



अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले दिल्ली के सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोने के दामों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई. 99.9% शुद्धता वाला सोना 1,000 रुपये सस्ता होकर 1,31,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया. सोमवार को इसकी कीमत 1,32,600 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. यह गिरावट स्थानीय ज्वेलरी बाजार में कमजोर मांग और वैश्विक संकेतों में उतार-चढ़ाव का सीधा परिणाम मानी जा रही है.
सोने के साथ-साथ चांदी भी कमजोर रुख के साथ ट्रेड हुई. सर्वाधिक गिरावट चांदी में दर्ज की गई, जो 4,500 रुपये टूटकर 1,80,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई. सोमवार को इसका भाव 1,85,000 रुपये प्रति किलोग्राम था। विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी की कीमतों में गिरावट उद्योगगत मांग में कमी और विदेशी बाजारों के दबाव के कारण आई है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक सौमिल गांधी के अनुसार, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी पॉलिसी घोषणा ने ट्रेडरों में सतर्कता बढ़ा दी है. निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि फेड इस बैठक में ब्याज दरों में कटौती की ओर संकेत दे सकता है, लेकिन असली दिशा जेरोम पॉवेल के बयानों से ही तय होगी. इसी आशंका में बाजार सीमित दायरे में ट्रेड किया है और निवेशक किसी बड़े कदम से पहले स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं.
वैश्विक बाजारों में हाजिर सोना मंगलवार को 14.83 डॉलर बढ़कर 4,205.57 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया. यह हल्की तेजी अमेरिकी डॉलर के कमजोर पड़ने और सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने के कारण आई. वहीं, चांदी का अंतरराष्ट्रीय हाजिर भाव 0.75% चढ़कर 58.59 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया. यह अंतरराष्ट्रीय बढ़त दिखाती है कि विदेशी बाजारों में फिलहाल निवेशकों का झुकाव कीमती धातुओं की ओर बना हुआ है, लेकिन इसका असर भारतीय बाजार पर सीमित रूप से पड़ा है.
स्थानीय आभूषण निर्माताओं और खुदरा खरीदारों की धीमी मांग भी सोने-चांदी के भाव पर दबाव बना रही है. शादी-विवाह के सीजन के बाद आमतौर पर मांग में कमी आती है, जिससे दामों में नरमी देखी जाती है. इसके अलावा, घरेलू बाजार विदेशी संकेतों पर अधिक निर्भर रहता है. ऐसे में फेडरल रिजर्व की नीति में कोई भी बदलाव भारतीय सर्राफा बाजार को सीधे प्रभावित करता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि फेड की बैठक और जेरोम पॉवेल की टिप्पणी इस सप्ताह सोना-चांदी की दिशा तय करेगी. अगर ब्याज दरों में कटौती का संकेत मिलता है, तो कीमती धातुओं की कीमतों में एक नई तेजी देखी जा सकती है. लेकिन अगर फेड सख्त रुख अपनाता है, तो कीमतों में और गिरावट संभव है. निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहकर बाजार के रुख पर नजर रखना चाहिए.