अध्यात्मखबरमध्य प्रदेश

छल-कपट को छोड़कर सहज-सरल होने का नाम ही आर्जव धर्म है_ पं. अरविंद शास्त्री

श्री कल्याण मंदिर स्त्रोत विधान” का आज होगा सामूहिक आयोजन
दशलक्षण पर्व के तृतीय दिवस श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर साकेत नगर में पं. अरविन्द जी शास्त्री (रांची) ने उत्तम आर्जव धर्म पर अपने प्रवचनों में कहा कि-“छल-कपट को छोड़कर सहज-सरल होने का नाम ही आर्जव धर्म है। विचारों का ऋजु या सरल होना ही आर्जव धर्म है। जिस मनुष्य के ह्रदय में छल-कपट और मायाचार भरा हुआ हो, वह क्षणिक सफलता तो प्राप्त कर सकता है, परन्तु अंत में उसका पतन निश्चित है। निश्छल और सरल ह्रदय से ही मनुष्य समाज में विश्वसनीयता और सच्ची प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। आर्जव धर्म के परिपालन के लिए मान-कषाय (मायाचार) का त्याग आवश्यक है। आर्जव धर्म से मनुष्य का नैतिक विकास होता है। इस धर्म के परिपालन द्वारा भ्रष्टाचार जैसी विश्वव्यापी समस्या को समाप्त किया जा सकता है।”
हेमलता जैन ‘रचना’ ने बताया कि पर्युषण पर्व के अवसर पर बच्चों में धर्म के प्रति रूचि जगाने हेतु नित्य-नियम-पूजन-विधान, अभिषेक, शांतिधारा आदि धार्मिक क्रियाओं के साथ ही साँस्कृतिक कार्यक्रमों में रोजाना भिन्न-भिन्न प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जिसमें नन्हें-मुन्ने बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता के अंतर्गत धार्मिक वेशभूषा के विजेता ग्रुप ए में प्रथम दक्षिता जैन, द्वितीय वारिधि जैन, तृतीय तोषी जैन, नीरव जालोरी, ग्रुप बी में प्रथम अभिश्री जैन, द्वितीय रेयांश जैन, तृतीय संयम जैन एवं ग्रुप सी में प्रथम निर्जरा जैन, द्वितीय प्रभुता जैन, तृतीय हिया पंचोलिया रहे वहीं कहानी सुनाओ प्रतियोगिता में ग्रुप ए में प्रथम स्थान वारिधि, दूसरा अरायण, तीसरा विहान, ग्रुप बी में प्रथम अनव, दूसरा नीरव, तीसरा श्रद्धान, ग्रुप सी में प्रथम प्रभुता, द्वितीय निर्जरा तथा तीसरा स्थान अनय पंचोलिया ने प्राप्त किया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. पारुल जैन ने किया। जज की भूमिका डॉ. महेंद्र जैन तथा श्रीमती ललित मन्या जैन तथा शैलेन्द्र जैन मैनिट, एवं श्रीमती समता जैन जी ने निभाई। साकेत मंदिर अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने बताया कि आज रविवार दोपहर 2:30 बजे से साकेत नगर जैन मंदिर जी में सामूहिक “श्री कल्याण मंदिर स्त्रोत विधान” का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भोपाल शहर के सभी श्रद्धालु जन धर्मलाभ ले सकेंगे।

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