
सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2026 जैसे-जैसे करीब आ रही है, छात्रों के लिए तैयारी के हर बिंदु पर फोकस करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है. शेष रह गये दिनों में छात्र किन पांच तरीकों को अपना कर तैयारी को मजबूत बना सकते हैं, बता रहे हैं आकाश एजुकेशनल सर्विसिज लिमिटेड, बिहार एवं झारखंड
सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों के लिए बचे हुए समय में तैयारी से जुड़ी किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है और अभिभावक इस दौरान अपने बच्चों को अच्छा परफॉर्म करने के लिए कैसे सपोर्ट कर सकते हैं, जानें इस बारे में…
एनसीईआरटी की किताबों को पूरा पढ़ें
सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में एनसीइआरटी की किताबों के अध्ययन को सफलता की नींव माना जाता है. बेहतर होगा की आप इन किताबों का कम-से-कम दो बार रिवीजन करें. मुख्य पाठ के साथ-साथ इन-टेक्स्ट प्रश्न, बॉक्स में दी गयी जानकारी, डायग्राम, ग्राफ और डेटा टेबल पर भी पूरा ध्यान दें.
तय समय में हल करें पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र
परीक्षा के दौरान टाइम मैनेजमेंट की कमी के चलते कई छात्रों के प्रश्न छूट जाते हैं. इससे बचने के लिए अभी से स्टॉपवॉच का उपयोग करके ढाई घंटे में पूराने प्रश्न पत्र को हल करने का प्रयास करें और आधा घंटा लिखे गये उत्तरों को री-चेक करने के लिए रखें. इससे आप निर्धारित समय में पूरा पेपर हल करने का अभ्यास कर पायेंगे.
रटें नहीं, कांसेप्ट को समझें
सीबीएसई अब छात्रों की समझ, विश्लेषण और निर्णय क्षमता का मूल्यांकन भी करता है. ऐसे में रट कर याद करने की बजाय, फॉर्मूले एवं परिभाषा को समझने का प्रयास करें. जटिल परिभाषाओं को समझने के लिए फ्लोचार्ट या माइंड मैप्स का उपयोग करें.
स्टेप-बाई-स्टेप लिखें उत्तर
हर विषय के प्रश्नों को उसकी आवश्यकता के अनुसार तैयार करें. मैथ्स एवं फिजिक्स के प्रश्नों को हल करते समय फॉर्मूलों के लिए मार्जिन छोड़ें और मुख्य शब्दों को अंडरलाइन करें. न्यूमेरिकल्स में हर स्टेप के साथ यूनिट्स लिखें. ह्यूमैनिटीज में छोटे पैराग्राफ और सब-हेडिंग का उपयोग करें.
बार-बार करें रिवीजन
परीक्षा से पहले हर अध्याय को लगभग तीन बार रिवाइज करें. पहला-पढ़ने के 24 घंटे के अंदर, दूसरा-एक सप्ताह बाद और तीसरा-परीक्षा से पहले. फॉर्मूले, डायग्राम और महत्वपूर्ण तिथियों के रिवीजन के लिए एक ‘लास्ट-मिनट रजिस्टर’ बनाएं और हर दिन इनका रिवीजन करें.
अभिभावक छात्रों पर न बनने दें प्रेशर
बोर्ड परीक्षा की तैयारी को लेकर छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों में भी तनाव देखने को मिलता है. अभिभावकों को चाहिए कि वेधर का माहौल स्वस्थ रखें. बच्चों के लिए समय निकाले और उन पर परीक्षा को लेकर किसी प्रकार का दबाव न बनने दें. यदि उन्हें किसी विषय में समस्या है, तो अध्यापकों की मदद से उस समस्या को हल करने का प्रयास करें. उन्हें अच्छा परफॉर्म करने के लिए प्रेशराइज नहीं, बल्कि प्रेरित करें.




