कोलकाताः आरजी कर मेडिकल एंड हॉस्पिटल में लेडी डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद अब एक आईएएस अधिकारी की पत्नी से रेप के मामले में पुलिस पर जांच में लापरवाही का आरोप लगा है। कोर्ट में सवाल उठाया गया कि रेप की शिकायत दर्ज होने के बाद भी मेडिकल जांच क्यों नहीं कराई गई? पिछले जुलाई में उस घटना में निचली अदालत के आदेश पर आरोपी जमानत पर था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत आदेश रद्द कर दिया। जांच अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया है। ये घटना 14 और 15 जुलाई 2024 की रात की है। इस दौरान 11:30 बजे महिला के साथ बंदूक की नोक पर रेप किया गया। पीड़िता का आरोप है कि वह अगले दिन पुलिस के पास पहुंची जहां पर उसको कई घंटे इंतजार कराया गया। यही नहीं पुलिस ने इस केस की गंभीरता को कम करते हुए कम गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
गन प्वाइंट पर आईएएस अधिकारी क पत्नी से हुआ रेप
यह घटना इस लाल 14 और 15 जुलाई की रात को घटी थी। आरोपी ने रात 11:30 बजे पीड़िता के घर में घुसा और बंदूक की नोक पर पीड़िता के साथ बलात्कार किया।घटना के दूसरे दिन पीड़िता ने कोलकाता के लेक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन शिकायत लेने से पहले उसे घंटों इंतजार करवाया गया। पुलिस ने अपराध की गंभीर प्रकृति के बावजूद कम गंभीर वाली धाराएं लगाई।
राज्य से बाहर कार्यरत आईएएस अधिकारी की पीड़िता पत्नी ने आरोप लगाया था कि यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बावजूद शुरुआत में मामूली आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। उस शिकायत पर कलकत्ता हाई कोर्ट में केस दायर किया गया था। शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने कहा, ‘शुरुआत में एफआईआर सही तरीके से दर्ज न करने और चार्जशीट को विकृत करने के आरोप इस जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाया है।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज लेने से किया इंकार
पीड़ता के आरोप के मुताबिक आरोपी की पत्नी और बेटे ने कथित तौर पर उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी के घर में घुसने और बाहर निकलने की सीसीटीवी फुटेज लेने से इनकार कर दिया। पीड़िता ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने खुद एक सरकार अस्पताल में अपनी मेडिकल जांच कराई।
कोलकाता पुलिस का बयान
कोलकाता पुलिस की ओर से पेश हुए वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि पीड़िता वॉट्सएप मैसेज के जरिए रिपोर्ट की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया, शिकायतकर्ता ने बाद में शाम को करीब 6।30 बजे लिखित शिकायत दर्ज कराई। उसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। 15 जुलाई को लेक थाने में कोई महिला जांच अधिकारी मौजूद नहीं होने पर करिया थाने से एक महिला अधिकारी को बुलाया गया। वह 16 जुलाई को लेक थाने आई और पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उस समय पीड़िता ने मुख्य आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया।”
पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा, “महिला खुद सरकारी अस्पताल में जाकर मेडिकल जांच कराई और उन्होंने पुलिस को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें शरीर के हिस्सों में चोट लगने का जिक्र था।” पुलिस ने दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी रेप के आरोपों के सबूत नहीं मिले।