प्रणवाक्षर “ऊं” के द्वारा ही होता है प्राणी का भोले शिव से साक्षात्कार :पं०सुशील
ऊं के अधीन हैं ब्रहमां, बिष्णु, महेश)
(ऊं के अधीन हैं ब्रहमां, बिष्णु, महेश
आज दिनांक 5-8-2024 को श्री दुर्गा मंदिर देवकी नगर भोपाल में श्री शिव महापुराण की कथा का वाचन कथावाचक पं०सुशील महाराज द्वारा किया गया है।उन्होंने श्रृष्टि रचना का प्रसंग सुनाते हुये श्रोताओं को बताया कि एक वार आदि शिव शिवा के साथ बैठे थे।तभी उनके मन में श्रृष्टि का निर्माण करने का विचार आया।और उन्होंने श्री बिष्णु को उत्पन्न किया । तब श्री बिष्णु के कमल नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई ।फिर ब्रह्मा और बिष्णु के बीच छोटे-बडे को लेकर युद्ध छिड गया।जैसे ही यह खबर आदि शिव को मिली वह ब्रह्मां और बिष्णु के बीच स्तम्भ लिंग के रुप में विशालकाय आकार में प्रगट हो गये।उसी समय इस बीजाक्षर मंत्र “ऊं” की ध्वनि सारे संशार में गूंजी।और यही ऊं उस स्तम्भ लिंग में अंकित हो गया।इसके बाद नम:शिवाय मंत्र उसी समय प्रकट हुआ।ऊं एवं नम:शिवाय दोनों को मिलाकर षटाक्षर मंत्र “ऊं नम:शिवाय ” बनता है।इसी को जपने से सारे संशार का कल्याण होता है । श्री शिवाय वोलकर भोले शिव की स्तुति करना चाहिए । यह घटना घटित होने के बाद ब्रह्मा हंस सबारी से आकाश लोक की तरफ एवं बिष्णु पाताल लोक की ओर सूकर रूप धारण करके एक हजार वर्ष तक उस स्तम्भ लिंग का छोर ढूंढते रहे जब छोर नहीं मिला।तब ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को शिवलिंग का छोर बता दिया । तब भोले शिव ने अपनी जटा से भैरव को प्रकट किया।भैरव ने ब्रह्मा का वह शीष काट दिया । जिससे उन्होंने झूंठ वोला था।इसके बाद शिव अर्द्धनारीश्वर रुप में प्रगट हुये।और ब्रह्मा जी से मैथुनी श्रृष्टि की रचना करने का सुझाव दिया । तब ब्रह्मा जी ने अपने शरीर को दो भागों में बांट दिया ।वायें भाग से शतरूपा और दायें भाग से मनु की उत्पत्ति हुई ।और इनके द्वारा ही सारी श्रृष्टी का निर्माण हुआ है ।अपने कल्याण के लिए इस “ऊ” बीज महामंत्र का जाप हरदम ब्रहमां बिष्णु और महेश करते हैं ।आदि शिव का रुद्र रूप में अंशावतार श्री ब्रह्मा के शीष से हुआ था । जो भोला,शंकर आदि नामों से प्रसिद्ध हुये हैं । शिव निराकार ब्रहम हैँ । एवं ब्रहमां, बिष्णु,महेश साकार ब्रहम हैँ ।श्री श्यामसुंदर शर्मा जी ने भोले शिव का रूद्राभिषेक किया।पं०लोचन शास्त्री ने महिलाओं की थाली सजाये गये मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करवाई गई।श्री प्रकाश यादव ने श्री शिव महापुराण कि आरती उतारि।उनके सहयोगी जन श्री लल्ला सिंह राजपूत,श्री निलेश नामदेव ,श्री अंकित शर्मा ,चेतन एवं गौरांश व पार्थ आदि के द्वारा श्री शिवमहापुराण पुस्तक कि पूजा कि गई।
(पं०सुशील महाराज)
कथाबाचक एवं पीठाचार्य
श्री शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट भोपाल