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ईश्वर को अपने से दूर हटाने पर जीवन में लगता कष्टों का अंम्बार:पं०सुशील महाराज


(यशुदा ने कन्हैया को जब-जब अपने से दूर किया तब-तब घटनाएं घटित हुईं)
मां शीतला माता मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस पं०सुशील महाराज ने श्री कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं का बड़ा ही सुन्दर एवं आध्यात्मिक रूप से बास्तिवक सच्चाई का वर्णन किया। महाराज श्री ने बताया कि एक वार जब मां यशोदा मईया और नन्द वावा के घर ज्यौनार रखी गई।तव यशोदा मईया श्री कृष्ण को छकडे के नीचे पालने में लिटाकर अकेला छोड़कर आगंतुकों को ज्योनार खिलाने चलीं गईं।तभी शकटासुर राक्षस वहां छकडे के ऊपर आकर बैठ गया। यह बात कि कन्हैया (ईश्वर)से ऊपर कोई बैठे यह श्री कृष्ण कन्हैया को पसंद नहीं आई। उन्होंने एक लात शकटासुर में मार दी।तब शकटासुर का वहीं प्राणांत हो गया।एक वार पूतना राक्षसी अपना भेष बदलकर मां यशोदा के पास ग्वालिन के भेष में आई।तब मां यशोदा उसे नहीं पहचान पाईं और उसके मांगने पर अपने लाला को राक्षसी पूतना के हवाले कर दिया। और पूतना श्रीकृष्ण भगवान को अपने स्तन में लगा जहर भरा दूध कन्हैया को पिलाने लगीं।तब भगवान श्रीकृष्ण कन्हैया ने पूतना का दुग्धपान करते समय उसके प्रांणो को भी दूध के साथ खींचकर उसका प्राणांत कर दिया।

इस बार भी मां यशोदा के घर में असुर प्रवेश तव हुआ।जब मां यशोदा ने श्री कृष्ण कन्हैया को पूतना को देकर अपने पास से दूर किया था।इसी प्रकार तीसरी बार तृणावर्त राक्षस के आने पर मां यशोदा श्री कृष्ण कन्हैया को जमीन पर लिटाकर अपना काम करने चलीं गईं थीं। कन्हैया को अकेला देखकर तृणावर्त राक्षस कन्हैया को उठा ले गया था। लेकिन उसी समय श्री कृष्ण कन्हैया ने तृणावर्त राक्षस का बध कर दिया था। जब-जब मां यशोदा ने कन्हैया को अपने से दूर किया था। तब -तब घर में असुर और कष्टों का प्रवेश हुआ था।कहने का मतलब मनुष्य जब-जब ईश्वर से मन हटाकर संसारिक मोह-माया से नाता जोड़ेगा। तब-तब वह कष्टों में घिर जायेगा।कथा समापन पर श्रीमद् भागवत कथा की आरती डा०मायाराम अटल,श्री कृष्णा राठौर,श्री लखन परमार, सन्तोष जैन द्वारा उतारी गई। कृष्णा नगर कालौनी से पधारे श्री सुधीर जाट,श्री कपिल जाट, द्वारा कथावाचक पं०सुशील महाराज का पुष्पहार पहनाकर भव्य स्वागत किया गया है।संरक्षक श्री विजय सिंह एवं व्यवस्थापक श्री पी डी सोनी जी के दिशा निर्देश पर समस्त श्रृद्धालुओ को केला,नुक्ती, लाई,व पंचामृत का प्रसादी का बितरंण श्री राधेश्याम,श्री, भैरोसिंह रजक,श्री लखन परमार,श्री दिनेश असाटिया,निक्की तिवारी व शुभम पाण्डेय द्वारा किया गया है।

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