड़ियां हैं। उनमें सुधार करवाकर उपयोग किया जाए। श्री मालवीय का कहना है कि सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यह प्रदेश की गरीब जनता की गाड़ी कमाई है। इसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।

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