‘कमाल का भोपाल’ अभियान अब सरकार और नागरिकों का साझा संकल्प
मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद अभियान को नागरिकों से मिल रहा है व्यापक समर्थन

राजधानी भोपाल को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में ‘कमाल का भोपाल’ अभियान अब राज्य सरकार और नागरिकों की साझा पहल बन चुका है। मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव द्वारा अभियान पर हस्ताक्षर के बाद अब यह केवल एक विचार नहीं, बल्कि भोपाल के सुनहरे भविष्य की कार्ययोजना बन चुका है।“यह सिर्फ़ शहर की ब्रांडिंग नहीं, बल्कि भविष्य के लिए निवेश और विकास की नींव है।”
अब ‘कमाल का भोपाल’ एक नए मोड़ पर
— ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विशेष प्रस्तुति:
अभियान को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भोपाल की वैश्विक छवि स्थापित हो सके।
— औद्योगिक निवेश की नई योजना:
‘कमाल का भोपाल’ के प्रस्ताव को सरकार की औद्योगिक नीति में जुड़ सकते हैं , जिससे भोपाल के लॉजिस्टिक्स कैपिटल और स्मार्ट इंडस्ट्रीज़ के रूप में उभरने की संभावनाओं को बल मिलेगा।
— भोपाल की पहचान अब और मजबूत:
राजधानी की ऐतिहासिक धरोहर और आधुनिक विकास को मिलाकर एक नई वैश्विक छवि बनाने की दिशा में सरकार और नागरिक मिलकर काम करेंगे।
— राजधानी के गौरव को मान्यता:
भोपाल की तीन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स – भीमबेटका, सांची और भोजपुर को केंद्र में रखते हुए, राज्य सरकार पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की योजना बना सकती है।
“यह सिर्फ़ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि भोपाल के भविष्य का ब्लूप्रिंट है।” अब यह अभियान नागरिकों की भागीदारी से राजधानी के गौरव और विकास को नई ऊँचाई देने का आंदोलन बन चुका है।
अभियान को पहचान दिलाने वाले मनोज मीक ने भोपाल के पांच अनूठे वैश्विक पहचान बिंदुओं को बख़ूबी नागरिकों तक पहुंचाया है :
1. पाषाण कालीन शैल चित्र :
सुप्रसिद्ध रॉक पेंटिंग्स भोपाल राजधानी क्षेत्र को 30,000 से 1,00,000 वर्ष पुराने निवास योग्य स्थान के रूप में प्रमाणिकता से स्थापित करती हैं।
2. राजा भोज की जीवित स्थापत्य योजना : पुराने भोपाल का चौक क्षेत्र 1010 ईस्वी में स्थापित प्राचीन वैदिक नगर योजना है, जिसका विन्यास विद्वान राजा भोज के ग्रंथ समरांगण सूत्रधार में प्रमाणिक रूप से दर्ज है।
3. देश के दिल की धड़कन : भोपाल के 500 किलोमीटर के दायरे में सर्वाधिक अर्बन फुटप्रिंट हैं, भोपाल देश का सबसे बड़ा लैंडलॉक क्षेत्र है, गूगल अर्थ रिसर्च में यह प्रमाणित तथ्य है। अर्थात् भोपाल लॉजिस्टिक केपिटल घोषित किया जा सकता है
4. संस्कृति और प्रकृति का संगम :
भोपाल एकमात्र राजधानी क्षेत्र है जहां दो यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स: और एक प्रस्तावित वर्ल्ड हेरिटेज भोजेश्वर मंदिर साइट, रॉक पेंटिंग्स तथा सांची स्तूप, एक टाइगर रिजर्व रातापानी और एक अनूठे अर्बन नेशनल पार्क वन विहार का अद्वितीय संयोग है।
5. भोज वेटलैंड, रामसर साइट :
एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील और रामसर साइट, जो हर वर्ष हज़ारों प्रवासी पक्षियों के आगमन का केंद्र है। राजा भोज का यह विशाल भोजताल जल प्रबंधन, जैव विविधता और जलवायु संरक्षण पर उनके शोधपूर्ण कौशल का परिणाम है।
भोपाल को केवल बीते समय की नहीं, बल्कि आने वाले भविष्य की राजधानी बनाना हमारा संकल्प है। इस शहर की ऐतिहासिक और भौगोलिक खूबियों को पहचान दिलाने का समय आ गया है।
— सचिवालय, क्रेडाई भोपाल