जिसके अंदर आत्मविश्वास होता है वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आपको संभाल लेता है- प्रमाण सागर जी महाराज

“जीवन में अनेक प्रसंग ऐसे आते है जो हमारे चित्त को डाँवाडोल करते हैं, हम सही वक्त पर, सही निर्णय नहीं ले पाते और आया हुआ अवसर हमारे हाथ से निकल जाता है।” उक्त उद्गार मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने विद्यासागर संस्थान अवधपुरी भोपाल में अपने प्रवचनों के दौरान व्यक्त किये।मुनि श्री ने कहा कि “अनिर्णय” की स्थिति और विपरीत निर्णय जहां हमारी प्रगति में बाधक हैं, वहीं त्वरित एवं सही समय पर निर्णय लेने वाला व्यक्ति प्रगति पथ पर सदैव आगे बढ़ता है। हेमलता जैन रचना ने बताया कि मुनि श्री ने अनुभव, औचित्य, आत्म विश्वास तथा अनुभवों की समीक्षा, इन चार बातों पर प्रकाश डालते हुये अपने उद्बोधन में कहा कि यदि अनुभव के आधार पर, औचित्य का बोध करके, आत्मविश्वास के साथ, पुराने अनुभव की समीक्षा कर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित ही कभी भी असफल नहीं होंगे।”
मुनि श्री ने कहा कि जिसके अंदर आत्मविश्वास होता है वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आपको सम्हाल लेता है। वह जो होगा वह देखा जायेगा कि तर्ज़ पर नहीं जो तय किया है वही होगा कि तर्ज़ पर चलता है। उन्होंने अनिर्णय की क्षमता को समाप्त करने तथा आत्मविश्वास जाग्रत करने के लिये भावना योग का अभ्यास कराते हुए कहा कि नियमित अभ्यास से अनिर्णय की स्थति का निवारण हो सकता है।