एजुकेशनमध्य प्रदेश

एलएनसीटी सभागार में मदन मोहन मालवीय के जीवन पर व्याख्यान संपन्न

भोपाल, 6 फरवरी 2025: भारत रत्न “महामना” पंडित मदन मोहन मालवीय जी के जीवन, विचारों और उनके देशहित में किए गए अमूल्य योगदान पर आधारित एक विशेष व्याख्यान एलएनसीटी विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम महामना जी के राष्ट्रनिर्माण में योगदान को याद करने और उनकी विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई और छात्रों ने बीएचयू का कुलगीत प्रस्तुत किया। इस आयोजन ने मदन मोहन मालवीय जी के विचारों को पुनः जीवित किया और उनके योगदान को न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया। वक्ताओ ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय न केवल एक महान शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति के एक महान संरक्षक भी थे। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की और भारतीय शिक्षा और समाज के लिए एक नई दिशा दी। पंडित जी ने शिक्षा, सामाजिक सुधार, राष्ट्रभक्ति और पत्रकारिता के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह सदैव याद रखा जाएगा। कार्यक्रम में वरिष्ठ विद्वानों और सुधीजन ने महामना के जीवन और उनके आदर्शों पर अपने विचार व्यक्त किए। इसके साथ ही, महामना मदन मोहन मालवीय की स्मृति में बने भवन के जीर्णोद्धार के लिए मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा गया। संगोष्ठी के समापन के बाद, मालवीय भवन के पुनः सौंपे जाने हेतु राज्यपाल मंगूभाई पटेल को एक पत्र भेजा गया। पत्र में उल्लेख किया गया कि मयूर पार्क स्थित मालवीय भवन, जो भारत रत्न मदन मोहन मालवीय जी की याद में बनवाया गया था, अब पीडब्ल्यूडी विभाग के नियंत्रण में है। इस भवन का उपयोग वर्तमान में असामाजिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। यहाँ कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है, जिससे यह स्थान असुरक्षित बन गया है। इस भवन में मालवीय जी की मूर्ति भी स्थापित है, जहाँ काशी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रगण नियमित रूप से माल्यार्पण करते हैं। पत्र में यह भी कहा गया कि पंडित मदन मोहन मालवीय के योगदान को देखते हुए, उन्हें मध्यप्रदेश के गौरव के रूप में सम्मानित किया जाना चाहिए। पंडित जी ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जैसे कि काशी विश्वविद्यालय की स्थापना, दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था, और स्काउट गाइड की स्थापना। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे, जिनकी सेवाओं को महात्मा गांधी ने महामना के रूप में सम्मानित किया। कार्यक्रम के अंत में, सभी उपस्थित वरिष्ठ विद्वानों और छात्रों ने एकजुट होकर महामना के योगदान को याद करते हुए सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की। इस अवसर पर डॉ. संजय गुप्ता, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. एके चौधरी, डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. लहरी, डॉ. जीके पाठक, डॉ. एम एम मिश्रा और डॉ. ओपी सिंह सहित कई अन्य विद्वान मौजूद थे।

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