अलीपुरद्वार के छोटे बच्चे की बड़ी फेफड़ों की सर्जरी के बाद मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर में चमत्कारिक रिकवरी


कोलकाता, 30 अक्टूबर 2025: अलीपुरद्वार के पाँच वर्षीय आर्य साहा (नाम परिवर्तित) ने मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर में बड़ी फेफड़ों की सर्जरी के बाद अद्भुत रूप से स्वास्थ्य लाभ किया है। भारत के अग्रणी हेल्थकेयर नेटवर्क, मणिपाल हॉस्पिटल्स ग्रुप की इस इकाई में आर्य का इलाज किया गया। उसे गंभीर दाहिनी ओर के प्ल्यूरल एम्पायमा (फेफड़ों और छाती की दीवार के बीच पस जमा होने वाली एक गंभीर बीमारी) से पीड़ित पाया गया था। इस जटिल केस का सफल प्रबंधन किया गया डॉ. सुभाषिस साहा, कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक सर्जरी, और डॉ. सायंतन भौमिक, एसोसिएट कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर की देखरेख में।
आर्य को लगभग एक सप्ताह से तेज बुखार और सांस लेने में परेशानी थी। पहले उसे उत्तर बंगाल के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर उसे विशेष बाल-चिकित्सा सुविधा के लिए मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर रेफर किया गया। अस्पताल पहुंचने पर उसकी हालत बहुत गंभीर थी, क्योंकि फेफड़ों के पास जमा संक्रमित तरल उसके दाहिने फेफड़े को दबा रहा था, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया था। तुरंत स्थिर करने के बाद डॉक्टरों की टीम ने वीडियो-असिस्टेड थोरेकोस्कोपिक सर्जरी (VATS) करने का निर्णय लिया — यह एक कम चीरे वाली आधुनिक तकनीक है, जिससे पस को बाहर निकालकर फेफड़े को फिर से फैलने में मदद मिलती है।
सर्जरी के बाद आर्य को लगभग दस दिनों तक वेंटिलेटर (सांस लेने की मशीन) पर रखना पड़ा, क्योंकि उसका फेफड़ा तुरंत पूरी तरह नहीं फैला और उसमें “न्यूमोथोरैक्स” (फेफड़े में हवा का रिसाव) हो गया था। इस दौरान डॉ. सौमेन मौर, सीनियर कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर, और डॉ. मोनिदीपा दत्ता, कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर की टीम ने चौबीसों घंटे निगरानी रखी। सावधानीपूर्वक वेंटिलेशन तकनीक, संक्रमण नियंत्रण और फेफड़ों को सुरक्षित रखने वाली फिजियोथेरेपी के माध्यम से धीरे-धीरे फेफड़ा ठीक हुआ, हवा का रिसाव बंद हुआ और अंततः आर्य पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट गया।
मामले पर बोलते हुए डॉ. सुभाषिस साहा ने कहा, “बच्चों में एम्पायमा बहुत तेजी से बढ़ सकता है और समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है। आर्य के मामले में, जल्दी की गई वीएटीएस सर्जरी बेहद जरूरी थी, जिससे संक्रमण हटाया जा सके और फेफड़ा दोबारा सामान्य रूप से काम करने लगे। बाल शल्य चिकित्सा सिर्फ सटीकता की बात नहीं है, यह परिवार की चिंता और डर को समझने की बात भी है। हमारी टीम ने हर कदम पर माता-पिता को भरोसा दिलाया और पूरी जानकारी दी। बच्चे को फिर से मुस्कुराते और खेलते देखना हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी है।”
डॉ. सायंतन भौमिक ने कहा, “जब कोई बच्चा इतनी गंभीर फेफड़ों की बीमारी के साथ आता है, तो हर मिनट कीमती होता है। आर्य के फेफड़े पस से भर गए थे, जिससे वह सांस नहीं ले पा रहा था। हमने सबसे पहले वीएटीएस सर्जरी कर पस निकाला ताकि फेफड़ा फिर से काम कर सके। वेंटिलेटर पर रहने के दौरान हमने उसके ऑक्सीजन स्तर, संक्रमण नियंत्रण और दवाओं पर लगातार नजर रखी। इस केस से साबित होता है कि समय पर सर्जरी, टीमवर्क और चौबीसों घंटे की देखभाल से बच्चे की जान बचाई जा सकती है।”
आर्य की मां ने कहा, “अपने छोटे बच्चे को सात दिनों तक तेज बुखार और सांस लेने की तकलीफ में तड़पते देखना बहुत दर्दनाक था। स्थानीय इलाज से कोई सुधार नहीं हुआ, इसलिए हम मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर पहुंचे। यहां के डॉक्टर और नर्स बेहद सहृदय और शांत थे, उन्होंने हर कदम पर हमें जानकारी दी और हमारे बेटे को आराम देने की पूरी कोशिश की। उनकी मेहनत और समर्पण से आज हमारा बेटा पूरी तरह स्वस्थ है और पहले की तरह खेल रहा है। हम हमेशा इस टीम के प्रति आभारी रहेंगे, जिन्होंने हमारे बेटे को नई जिंदगी दी।”
यह सफलता मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर की उत्कृष्ट बाल श्वसन और क्रिटिकल केयर सेवाओं का प्रमाण है, जहाँ पल्मोनोलॉजी, इंटेंसिव केयर और पीडियाट्रिक सर्जरी विभागों के बीच करीबी तालमेल से सबसे कठिन मामलों में भी बच्चों को जीवनदान मिल रहा है।

