सुर्तेली की प्रथम कला प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में स्त्री अभिव्यक्ति, लोक कला और सांस्कृतिक संवाद का अनूठा संगम


भोपाल, 8 नवम्बर 2025 ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS), भोपाल एवं ‘सुर्तेली’, परधान गोंड महिला कलाकारों के एक सामूहिक समूह के संयुक्त तत्वावधान में “मैं / I” शीर्षककृत प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ आज वीथी संकुल भवन स्थित प्रदर्शनी हॉल में दोपहर 4:00 बजे हुआ। यह प्रदर्शनी 30 नवम्बर 2025 तक आम जनता के लिए दर्शनीय रहेगी।
इस अवसर पर प्रदर्शनी का उद्घाटन देश की सुप्रसिद्ध गोंड कलाकार पद्मश्री दुर्गाबाई व्याम, भील कलाकार सुश्री गंगूबाई, वरिष्ठ कलाकार सुश्री कुमुद सिंह एवं सुश्री संजू जैन, तथा Spore Initiative (बर्लिन) की प्रतिनिधियाँ सुश्री मारिएला नेगल और सुश्री एंटोनिया अलाम्पी एवं रोशनी व्याम एवं मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो अमिताभ पांडे द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस अवसर पर निदेशक प्रो अमिताभ पांडे ने कहा कि मानव संग्रहालय ने पारंपरिक जनजातीय चित्रकला के संरक्षण , संवर्धन हेतु इस तरह के प्रयासों को हमेशा सराहा है, और इस प्रदर्शनी के सफल आयोजन पर सुरतेली समूह की महिला कलाकारो को सम्मानित किया एवं शुभकामनाएं भी दी।उन्होंने बताया कि सुर्तेली’ स्त्रियों की कल्पनाशीलता और सामूहिक शक्ति का जीवंत उदाहरण है — जो कला के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की नींव रखती हैं।
उद्घाटन सत्र के पश्चात् एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसका संचालन वरिष्ठ कला विशेषज्ञ सुश्री शम्पा शाह ने किया। चर्चा में समकालीन कला में स्त्री दृष्टिकोण, सामुदायिक अनुभवों की अभिव्यक्ति और परंपरा से जुड़े रचनात्मक आत्मबोध पर गहन संवाद हुआ।
कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने ट्राइबल बैंड के मधुर लोक संगीत और सुर्तेली समूह की युवा कलाकाराओं द्वारा प्रस्तुत मनमोहक नृत्य प्रदर्शन का आनंद लिया। कला, संगीत और नृत्य का यह संगम दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने वाला अनुभव प्रदान कर गया।
इस अवसर पर सुर्तेली महिलाओं के “Dream Behind Surtheli” शीर्षक पर एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसमें सुर्तेली समूह की महिलाओं की जीवन-यात्रा, उनकी कलात्मकता और सामुदायिक सहयोग की भावना को प्रभावशाली रूप से दर्शाया गया।
‘सुर्तेली’ भोपाल स्थित परधान गोंड महिलाओं का एक सामूहिक समूह है, जो अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के ज्ञान को साझा करने और संरक्षित रखने के उद्देश्य से गठित हुआ।
‘सुर्तेली’ शब्द पारधान गोंडी भाषा के शब्द ‘सुरता’ (स्मृति) से प्रेरित है, और यह एक नारंगी रंग के पुष्प का भी नाम है, जो फरवरी से अप्रैल के मध्य नदियों के किनारे खिलता है स्वादिष्ट, मधुर और लोकगीतों में उल्लिखित। यह फूल स्मृतियों और आत्मीयता का प्रतीक माना जाता है।
‘सुर्तेली’ की शुरुआत
रोशनी व्याम अपने समुदाय, परधान गोंडों की कहानियों को बुज़ुर्गों से सुनकर संकलित और संरक्षित कर रही थीं। इसी कार्य के लिए उन्हें फ्रेंच इंस्टीट्यूट इंडिया / फ्रांस एवं एकलव्य फाउंडेशन, भोपाल द्वारा समर्थित La Cité des Arts में Artist Residency हेतु चयनित किया गया, जहाँ उन्होंने तीस कहानियों का दस्तावेज़ीकरण किया।
एक दिन उन्होंने महसूस किया कि समुदाय की चर्चाओं में प्रायः पुरुष कलाकारों की ही आवाज़ें प्रमुख हैं, जबकि महिलाएँ पीछे रह जाती हैं। जब उन्होंने एक महिला कलाकार सत्रूपा उवती से संवाद किया, तो उनकी आँखों में आँसू आ गए।
सत्रूपा बोलीं —मैं इतने सालों से चित्र बना रही हूँ, पर किसी ने मुझसे कभी बात नहीं की। अब जब तुम आगे बढ़ रही हो, हमें भी अपने साथ ले चलो।”
इसी संवाद से “सुर्तेली” समूह का विचार जन्मा।
‘सुर्तेली’ का गठन और कला यात्रा
अप्रैल 2025 में रोशनी और भोपाल में रह रहीं कई परधान गोंड महिलाएँ एक साथ आईं — हँसने, बातें करने और अपने अनुभव साझा करने के लिए। उन्होंने अपने समूह का नाम अपनी परंपरा से जोड़ा और चुना — “सुर्तेली” — एक ऐसा पौधा जो स्मृतियों को जाग्रत करता है।
धीरे-धीरे उन्होंने गोबर और मिट्टी से बने प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करते हुए सामूहिक चित्र रचना प्रारंभ की। उन्होंने ‘धगना’ जैसी पारंपरिक ज्यामितीय आकृतियाँ चित्रित कीं और फिर आत्मचित्र बनाए — प्रत्येक चित्र में अपनी पहचान, दृष्टि और स्वप्नों की अभिव्यक्ति।
रोशनी व्याम – ‘सुर्तेली’ की संस्थापक एवं क्यूरेटर
रोशनी व्याम, परधान गोंड महिला समूह “सुर्तेली” की संस्थापक और प्रदर्शनी “About Myself / I” की क्यूरे…



