कंस की उत्पत्ति राजा उग्रसेन से नहीं बल्कि द्रुमलिक नामक असुर से हुई:पंडित सुशील महाराज
धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

श्री शिव मंदिर रुसल्ली में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिवस आज आचार्य पंडित सुशील महाराज ने कंस की उत्पत्ति एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा श्रोताओं को सुनाई।पंडित सुशील महाराज ने कंस की उत्पत्ति के गूढ रहस्य को उजागर करते हुए श्रोताओं को बताया है। कि कंस की उत्पत्ति राजा उग्रसेन से नहीं हुई थी।बल्कि कंस की उत्पत्ति द्रुमलिक नामक असुर से हुई थी । अपनी सखियों के साथ राजा उग्रसेन की पत्नी पवन रेखा एक दिवस अपने बाग में घूमने के लिए गई थी । वहां पर द्रुमलिक नाम का असुर मौजूद था। वह पवन रेखा पर मोहित हो गया । और अग्रसेन का रूप बनाकर उसने पवन रेखा के साथ संभोग किया। जिसके कारण कंस की 9 माह बाद उत्पत्ति हुई। असुर के अंश से कंस की उत्पत्ति के कारण पैदा होते ही कंस ने खेल ही खेल में अनगिनत बालकों को मरवा दिया था । उसके इतने अत्याचार बढते गए कि वह अपनी प्रवृत्ति से महाअसुर बन गया था । सारे देवी -देवता भी उस असुर कंस से भयभीत थे । जब कंस अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करके उसकी विदा करने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई कि तू जिस बहन को बड़े खुशी से विदा करने जा रहा है । उसका आठवां लाल तेरा काल होगा । तब कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागृह में डलवा दिया। लेकिन देवकी के आठवें गर्व के समय श्री कृष्ण भगवान का प्रकट हुये।जैसे ही श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा पंडित सुशील महाराज ने सुनाई। वैसे ही वहां पर मौजूद सभी महिलाएं पुरुष नृत्य और गायन करने लगे। श्री कृष्ण जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया । तथा शुभारंभ में यजमान श्याम पाराशर ,रमेश साहू, कंचन पांडे, व प्रशांत कश्यप , द्वारा पंडित सुशील महाराज को पुष्पहार से सम्मानित किया। एवं श्रीमद् भागवत ग्रंथ की पूजा स्थिति की गई । भागवत कथा की आरती में श्री विजय सिंह संरक्षक कथा समिति, पं०श्रीकांत मिश्रा एवं श्री श्याम सुंदर शर्मा मार्गदर्शक, एवं भैरव सिंह रजक ,डॉक्टर श्याम सुंदर सिंह, ने श्रीमद् भागवत कथा की आरती उतारी। एवं शुभम पांडे अनूप पांडे तथा घनश्याम दास गुप्ता ने प्रसादी वितरण का कार्य संभाला।