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एनएसयूआई के खुलासे का असर – मेडिकल काउंसिल कमेटी ने दूसरे चरण की मेडिकल काउंसलिंग स्थगित की

एनएसयूआई के आरोपों के बाद NRI कोटे घोटाले पर MCC सख्त, दस्तावेज़ जांच पूरी होने तक काउंसलिंग टली

मेडिकल काउंसिल कमेटी ने NRI प्रवेश पर दस्तावेज़ जांच शुरू की, लेकिन मप्र DME की चुप्पी निजी मेडिकल कॉलेजों से सांठगांठ को साबित करती है”- रवि परमार

फर्जी NRI प्रवेश की जांच शुरू, एनएसयूआई की मांग पर काउंसलिंग की तारीख आगे बढ़ी

भोपाल – भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) द्वारा सोमवार को पत्रकारवार्ता कर मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में NRI कोटे से प्रवेश में करोड़ों के फर्जीवाड़े का खुलासा किए जाने के बाद अब बड़ा असर देखने को मिला है।

डीजीआईएस की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) ने नोटिस जारी कर जानकारी दी है कि एनएमसी द्वारा भेजी गई नई मान्यता प्राप्त सीटों को यूजी काउंसलिंग 2025 के दूसरे राउंड के सीट मैट्रिक्स में जोड़ा जा रहा है। साथ ही NRI सीटों पर प्रथम चरण में हुई प्रवेश प्रक्रिया के दस्तावेजों की गहन जांच भी जारी है। इसी कारण सक्षम प्राधिकारी ने यूजी काउंसलिंग 2025 के दूसरे राउंड की निर्धारित तिथि को अगले आदेश तक आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।

मप्र कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने आरोप लगाया था कि NRI कोटे में फर्जी स्पॉन्सर सर्टिफिकेट, फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र और सुप्रीम कोर्ट आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए करोड़ों की अवैध वसूली की गई है। इस घोटाले की गूंज के बाद मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ( एमसीसी ) को NRI दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया पर पुनर्विचार करना पड़ा है।

एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि यह एनएसयूआई की लड़ाई का प्रारंभिक परिणाम है। मेडिकल काउंसलिंग कमेटी का कदम साबित करता है कि हमारे आरोप तथ्यात्मक और गंभीर थे। लेकिन केवल काउंसलिंग टालना पर्याप्त नहीं है। जब तक फर्जी प्रवेश निरस्त कर दोषियों पर FIR दर्ज नहीं होती, तब तक एनएसयूआई छात्रों के भविष्य की रक्षा हेतु संघर्षरत रहेगा।

जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC), जो देश के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे एम्स सहित अन्य संस्थानों की काउंसलिंग कराती है, उसने प्रथम चरण में NRI सीटों पर प्रवेशित हुए छात्रों के दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है,एवं स्पष्ट रूप से आदेश जारी किया है कि NRI प्रवेशित छात्र, छात्राओं के दस्तावेज जांच के कारण ही काउंसलिंग आगे बढ़ाई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब राष्ट्रीय स्तर पर दस्तावेजों की जांच की जा रही है, तो मध्यप्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग और डीएमई क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं?वह MCC के अनुसार काउंसलिंग के नोटिस तो जारी कर रहे है पर उसमें NRI प्रवेशित छात्र,छात्राओं के दस्तावेज जांच के कोई आदेश जारी नहीं कर रहे है इससे साफ स्पष्ट होता है कि डीएमई की मिलीभगत निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के संचालकों के साथ है और इसी सांठगांठ के चलते NRI कोटे की सीटों पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।

एनएसयूआई की मांगे –

1. NRI सीटों पर पूर्व वर्षों और प्रथम चरण में हुए सभी प्रवेश की पूरी जांच STF से हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में हो।
2. सभी दस्तावेज सार्वजनिक पोर्टल पर अपलोड किए जाएं।
3. दोषी कॉलेज संचालकों और अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की जाए।

रवि परमार ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र और ठोस कदम नहीं उठाए गए तो संगठन सड़क से सदन तक उग्र आंदोलन करेगा और छात्रहित में जरूरत पड़ेगी तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्यायिक लड़ाई भी लड़ेगा ।

 

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