मातृ भाषा में अध्ययन को प्रोत्साहित करेगी मध्यप्रदेश सरकार – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

हिन्दी दिवस पर मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान अलंकरण एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न, देश-विदेश के हिन्दी सेवियों हुए अलंकृत
*कविगणों ने मां भारती और हिन्दी के सम्मान में पढ़ी कविताएं, मनु वैशाली के मधुर कंठ से छरी पंक्तियां ‘’केवल भाषा नहीं है हिंदी, भावों का भवसागर है’’*
*भोपाल।* मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिन्दी सम्मान अलंकरण एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन 14 सितम्बर, 2024 को रवीन्द्र भवन स्थित अंजनी सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव, विशेष अतिथि माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी उपस्थित रहे। इस अवसर प्रमुख सचिव संस्कृति श्री शिवशेखर शुक्ला एवं संचालक, संस्कृति श्री एन.पी.नामदेव भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सर्वप्रथम देश एवं विदेश में रहकर हिन्दी की सेवा करने वाले लेखकों को अलंकृत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2022 डिजिटल इंडिया भाषिनी संस्थान, नई दिल्ली को और 2023 का श्री अमकेश्वर मिश्रा, भोपाल को प्रदान किया। राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2022 डॉ.हंसा दीप, टोरंटो (कनाडा) एवं 2023 डॉ. अनुराग शर्मा, पेंसिलवेनिया (अमेरिका) को, राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान 2022 सुश्री अतिला कोतलावल, श्रीलंका एवं 2023 सुश्री दागमार मारकोवा, चेक गणराज्य को, राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान 2022 डॉ.कृष्ण कुमार मिश्र, मुम्बई एवं 2023 श्री देवेन्द्र मेवाड़ी, नई दिल्ली को, राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान 2022 डॉ. दामोदर खड़से, पुणे एवं 2023 डॉ. मनमोहन सहगल, पटियाला को अलंकृत किया गया। प्रशस्ति वाचन संचालक, संस्कृति श्री एन.पी. नामदेव ने किया। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन प्रमुख सचिव, संस्कृति श्री शिवशेखर शुक्ला ने किया।
इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग और प्रोत्साहन के लिए संकल्पबद्ध है। मध्यप्रदेश प्रमुख हिंदी भाषी राज्य है। मध्यप्रदेश से न सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर हिंदी में शिक्षा ग्रहण कर आगे बढ़ रहे हैं बल्कि अन्य पाठ्यक्रमों के हिंदी में अध्ययन की सुविधा भी दी सकती है। आगे चलकर एमबीए और अन्य पाठ्यक्रमों में भी अध्ययन करके विद्यार्थी कॅरियर का निर्माण कर सकते हैं। हिंदी बोलने वाले हिंदी का गौरव बढ़ाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार विद्यार्थियों को मातृ भाषा के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर भाषा से संबंधित पुनर्रावलोकन भी जरूरी है। हिंदी की यात्रा उद्गम अवधी से शुरू हुए। अनेक कठिनाइयों के बाद भी हिंदी की विकास यात्रा सुगमता से आगे बढ़ी है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रभाषा दोनों उद्देश्यों के लिए कार्य करने वाले अनेक स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरूषों का स्मरण किया।
इस अवसर पर माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने अपने उद्बोधन में कहा आज हिंदी में अनेक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव हिंदी के प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं। संस्कृति विभाग सदैव हिंदी को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
*सम्मानित विभूतियों ने कहा….*
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2022 से अलंकृत डॉ.हंसा दीप, टोरंटो (कनाडा) ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं मध्य प्रदेश में ही पली बढ़ी हूं। मैं मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे बेटी की तरह आमंत्रित किया और मुझे इतना मान दिया। कला—संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में मध्य प्रदेश सिरमौर है। राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान 2022 से अलंकृत सुश्री अतिला कोतलावल, श्रीलंका ने अपने उद्बोधन में कहा कि विगत 24 साल से श्रीलंका में रहकर हिन्दी की सेवा कर रही हूं। यह यात्रा सरल नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण थी। लेकिन इस काम में भारत से लगातार सहयोग मिलता रहा। अब तक मां भारती से तो प्रेम था ही, साफ—सुथरा भोपाल शहर देख अब भोपाल से भी प्रेम हो गया। हिन्दी मेरी पहचान है, आन बान शान है।
*कवि सम्मेलन में गूंजा जय जय जय जय जय हिन्दी….*
अलंकरण पश्चात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें डॉ. राहुल अवस्थी — लखनऊ, श्री आशीष अनल — लखीमपुर, सुश्री अनु सपन — भोपाल, श्री सुदीप भोला — जबलपुर, श्री अमन अक्षर — इन्दौर, सुश्री श्वेता सिंह — बड़ोदरा, सुश्री मनु वैशाली — नई दिल्ली, श्री रामकिशोर उपाध्याय — ग्वालियर एवं सुश्री श्रद्धा शौर्य — नागपुर उपस्थित रहीं। कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. राहुल अवस्थी ने किया। सर्वप्रथम कविता पाठ के लिए डॉ. राहुल अवस्थी ने सुश्री श्रद्धा शौर्य को पुकारा। उन्होंने “देख जिन्हें दिशा दस अवनी अनंत व्योम, तारिकाएँ चन्द्र क्या हैं सूर्य भी लजाते हैं। आनंद के कन्द रघुनन्द का अनूप रूप, सुर मुनि योगी निज ध्यान में बसते हैं। दुष्ट दानवों के दल दलती भुजाएँ पग सत् शुचि मार्ग का सुपथ बतलाते हैं। पापियों तारने को काटते जो दस शीश वे ही राम शबरी के जूठे बेर खाते हैं” कविता पढ़ी। इसके बाद इन्दौर के श्री अमन अक्षर ने मंच संभाला और पढ़ा “आयु ही स्वयं जब देह का सिंगार करे देह का सिंगार हर ओर से बचाइये, कंचनी कलाई के जो रंग बोलने तो उन्हें इन चूड़ियों के शोर से बचाइये, वन्दनवार अलकों के रूप को सजायें तब उन्हें बंधनों की हर डोर से बचाइये, तन की किशोरी को किशोरों से बचाइये तो मन को हमारे जैसे चोर से बचाइये”। कविताओं का यह क्रम आगे बढ़ा और हिन्दी प्रेमियों के सम्मुख भोपाल की प्रख्यात कवयित्री सुश्री अनु सपन ने पढ़ा “धूप के आईने में संवर जाएगी जिन्दगी जब तपेगी निखर जाएगी।इतनी नफरत दिलों में न पाला करो, हर खुशी वरना घुट घुट के मर जाएगी”। इसके बाद बड़ोदरा की सुश्री श्वेता सिंह ने “किसी तूफ़ान आँधी से कभी भी हम नहीं डरते, हवा की शर्त पर कोई सफ़र हम तय नहीं करते, सुनो ऐ आसमां वालों हमें ख़ुद पर भरोसा है, लगाकर पंख औरों के उड़ाने हम नहीं भरते” कविता पढ़ी। अगले क्रम में सुश्री मनु वैशाली ने “मातृभूमि के मान की भाषा, व सादर सम्मान की भाषा, विश्व पटल पर अटल जो बोले, हिंदी हिंदुस्तान की भाषा, जो गाए मीरा हो जाए हिंदी नटवर नागर है, केवल भाषा नहीं है हिंदी, भावों का भवसागर है” सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। हिन्दी के इस अनुष्ठान में जबलपुर के प्रख्यात कवि श्री सुदीप भोला ने पढ़ा “जय जय जय जय जय हिंदी, जय जय जय जय जय हिंदी, मां की लोरी जैसी निर्मल निश्छल सरल हृदय हिंदी, सूर कबीरा तुलसी मीरा के अंकों में अंकित है, नीरज और निराला के भावों को किया अलंकृत है, अंबर पर दिनकर के जैसे जगमग ज्योतिर्मय हिंदी, कोमल नव किसलय समान, वट का विराट निश्चय हिंदी”। इसके बाद ग्वालियर के कवि श्री रामकिशोर उपाध्याय ने कविता पढ़ी ‘’भारतेंदु भारत माता के भाल का चंदन, यवन तिमिर में दीप शिखा पुरुषोत्तम टंडन, मालवीय जी नमन, नमन बाबू नवीन को, महावीर आचार्य गुरू, भाषा प्रवीन को’’। अगले क्रम में प्रख्यात कवि श्री आशीष अनल ने मां भारती को नमन करते हुए कविता पढ़ी ईस्वी एक हजार से लेकर आज भी लागे नवेली ये हिन्दी, सीता का दर्द सुनाए कहीं, कहीं द्रौपदी के खुले बाल है हिन्दी”। संचालन कर रहे कवि डॉ. राहुल अवस्थी ने गरजते स्वरों में पढ़ा ‘’सर्जन के सम्पुट पढ़ती ही जायेगी नित्य नये मानक गढ़ती ही जायेगी बाधाएँ आती हैं, आयेंगी, आयें हिन्दी हिन्दी है, बढ़ती ही जायेगी’’।