भाईदूज/यम द्वितीया पूजन 3 नवंबर पर विशेष
-प्रलय श्रीवास्तव
भारत का ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश कौमी एकता, भाई-चारा और सामाजिक सदभाव के लिए जाना जाता है। यह वो प्रदेश है जहां विभिन्न राज्यों से आए भिन्न-भिन्न जाति व वर्ग के लोग शांतिपूर्वक रहते है। गंगा-जमुना संस्कृति यहां के प्रत्येक भाग में विद्यमान है। अनेक वर्ग ऐसे भी है जो केवल अपनी प्रतिभा और कर्मठता के लिए जाने जाते है। मध्यप्रदेश का कायस्थ समाज भी इनमें से एक है।
उत्तरप्रदेश के बाद मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है, जो कायस्थों का गढ़ है। एक अनुमान है कि मध्यप्रदेश में लगभग 75 लाख से अधिक कायस्थजन है। प्रदेश के प्रमुख शहर भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, रीवा तथा इनके आसपास के छोटे-छोटे शहरों में इनकी संख्या अधिक है। जनसंख्या के हिसाब से भोपाल के भोपाल दक्षिण- पश्चिम और भोपाल उत्तर व मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कायस्थों की संख्या अधिक है। इन क्षेत्रों में कायस्थ वोटर निर्णायक भूमिका निभाते आए है। यही कारण रहा कि भोपाल संसदीय क्षेत्र, भोपाल दक्षिण और नरेला को समय-समय पर कायस्थों का निर्वाचित प्रतिनिधित्व मिलता रहा। प्रदेश में ऐसे अनेक क्षेत्र है जहां कायस्थ का विभिन्न नामों से आज वर्चस्व है, जैसे मालवी कायस्थ, दूसरे कायस्थ, खरे कायस्थ, बुंदेलखण्डी कायस्थ, भोपाल के कायस्थ आदि। इन सभी क्षेत्रों में कायस्थों ने न सिर्फ पृथक विशिष्ट पहचान बनाई बल्कि अपनी प्रतिभा का लौहा भी मनवाया। क्षेत्र की भाषा, बोली और संस्कृति के हिसाब से वे उसमें रच-बस भी गए है। लेकिन कुल मिलाकर वे सब चित्रगुप्त वंशीय कायस्थ है। शादियों के लिए क्षेत्रीय बंधन पीछे छूट गये हैं। शादी-विवाह के मामले में ‘‘कायस्थ होना‘‘ ही प्रमुखता बन चुकी है। कायस्थों की प्रतिभा और महान विभूतियों को एक छोटे लेख में शामिल नहीं किया जा सकता।
भोपाल संभाग की
राजधानी भोपाल कायस्थों का वह क्षेत्र है, जहां आकर सभी क्षेत्र के कायस्थ एक हो जाते है या यह कहा जाए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की कायस्थ संस्कृति यहां देखने का मिलती है। सही मायने में कायस्थों की भूमिका यहां प्रारंभ से ही उल्लेखनीय रही है। भोपाल राज्य के दौर से ही प्रधान, बिसारिया, सक्सेना, श्रीवास्तव एवं राय के परिवार प्रमुख घर थे। इतिहास पुरूष दीवान दौलत राय और राजा अवधनारायण बिसारिया तो वास्तव में इन समाज के स्तंभ कहे जाते है। बाद के दौर में तत्कालीन सांसद सर्वश्री के.एन. प्रधान, कैलाश सारंग, सुशील चंद्र वर्मा, आलोक संजर, विधायक सर्वश्री मोहनलाल अष्ठाना, शैलेन्द्र प्रधान और विश्वास सारंग ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधि रहे, जिन्होंने संसद और विधानसभा के साथ-साथ कायस्थ समाज की गरिमा बढ़ाई है। श्री सुशील चंद्र वर्मा तो पूर्व मुख्य सचिव भी रहे। महिला राजनेताओं में मोहिनी देवी और जिला पंचायत अध्यक्ष रही विमला श्रीवास्तव का योगदान उल्लेखनीय रहा है ।
ऐतिहासिक दृष्टि से भोपाल में कायस्थों का इतिहास भी स्वर्णिम रहा। समाज के प्रतिष्ठित विभूतियों ने श्री चित्रगुप्त मंदिर, अनेक भवन, श्री धरनीधर मंदिर, घाटों का निर्माण करवाया। होशंगाबाद में नर्मदा नदी के किनारे कायस्थों के घाट की अपनी अलग महत्ता है। हाल के वर्षों में नेवरी मंदिर में बना विशाल भवन भी उल्लेखनीय है। जवाहर चौक, भेल और नेवरी मंदिर स्थित कायस्थ भवनों में गतिविधियां निरंतर रहती है। भोपाल शहर, टीटी नगर, कोटरा, भेल बरखेड़ी में कायस्थों की संस्थाएं सदैव सक्रिय रहती है। कायस्थों के कल्याण में भोपाल चित्रगुप्त समाज, टीटी नगर कायस्थ समाज के अलावा यूथ कायस्थ फोरम चित्रगुप्त महिला मण्डल, म.प्र. कायस्थ युवा मण्डल आदि की भागीदारी रही है। हाल ही में नवगठित कायस्थम, मध्य प्रदेश तेजी से उभर कर सामने आ रहा है। इस संगठन में बुद्धिजीवियों की भरमार है । यह संगठन कायस्थ समाज को वैचारिक गतिशीलता देने एवं रचनात्मक गतिविधियों का संचालन करने के उद्देश्य से गठित किया गया है। जो निश्चित रूप से भोपाल में अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा।
डा. विजय श्रीवास्तव चित्रगुप्त बंधु मासिक पत्रिका निकालते थे,विचित्र कुमार सिन्हा, राधामोहन श्रीवास्तव, एनडी निगम, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रेम श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, रीता दलेला, रघुवीर सहाय श्रीवास्तव, सतीश रायजादा, ब्रजमोहन श्रीवास्तव, अवध श्रीवास्तव, आनंद श्रीवास्तव, शालिग्राम श्रीवास्तव, ललित श्रीवास्तव, ब्रज किशोर श्रीवास्तव, जयप्रकाश सक्सेना मजलिस राय श्रीवास्तव, विदिशा के पूर्व सांसद निरंजन वर्मा, रामसहाय वर्मा, डा. सूर्य प्रकाश सक्सेना और अवध श्रीवास्तव भी प्रमुख हस्ती रहे। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. आर. के. बिसरिया, डॉ. निर्भय श्रीवास्तव, डॉ. स्वर्णा बिसरिया, डॉ. एस. के .सक्सेना, डॉ. विजया ब्यौहार, डॉ. ललित श्रीवास्तव, डॉ, एस. एस. श्रीवास्तव(होम्योपैथी) आदि को महारत के साथ प्रसिद्धि भी प्राप्त रही । प्रशासनिक क्षेत्र में भा.प्र. से. से मनोज श्रीवास्तव, मलय श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, अजातशत्रु, कल्पना श्रीवास्तव , प्रदीप खरे, रजनीश श्रीवास्तव,दीपक सक्सेना, भा.पु.से. के अधिकारी डीजीपी श्री विवेक जौहरी,सुधीर सक्सेना, शैलेन्द्र श्रीवास्तव आदि ने समाज को गौरान्वित किया है ।
सीहोर के पूर्व विधायक श्री रमेश सक्सेना, होशंगाबाद के आर. के .सक्सेना, राजगढ़ में चंदूलालजी आदि नाम भी प्रमुख है। भोपाल सहित अन्य शहरों में पत्रकारिता की अलख जगाने में भी कायस्थों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है,इनमें सत्यनारायण श्रीवास्तव, प्रेम श्रीवास्तव, महेश श्रीवास्तव, श्याम सुंदर ब्यौहार, राजेन्द्र नूतन,सुधीर सक्सेना ,देवेन्द्र खरे, कैलाश श्रीवास्तव, मलय श्रीवास्तव, सिद्धार्थ खरे, अनिल साधक, सतीश सक्सेना, भूपेन्द्र निगम, प्रशांत कुमार, राजेश चंचल, वीरेंद्र सिंहा , शिवकुमार विवेक, अनूप सक्सेना, दिनेश निगम त्यागी, देशदीप सक्सेना,मनीष श्रीवास्तव, ओपी श्रीवास्तव,संजीव श्रीवास्तव,गोपाल श्रीवास्तव संजय सक्सेना,अनुराग श्रीवास्तव, अजय भटनागर, रवि खरे, सुधीर निगम, केके सक्सेना राजेश सक्सेना, वत्सल श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव आदि शामिल है।
अ.भा. कायस्थ महासभा के अध्यक्ष रहे डा. आरसी वर्मा. इन्दौर से है। इन्दौर में ही सबसे पहले कायस्थ बैंक की शुरूआत हुई। यहां के प्रसिद्ध व्यक्तियों में आनंद मोहन माथुर, आरसी श्रीवास्तव, प्रो. रामस्वरूप श्रीवास्तव, प्रो.राम एस. श्रीवास्तव, नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव, राजेंद्र प्रसाद निगम आदि प्रमुख नाम हैं। जिन्होंने कायस्थ समाज की गरिमा बरकरार रखी। इंदौर में कलम दवात चौराहा भी अपनी विशिष्टता लिए हुए है।
उज्जैन संभाग के अंतर्गत महाकाल की नगरी उज्जैन में भगवान श्री चित्रगुप्त का पौराणिक मंदिर भी है। प्रमुख कायस्थ स्तंभों में महेंद्र भटनागर, चैतन्य स्वरूप भटनागर, कृष्ण मंगल सिंह, राजेंद्र श्रीवास्तव, जमुना प्रसाद श्रीवास्तव, पत्रकार संदीप कुलश्रेष्ठ आदि शामिल है।
ग्वालियर एवं चंबल संभाग कायस्थों की गतिविधियां का प्रमुख गढ़ है। कर्नल ब्रजराज नारायण एवं डॉ भगवत सहाय ग्वालियर राज्य के प्रमुख नाम थे। जस्टिस शिवदयाल जी भी ग्वालियर से थे। श्री राम श्रीवास्तव ग्वालियर कायस्थ समाज के प्रेरणा स्त्रोत थे। शीतला सहाय जनता शासन काल और पटवा सरकार में मंत्री रहे। श्रीमती चंद्रकला सहाय भी मंत्री रह चुकी हैं। इनके अलावा और भी गणमान्य चित्रांश बंधुओं के नाम है जो कालांतर में प्रसिद्ध रहे।
संस्कारधानी जबलपुर में गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी ब्यौहार राजेंद्र सिंह का नाम साहित्य, राजनीति, समाज सेवा के क्षेत्र में आज भी बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। झझरी (कटनी) के गुमाश्ता परिवार का संबंध बाबा थान सिंह के परिवार से है। जो यहां रायबरेली से 1700 के आसपास आए थे। प्रसिद्ध साहित्यकार डा. रामकुमार वर्मा कंदेली, नरसिंहपुर के थे। नरसिंहपुर की माटी के सुपुत्र पत्रकार सत्य नारायण श्रीवास्तव और उनके पिता रूपनारायण श्रीवास्तव की कर्मभूमि भी क्रमशः नरसिंहपुर, जबलपुर रही। कपिलकुमार श्रीवास्तव पत्रकारिता में, विनय सक्सेना विधायक तो ललित श्रीवास्तव राजनीति में सक्रिय रहे । अंटार्कटिका अभियान के समय वीरगति को प्राप्त बी.के .श्रीवास्तव भी बिलहरी नादिया, नरसिंहपुर के थे। सिवनी के दादू परिवार का इतिहास ब्यौहार फूलसिंह के रायबरेली से सन 1722 में आने पर शुरू हुआ था। स्व. दादू महेन्द्र नाथ सिंह पूर्व विधायक थे, बाद में इन्हीं के परिवार की श्रीमती नेहा सिंह विधायक बनी, जिन्होंने एक मुखर और सक्रिय विधायक की भूमिका निभाई। वैसे तो इसी संभाग की पूर्व मंत्री सुश्री विमला वर्मा, बैजनाथ सक्सेना, दीपक सक्सेना भी अपने राजनैतिक जीवन में बुलंदियों पर रहे। बालाघाट से पहली विधानसभा के सदस्य रहे कन्हैयालाल खरे प्रमुख थे। श्री सुरेन्द्र नाथ खरे भी यहां से विधायक रहे। विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं मंत्री रहे नर्मदाप्रसाद श्रीवास्तव लांजी से विधायक थे। वे 1972-73 में भोपाल में अ.भा. कायस्थ महासभा सम्मेलन में स्वागताध्यक्ष थे। महर्षि योगी भी जबलपुर के थे। गाडरवाड़ा के रविन्द्र वर्मा जीवन पर्यन्त पत्रकारिता की अलख जगाते रहे।
कवि, विधायक रहे शिवकुमार श्रीवास्तव गौर विवि सागर के उप कुलपति भी रहे है। इसके अलावा रामनारायण लाल श्रीवास्तव (खुरई), डा. प्रेम श्रीवास्तव (टीकमगढ़), दीपक वर्मा (बीना) आदि प्रमुख रहे है। औरछा, टीकमगढ़ का चित्रगुप्त मंदिर 19वीं सदी में प्रतीत राय ने बनवाया था। इस अंचल के कायस्थों ने भवनों, मंदिरों तथा तालाबों का निर्माण भी करवाया था। खजुराहों में चित्रगुप्त मंदिर भी है। मंदिरों का शहर पन्ना में खरे कायस्थों का प्रभुत्व बरकरार है। प्रसिद्ध साहित्यकार अंबिका प्रसाद दिव्य भी यही से थे। दमोह से आनंद श्रीवास्तव विधायक रहे। छतरपुर जिले के पूर्व विधायक जगदम्बा प्रसाद निगम तो टीकमगढ़ के पूर्व विधायक रहे केके श्रीवास्तव राजनीति में स्थापित राजनेता रहे हैं।
रीवा संभाग में भी कायस्थों का बाहुल्य है। कन्हैयालाल पंचोली, नवलकिशोर, जुगलकिशोर श्रीवास्तव, शिववदयाल सक्सेना, रोशनलाल निगम आदि प्रमुख नाम है। डा. लालताप्रसाद खरे मंत्री रहे चुके है। पूर्व मुख्य सचिव रहे एमपी श्रीवास्तव भी इसी संभाग से थे।