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महाकुंभ , प्रयाग में उमड़ रहा जन सैलाब

पूर्ण कुंभ प्रति 12 वर्ष बाद लगता है । वर्तमान प्रयाग महाकुंभ में यह अति शुभ योग 144 वर्ष बाद आया है। पुराणों के अनुसार अमृत कलश से चार स्थानों ( प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक , में अमृत छलका और यही स्थान कुंभ मेले के आयोजन के केंद्र बने ।‌ 144 वर्ष बाद आया यह महाकुंभ का महायोग मात्र प्रयागराज में आता है । गंगा , यमुना और सरस्वती (अदृश्य ) की त्रिवेणी में करोड़ों श्रद्धालुओं के द्वारा प्रतिदिन पवित्र स्नान किया जा रहा है।महाकुंभ , प्रयाग में जन सैलाब उमड़ रहा है , जिस गति से सैलाब उमड़ता है , सरकारी व्यवस्थाएं उसी गति से संगम स्नान कराकर श्रद्धालुओं को संगम घाटों से वापस करने में संलग्न हैं, ताकि अव्यवस्थाएं उत्पन्न ना हो सकें । इस तरह से श्रद्धालुओं का आने और जाने का क्रम बना हुआ है। सरकारी विभाग मुस्तैदी से कार्य करते दिखाई दिए ।
संपूर्ण मेला क्षेत्र को 25 सेक्टर में बांटा गया है। इन सेक्टरों में स्थाई और अस्थाई 41 पवित्र संगम घाट स्नान के लिए बनाए गए हैं । 15 कैप्सूल ब्रिज के साथ-साथ 24 घंटे साफ- सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए रात – दिन सफाई कर्मचारी व्यवस्था में संलग्न दिखाई दिए। गंदगी नाम की कोई चीज कहीं नहीं दिखाई दी। प्रत्येक सेक्टर मुझे व्यवस्थाओं से लैस एक जिले के समान दिखाई दिया। जिसमें स्वयं का एक सरकारी अस्पताल , अग्निशमन केंद्र और प्रत्येक सेक्टर में एक थाने की व्यवस्था की गई है। सक्रिय पुलिस की हर जगह उपस्थित दिखाई दी। यात्रियों को ले जाने , ले आने के लिए इलेक्ट्रिक बसें दौड़ रही हैं , ताकि शीघ्र से शीघ्र जनता को गंतव्य तक पहुंचाया जा सके। सुविधा की दृष्टि और जाम से बचने के लिए जगह-जगह पर ऑटो आदि वाहनों को प्रतिबंधित किया गया है । लेकिन फिर भी जाम लग जाते हैं । प्रयाग की ओर आने-जाने वाले रास्तों पर भी जाम को रोकने के लिए वाहनों को रोका जाता है अथवा अन्य सड़कों की ओर डायवर्ट किया जाता है, उसके बाद भी जाम लग जाते है ।‌ 144 वर्ष बाद यह विशेष योग पड़ने तथा आगे 144 वर्ष बाद तक ऐसा योग नाआने से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी । प्रतिदिन लगभग डेढ़ से दो करोड़ श्रद्धालुओं के द्वारा संगम में पवित्र डुबकियां लगाई जा रही हैं । माघ पूर्णिमा के दिन यह संख्या लगभग ढाई करोड़ तक पहुंची।कहते हैं कि महाकुंभ में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं, व्यक्ति मोक्ष का हकदार हो जाता है । दिव्य साधु/ महात्माओं के दर्शन प्राप्त होते हैं। अतः समस्त श्रद्धालु इस पुण्य लाभ को लेने में श्रद्धा के साथ संलग्न दिखे। बसंत पंचमी का अमृत स्नान करने के पश्चात अधिकांश साधु ,महात्माओं के शिविर मेला क्षेत्र से प्रस्थान कर चुके हैं। लेकिन फिर भी माघ पूर्णिमा के पवित्र स्नान योग तक कुछ-कुछ अखाड़े रमे हुए हैं। मैं पांच दिवस तक प्रयाग मेला क्षेत्र में महामंडलेश्वर के शिविर में रमा रहा और इसी कारण मुझे कुछ साधु ,महात्मा, नागा साधुओं के दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ । इस महाकुंभ मेले में कई महिलाओं और किन्ररों ने भी नागा साधु बनने की दीक्षा प्राप्त की तथा अपने-अपने अखाड़े के साथ पवित्र संगम स्नान किया ।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी इस संबंध में लिखा है –
“माघ मकरगत रवि जब होई , तीरथ पतिहिं आव सब कोई।”
देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकलत्रिवेनी।”
महाकुंभ- 25, प्रयाग मेल ने विश्व के सबसे बड़े मिले का तमगा प्राप्त किए जाने की पहल की है ।‌इस मेले ने इस बात की भी राह दिखाई है कि बड़े से बड़े मेले की व्यवस्थाओं को किस तरह पूर्ण किया जाना चाहिए ताकि सुगमता से और बगैर किसी हानि के कार्य संपन्न हो सके । आंशिक हानि की संभावना यद्यपि बनी रहती है , जिसको समझने और सुधारने की संभावना इसी तरह की पाठशाला से प्राप्त हो सकती है।

 

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