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तुम्हारी भी जय जय,हमारी भी जय जय

व्यंग्य

तुम्हारी भी जय जय,हमारी भी जय जय

● रवि उपाध्याय

18 वीं लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद शाम को जब हम चना-चिरौंजी लेकर हनुमान मंदिर पहुंचे तो वहाँ हम को छेदीलाल जी मिल गए ।आपको इनके बारे में बता दें कि वे भी आम हिंदुस्तानी की तरह राजनीति और सियासी बहस में खासा इंट्रेस्ट रखते हैं। छेदीलाल जी 50 पार हैं लेकिन 400 पार पर बिना रुके घंटों सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की डिबेट कर सकते हैं। न्यूज़ चैनलों पर इन दिनों जिस तरह की बहस होती है और वहां प्रवक्ता जैसे तीतरों की तरह लड़ते हैं वे बिना लड़े उससे भी बेहतर और सकारात्मक बहस कर लेते हैं।

मंदिर में जैसे ही हमारी नजरें एक दूसरे से मिलीं हमने उन्हें इशारे से बुला लिया । एक दूसरे से नमस्कार-चमत्कार के बाद छेदीलाल जी हमारा हाथ पकड़ कर बोले भाई साहब हमारे देश की जनता बहुत ही चतुर और सयानी है। यहां सदियों से लोकतंत्र जीवंत रहा है । यहां का मतदाता भी जीवंत है। लोकसभा के परिणाम से यह साबित हो गया है कि यहां के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री मोदी ने उस नारे या सूत्र ‘सब का साथ, सब का विकास और सब का प्रयास ‘ को अपने अंतर्मन में ऐसे आत्मसात कर लिया जैसे दूध में पानी आत्मसात कर लेता है। भाई साहब इसकी झलक लोकसभा के चुनाव परिणामों में स्पष्ट परिलक्षित होती है।

इससे पहले कि छेदीलाल एक्सप्रेस वंदे भारत की तरह धड़ा -धड़, धड़ा-धड़ पटरी पर दौड़ने लगे हमने उन्हें लाल झंडी दिखा कर पूछ लिया छेदीलाल जी वोटर तो मौन था फिर ये उलट फेर कैसे हुआ। वे बोले जब नेता खटाखट फटाफट बोल रहा था तब वोटर उन्हें तोल रहा था और जब मौका आया तो उसने ईवीएम को खूब चीं बुलावा दिया। जब चुनावी रिजल्ट आए तो EVM (ईवीएम) ने नेताओं की बोलती बंद कर उनके वोटिंग मशीन के झूठे नैरेटिव की हवा ही निकाल दी।

मतदाता ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ सूत्र वाक्य इस तरह घोल कर पी लिया कि उसने वोट देते समय ऐसे वोट दिया कि जिस पाल्टी वाले के पास 5 सीट थी उसे 37 सीटों से मालामाल कर दिया है। जिस भाई ने एक नहीं 2-2 बार उत्तर से दक्खिन और पूरब से पच्छिम को (बकौल उन्हीं के गाय, बैल, गधे घोड़ों और कुत्तों के साथ) नाप डाला था उन्हें नर्वस 99 का शिकार बना डाला और जो सफलता के घोड़े पर सवार हो कर 400 पार उड़ने का आसमानी सुल्तानी ख्वाब देख रहे थे उन्हें दिन में ही तारे दिखा डाले।

छेदीलाल बोले भाई साहब, मतदाता ने अपने वोट का इतनी चतुराई से और जादुई उपयोग किया कि सभी पक्ष, तुम्हारी भी जय -जय हमारी भी जय- जय, न तुम जीते न हम हारे, स्टाइल में खुश हो गए। बाहरी रुप से तो वह खिलखिला रहे थे लेकिन अंदर ही अंदर उनके मन उदासी से भरा होगा। अंदर ही अंदर मन गा रहा होगा ” तक़दीर का फसाना किस को जा सुनाएं इस दिल में जल रहीं हैं अरमान की चिताएं।” लाल टोपी वालों को भी मतदाता ने 37 पासिंग मार्क्स देकर थर्ड डिवीजन पास कर कुछ यूं खुश कर दिया कि टोपी की लाली उनके गालों पर छा गई। लेकिन मतदाता ने किसी को भी ज्यादा उड़ने लायक नहीं बनने दिया।

इंडिया एक्सप्रेस के पायलट इसलिए खुश हैं कि जिस एक दशक पुराने बैटरी वाहन को 400 किमी पार जाना था उसकी बैटरी 292 पर ही डिस्चार्ज हो गई। जिनकी गाड़ी 292 पर ही गरम हो कर रुकी वो इस बात से खुश हैं कि अगला 99 के फेर में ऐसा पड़ा कि शतक भी नहीं बना पाया। यानि मतदाता ने किसी को भी निराश नहीं किया सब को थोड़ा-थोड़ा यथा योग्य बांट कर खुश करने का प्रयास किया। सब का साथ दिया और सब पार्टियों का विकास किया। साथ ही यह भी संदेश दिया कि देश की तरक्की के लिए सभी दल मिल कर प्रयास करें न कि संसद को अखाड़ा बनाएं।

छेदीलाल जी ने कहा कि भाई साहब इन पार्टी वालों को देश के मतदाताओं ने सभी पार्टियों को एक तरह से यह एक और मौका दिया है कि वे मतदाताओं की चाहत और उनकी इच्छाओं का सम्मान कर देश को विकास पथ पर तेजी से अग्रसर करने में मन-वचन और कर्म से सहयोग करें।
वरना यहां हर साल तो चुनाव होते ही रहते हैं।जनता का रोजनामचा खुला ही रहता है। कनकौआ उड़ा कर हर बार जीत नहीं मिल सकती।

( लेखक व्यंगकार एवं राजनैतिक समीक्षक हैं )

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