मध्य प्रदेश

प्राचीन मंदिर तोड़ने पर आक्रोश

नर्मदा किनारे भिलाड़िया घाट पर बना प्राचीन मंदिर शिवपार्वती मन्दिर आजादी के पूर्व से बना था जिसे 125 साल से भी अघिक हो गए थे जिसके संथापक सन्त गंगाराम जी भरलाय वाले थे
शिव मंदिर तोड़ने पर आक्रोश

यह मंदिर शिवपुर के निवासी गुलाब व रामविलास सोलंकी ने तोड़ दिया है

जिसके कारण उनके शिष्य व परिवार वालों ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया

यह मंदिर समाज को समर्पित था मन्दिर सुंदर अच्छा था

एक और भारत सरकार लोकमाता अहिल्या पर्व मना रही है
देवी अहिल्या कि प्राचीन धरोहर को सहेज रही है

इधर जांगड़ा समाज की प्राचीन धरोहर को तोड़ दिया गया है

वही शिवपुर के गुलाब व रामविलास ने मिलकर निजी मन्दिर बना रहे हैं

जिसका लोकार्पण दिनांक 4 एवं 5 जून 2025 को रखा है

पूर्व के प्राचीन मंदिर का नाम शिव मंदिर था
जिसमे शिव पार्वती गणेश पूरा परिवार विराजित था
इस मंदिर को तोड़कर

निजी मन्दिर अपने जीते जी अपने नाम
गुलाब मन्दिर नाम रखा है और मन्दिर निजी बता रहा है

जबकि यह मंदिर के वे जिर्णोउद्धार कर्ता में नाम कर सकते है
वही मन्दिर का नाम पूर्व में जो था वही हो
पूर्व की जो मूर्ति थी वही हो

पर नये मंदिर में सभी मूर्तिया शिव परिवार की न होकर अलग अलग है

साथ ही जो पूर्व मन्दिर तोड़ा उस मन्दिर के गर्भगृह में पूर्व में शिव परिवार विराजित थे

जहाँ
वर्षों से पूजा की जाती थी जहाँ हजारों लोगों ने अपना मत्था टेका था
वह स्थान
अब नए मन्दिर के पैरों की सीढ़ी बना दी
जिसपर पैर रखकर अब चढ़ने वाला स्थान बन गया है
यह पूर्व स्थान पूजनीय था

मन्दिर को लेकर सन्त गंगाराम के शिष्यों व परिवार के लोग नव निर्माण कर्ता गुलाब व रामविलास को मिले समझाया वे नही माने

1 क्या समाज को समर्पित जगह मन्दिर एवं धरोहर को किसी निजी व्यक्ति को उनके निजी स्मृति में बनाने हेतु दिया जा सकता है
2 निर्माण कर्ता द्वारा समाज से पूर्व अनुमती मांगी गई तो कब
3 क्या मूल संस्थापक का नाम मिटाकर नये स्मृति ने सब कुछ मिटा देना सामाजिक है
4 जो पूर्व से समर्पित धरोहर है क्या उसे फिर कोई भी समर्पित कर सकता है
5 मन्दिर तोड़ने के पूर्व सन्त गंगाराम जी के शिष्य परिवार के सुझाब या परामर्श किया गया
सन्त गंगाराम जी 1905 स 1915 के बीच 3 बार परिक्रमा कर चुके 1916 में मन्दिर की स्थापना की
मन्दिर का 125 साल पुराना
इतिहास मिटाना न्याय संगत नही है
जांगड़ा समाज की प्राचीन धरोहर थी

सन्त गंगाराम जी के शिष्य आदि के पुत्रों को यह बात समय पर मालूम होती तो मन्दिर टूटने नही देते

यह जांगड़ा समाज के भीलट भान की तरह आस्था का केंद्र है वर्षों से सामाजिक बन्धु भिलाड़िया घाट जाते रहे है
गुलाब व रामविलास सौलंकी ने प्रश्न किया कि
यह मंदिर की जगह मंडलोई की है आपकी नही

जबकि यह मन्दिर 1947 की आजादी के पूर्व 1916 के वाद से कुल 125 वर्ष का है

इसलिए यह मंडलोई साहेब की जगह नही है
न कोई मालगुजारी बची
यह जमीन सरकारी है

सभी मन्दिर इसी तरह बने है

केवल हमारे समाज का मंदिर ही मंडलोई की जगह का नही
है

मंडलोई जी भी पूर्व के प्राचीन मंदिर को तोड़कर
नये मन्दिर बनाने की अनुमति नही दे सकते

जबकि पूर्व में रखे गए पुजारी को सरकारी आवास जारी किया गया है
आगर समाज पुजारी नही रखती तो उन्हें मकान नही मिल सकता था

समाज ज़न ने अपील कि है कि अपने जीते जी गुलाब मन्दिर
समाज तो क्या किसी को भी स्वीकार नही है
पूर्व मन्दिर का नाम व संस्थापक सन्त गंगाराम का ही नाम रहे
इनके द्वारा मन्दिर तोड़कर निजी मन्दिर बनने से समाज मे आक्रोश है
सन्त गंगाराम के परिजन व शिष्य परिवार ने समाज के अध्यक्ष को लिखित शिकायत कि वही सांसद महोदय दर्शन सिंह चौधरी नर्मदापुरम को भी लिखित शिकायत कि वही समाज के अध्यक्ष राजेश बाँधेवाल को भी पत्र दिया

वही नव निर्माण कर्ता गुलाब को खूब समझया उन्हें गंगाराम के पूर्व शिष्य हौआ दादा पुत्र रामसिंह बकोरिया जी ,रत्नमण्डवी जी विसोनि कमलसिंह चौधरी नर्मदापुरम शालिकराम चौधरी बुरहानपुर ने भी भिलाड़िया घाट जाकर प्रत्येक्ष समझया
की यह समाज की सम्पत्ति है इसे निजी न करे
यह जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति में अपने माता पिता इस मन्दिर के पूर्व पुजारी प्रहलाद सिंह के पुत्र शालिकराम चौधरी ने दी और कहा कि में पुरातत्व पर्यटन एवं सँस्कृति परिषद का सदस्य हु पर अपनी ही धरोहर को गिराने से नही बचा जो दुनिया कि धरोहर सम्हालने का कार्य करता हु उन्होंने माँग की यह समाज को समर्पित धरोहर है इसे समाज के पदाधिकारी द्वारा ही इसे हल करने की मांग की

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