ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक कदम : कुशवाहा
माननीय उच्च न्यायालय में तर्कसंगत पक्ष रखने हेतु अन्य पिछड़े वर्ग की महा पंचायत बुलायें सरकार: राम विश्वास कुशवाहा
भोपाल, अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राम विश्वास कुशवाहा ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में दो सप्ताह में राज्य सरकार से जनसंख्या के आधार पर जबाव मांगने के फैसले को ऐतिहासिक कदम निरूपित करते हुए प्रदेश के ओजस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी से पुरजोर अपील की है, कि माननीय उच्च न्यायालय में जबाव प्रस्तुत करने से पहले अन्य पिछड़े वर्ग की महा पंचायत मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कर ओबीसी की महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान हेतु ओबीसी सामाजिक संगठनों से भी परामर्श किया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा यदि ओबीसी की महापंचायत कर ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में ओबीसी के प्रमुख सामाजिक संगठनों का पक्ष जानेंगे तो आरक्षण की वास्तविक स्थिति के साथ माननीय न्यायालय में सरकार का सही पक्ष प्रस्तुत हो सकेगा।
श्री कुशवाहा ने बताया कि इसके पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के कार्यकाल में प्रदेश के अन्य वर्गों, समुदायों तथा विभिन्न तरह के पेशेवर समाजों की महापंचायत मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कर प्रदेश सरकार ने सराहनीय कार्य किया है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि “जातिगत जनगणना सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा आधार है”, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि ” जिसकी जितनी हिस्सेदारी- उसकी उतनी भागीदारी” श्री कुशवाहा ने कहा कि ओबीसी समाज का दुर्भाग्य है कि प्रदेश में सर्वाधिक मतदाता वाले अन्य पिछड़े वर्ग की समस्याओं पर धरातल मे किसी सरकार ने गंभीरता से चिंतन नहीं किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्गों की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, एवं शैक्षणिक स्तर अन्य प्रदेश की तुलना में नगण्य है। इसका समाधान खोजना सामाजिक संगठनों और सरकार की जिम्मेदारी बनती है। श्री कुशवाहा ने माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि ओबीसी समाज में आरक्षण को लेकर एक बार फिर “आश की नई किरण” का जन्म हुआ है।