मध्य प्रदेश

दो सौ दिन काम पर अतिथि शिक्षकों को सीधी भर्ती में 50% कोटा तो दो हजार दिन काम पर बिजली आउटसोर्स का कोटा शून्य क्यों : भार्गव

म.प्र. में 3 वर्ष के दौरान कुल दो सौ दिन काम करने वाले प्रदेश के सभी अतिथि शिक्षकों को नई रेगुलर सीधी भर्ती में 50% का कोटा म.प्र. के राजपत्र क्र.-369 के माध्यम से आरक्षित किया गया है, पर हैरत की बात है कि झुलसती गर्मी, ठिठुरती ठण्ड, आँधी-तूफान, बरसते पानी और कोरोना जैसी आपदाओं के बीच वर्ष में 365 दिन विपरीत परिस्थितियों में आपातकालीन व जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले म.प्र. के बिजली आउटसोर्स कर्मियों की नई सीधी भर्ती में अनदेखी हो रही है और उन्हें बिजली कम्पनियों की नई भर्ती में 1% भी कोटा नहीं दिया जा रहा है, जो सरासर नाइंसाफी व दोहरा मापदण्ड है। इसमें बदलाव कर प्रदेश के बिजली आउटसोर्स कर्मियों का तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नई सीधी भर्ती में 50% कोटा रखा जाना चाहिए, इस आशय का सुझाव पत्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं महामंत्री राहुल मालवीय ने मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को पत्र प्रेषित कर किया है ।श्री भार्गव का कहना है कि यदि म.प्र. की सभी 6 बिजली कम्पनियाँ सीधी भर्ती में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के सभी रिक्त पद फ्रेशर्स से भर देंगी, तो म.प्र. विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान जारी भाजपा संकल्प पत्र के पृ.क्र.-81 पर अमल कर इन आउटसोर्स कर्मियों को संविदाकर्मी बनाकर उसका लाभ इन्हें कैसे मिल पायेगा?श्री भार्गव का मत है कि बिजली सेक्टर में सदैव अनुभव का खासा महत्व रहा है, यहाँ अनुभव को वरियता देने की परम्परा रही है । जैसे – म.प्र. में विगत् 50 वर्षों में काँग्रेस व अन्य सरकारों के दौरान डेली वेजेस व मस्टर कर्मियों को सीधी भर्ती में प्राथमिकता देकर नियमित करने की परिपाटी थी, वही फार्मूला अब भाजपा की सरकार को बिजली सेक्टर में चल रही भर्ती प्रक्रिया एवं प्रस्तावित भर्ती में अपनाकर 200 दिन से अधिक काम करने वाले बिजली आउटसोर्स कर्मियों के लिए सीधी भर्ती में 50% का कोटा अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर देना चाहिए । अन्यथा म.प्र. के बिजली आउटसोर्स कर्मचारी आंदोलन पर विवश होंगे ।

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