मध्य प्रदेश

उड़ीसा के गोटिपुआ नृत्य में लड़के ही लड़कियों का भेष धारण कर भगवान जगन्नाथ की यात्रा के अवसर पर नृत्य सभा करते हैं

भोपाल। जनजातीय जीवन, देशज ज्ञान परम्परा और सौन्दर्यबोध एकाग्र मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के ग्यारहवें वर्षगाँठ समारोह का ’महुआ महोत्सव’ के तीसरे दिवस 8 जून, 2024 को कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे द्वारा कलाकारों के स्वागत से किया गया। इसके बाद महोत्सव में श्री विनोद मिश्रा एवं साथी, सतना और सुश्री कल्याणी मिश्रा, रीवा द्वारा बघेलखण्ड के लोक संगीत की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने हमरी सुना अब टेर हो (गणेश वंदना)… बारह बरस लड़कईयां (बेलनहाई )… सुना ओ प्यारी सखियां (गारी)… अईसे रसीले महुआ (महुआ गीत)… तोरी ऊंची पहड़िया पर बनी रे मडुलिया (भगत)… जैसे अन्य कई लोक गीतों की प्रस्तुति दी गई।

महोत्सव के अगले सत्र में लामूलाल एवं साथी, अनूपपुर द्वारा गुदुमबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गोण्ड की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ गीतों की धुनों पर वादन एवं नर्तन किया जाता है। विशेषकर विवाह एवं आनुष्ठानिक अवसरों पर इस नृत्य के कलाकारों अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं।

वहीं पद्मश्री श्री अर्जुन सिंह धुर्वे द्वारा बैगा जनजातीय नृत्य घोड़ी पैठाई / परघौनी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बैगा समुदाय के द्वारा विभिन्न अवसरों पर करमा, दशहरा, बिलमा, परघौनी, घोड़ी पैठाई जैसे नृत्य किये जाते हैं। दशहरे के अवसर पर विशेष रूप से घोड़ी पैठाई नृत्य किया जाता है। ‘परघौनी नृत्य’ विवाह के अवसर पर बारात की अगवानी के समय किया जाता है। इसी अवसर पर वर पक्ष की ओर से आँगन में हाथी बनाकर नचाया जाता है,जो यह संकेत करता है कि इसमें प्रसन्नता की अभिव्यक्ति ही मुख्य ध्येय है, लालित्य की चेष्ठा गौण।

वहीं महोत्सव में ओड़िसा राज्य की नृत्य प्रस्तुतियाँ हुई , जिसमें श्री हरिपदा मोहंता एवं साथी द्वारा छाऊ नृत्य की प्रस्तुति दी गई। छाऊ नृत्य मुख्य रूप से त्योहारों के अवसर पर प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें पूरा समुदाय भाग लेता है। नृत्य में युद्ध कौशल एवं पशु की गतियाँ भी बारीकि से प्रदर्शित की जाती है, जिसके लिए नृत्य में विशेष तरह का मुखौटा इस्तेमाल होता है। नृत्य-संगीत और मुखौटा बनाने की इनकी कला पारंपरिक रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी अंतरित होती चली आ रही है।

इसके बाद श्री राजेन्द्र महापात्रा एवं साथी द्वारा शंखध्वनि नृत्य की प्रस्तुति दी। शंख की ध्वनि को मंगलकारी माना जाता है और इस नृत्य में शंख ध्वनि के साथ शारीरिक सौष्ठव एवं मुद्राओं के प्रदर्शन वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं। शंख के अतिरिक्त चंगू-बाजा और माहुरी वाद्ययंत्र भी शामिल रहते हैं।

अगले क्रम में श्री चन्द्रमणि प्रधान एवं साथी द्वारा गोटीपुआ नृत्य संयोजित किया गया। गोटिपुआ का अर्थ है- एक लड़का । इस नृत्य में प्रायः लड़के ही लड़कियों का भेष धारण कर भगवान जगन्नाथ की यात्रा के अवसर पर नृत्य सभा करते हैं। विभिन्न आंगिक मुद्राओं के माध्यम से श्रीकृष्ण लीलाओं को भाव-भंगिमाओं के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

महोत्सव में श्री गौरांग नायक एवं साथी द्वारा पाइका नृत्य की प्रस्तुति दी गई। झारखंड, उड़ीसा, बिहार राज्य में किया जाने वाला यह एक युद्ध-नृत्य है। यह नर्तकों के कौशल और अस्त्र-शस्त्र को संभालने की क्षमता प्रदर्शन है, जो शारीरिक उत्तेजना और आंतरिक साहस को बढ़ाने की गतिविधि मानी जाती है। पूर्व समय में यह नृत्य राजकीय सैनिकों द्वारा किया जाता था।

मेले में दोपहर 2 बजे से विभिन्न राज्यों के शिल्पों के प्रदर्शन एवं विक्रय किया जा रहा है। मेले में पांच राज्यों के पारंपरिक शिल्पियों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें बाँस, धातु, कपड़ा, ज्वैलरी, खराद, दरी एवं अन्य शिल्प शामिल हैं। वहीं व्यंजन मेले में भी मध्यप्रदेश के साथ ही गुजरात, उड़ीसा, मणिपुर के व्यंजनकारों द्वारा सुस्वादु व्यंजनों का प्रदर्शन सह-विक्रय किया जा रहा है।

साथ ही बच्चों के लिये कठपुतली प्रदर्शन भी किया जा रहा है, जिसमें श्री मुकेश भारती एवं साथी, भोपाल द्वारा प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने कठपुतली कला में धागा शैली पर आधारित प्रस्तुति दी। भारत के कई राज्यों में कठपुतली कला की प्राचीन परंपरा रही है, जिसमें धागा, छड़, छाया और दस्ताना पुतली की शैलियाँ देखने को मिलती हैं। इस वर्षगाँठ समारोह में बच्चों के लिये विशेष रूप से कठपुतली कला प्रदर्शन की प्रस्तुतियाँ संयोजित की जा रही हैं।

अन्य राज्यों के नृत्यों की प्रस्तुतियाँ
महुआ महोत्सव अंतर्गत 7 से 10 जून, 2024 तक प्रतिदिन शाम 6.30 बजे से मध्यप्रदेश के लोक संगीत के साथ-साथ गुजरात, तेलंगाना, उड़ीसा एवं मणिपुर राज्यों की विभिन्न नृत्य प्रस्तुतियाँ संयोजित की जायेगी।

आज होंगी ये प्रस्तुतियाँ

09 जून, 2024
निमाड़ का लोक संगीत
तेलंगाना राज्य की नृत्य प्रस्तुतियाँ
कुंता सदैया एवं साथी द्वारा ओगूढोलू नृत्य
पापा राव एवं साथी द्वारा कोमूकोया नृत्य
पी. वाणी एवं साथी द्वारा बोनालू नृत्य
राजू गक्कुला एवं साथी द्वारा लम्बाड़ी नृत्य

10 जून, 2024
मणिपुर राज्य की नृत्य-गायन प्रस्तुतियाँ
श्री नामीराकपम टिकेन एवं साथी, मणिपुर द्वारा मणिपुर लोक संगीत, लाई हरोबा, थांग-टा, पुंग चोलम, ढोल ढोलक चोलम, बसंत रास)

मध्यप्रदेश की जनजातीय नृत्य प्रस्तुतियाँ
09 जून, 2024
गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य
श्री लामूलाल धुर्वे एवं साथी-अनूपपुर
बैगा जनजातीय करमा, घोड़ीपैठाई, परधौनी नृत्य
श्री अर्जुनसिंह धुर्वे एवं साथी-डिण्डोरी

10 जून, 2024
सहरिया जनजातीय लहंगी नृत्य
श्री रामलखन आदिवासी एवं साथी-श्योपुर
भील जनजातीय भगोरिया नृत्य
श्री मनीष सिसोदिया एवं साथी-धार
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