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MIT-WPU के शोधकर्ताओं ने EV की बैटरी को ज्यादा गर्म होने और आग लगने से बचाने के लिए हाइब्रिड नैनोफ्लूइड कूलिंग सिस्टम विकसित किया

पेटेंट प्राप्त हाइब्रिड कूलिंग सिस्टम नैनोफ्लूइड्स और हीट पाइप्स को संयोजित कर बैटरी के अधिक गर्म होने से रोकता है और भारतीय परिस्थितियों में EV में आग के जोखिम को कम करता है।
• इस छोटे और ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन से दो-पहिया EV के लिए मापनीय(स्केलेबल) समाधान मिलता है, जो रखरखाव की लागत कम करता है और लंबे समय तक बैटरी के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
पुणे, 27 सितंबर 2025: MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU), पुणे के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बैटरी के लिए एक नया पैसिव हाइब्रिड कूलिंग सिस्टम विकसित किया है- इसे भारत में “सिस्टम फॉर थर्मल मैनेजमेंट ऑफ बैटरी ऑफ व्हीकल” (पेटेंट नंबर 202121029238) के नाम से पेटेंट मिला है- जो इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों को ठंडा रखने की क्षमता को काफी बेहतर बनाता है। प्रदर्शन और सुरक्षा दोनों को बढ़ाने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया यह सिस्टम, भारत के उच्च तापमान वाली जलवायु परिस्थितियों तथा EV में आग लगने की बढ़ती घटनाओं जैसी चुनौतियों का प्रभावी समाधान प्रदान करता है।
रिसर्च टीम में डॉ. वैभव देशमुख, एसोसिएट प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट; डॉ. एस. राधाकृष्णन, प्रोफेसर एमेरिटस और डायरेक्टर रिसर्च, मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट; और डॉ. वैदेही देशमुख, असिस्टेंट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट शामिल हैं। उन्होंने एक ऐसा हाइब्रिड पैसिव कूलिंग सिस्टम (आर्किटेक्चर) तैयार किया है जिसमें उच्च क्षमता वाले हीट पाइप्स और विशेष रूप से बनाए गए नैनोफ्लूइड का उपयोग किया जाता है, यह सिस्टम बिना पंप के काम करता है और पारंपरिक EV बैटरी कूलिंग तरीकों की तुलना में कम ऊर्जा खर्च करते हुए एक बेहतर विकल्प प्रदान करता है।
इस पेटेंट किए गए नवाचार की सबसे खास बात यह है कि इसमें पूरी तरह पैसिव (बिना किसी बाहरी ऊर्जा के) हाइब्रिड कूलिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो बिना पंप, पंखे या किसी अतिरिक्त बिजली के केवल प्राकृतिक संवहन (नेचरल कन्वेक्शन) और फेज़-चेंज प्रक्रिया से काम करती है। इसमें विशेष रूप से तैयार किए गए नैनोफ्लूइड में थर्मली कंडक्टिव (ऊष्मा संचालक) नैनोपार्टिकल्स और कम तापमान पर उबलने वाले तरल मिलाए गए हैं, इससे बैटरी के ज्यादा गर्म हिस्सों से गर्मी बहुत तेजी से बाहर निकलती है। जब इस सिस्टम को उच्च क्षमता वाले हीट पाइप्स के साथ उपयोग किया जाता है, तो यह बहुत गर्म मौसम में भी बैटरी का तापमान स्थिर रखता है। यह हवा के प्रवाह या तरल से ठंडा करने वाली EV तकनीकों की तुलना में अधिक भरोसेमंद, बिजली पर निर्भर न रहने वाला और स्वाभाविक रूप से ज्यादा सुरक्षित विकल्प है, जिससे यह भारत के मौसम के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
पारंपरिक कूलिंग सिस्टम के विपरीत, इस पेटेंट तकनीक में गर्मी को तेजी से बाहर निकालने के लिए बलपूर्वक प्रवाह (फोर्स्ड सर्क्युलेशन) की बजाय प्राकृतिक हवा के प्रवाह (नेचरल कन्वेक्शन) और फेज़-चेंज प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। बैटरी का तापमान स्थिर रखने के कारण यह सिस्टम बैटरी की उम्र बढ़ाने, चार्जिंग की दक्षता सुधारने और उपयोगकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस महत्वपूर्ण खोज की अहमियत बताते हुए डॉ. वैभव देशमुख ने कहा, “भारत जैसे वातावरण में—जहाँ तापमान अधिक है और EV का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है—चुनौती सिर्फ प्रदर्शन की नहीं है, बल्कि सबसे पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने की है। हमारा पैसिव हाइब्रिड कूलिंग सिस्टम बैटरी को सुरक्षित तापमान के भीतर रखता है, और इसके लिए वाहन की पॉवर का उपयोग नहीं करता, जिससे बैटरी की विश्वसनीयता और काम करने की क्षमता दोनों बढ़ती हैं।”
डॉ. एस. राधाकृष्णन ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य मौजूदा तकनीकों से आगे बढ़ना था:”हमारा लक्ष्य था कि सक्रिय यांत्रिक घटकों, जो विफल हो सकते हैं या अतिरिक्त ऊर्जा ले सकते हैं, उन्हें हटाकर सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ाया जाए, और एक मजबूत समाधान प्रदान किया जाए जो उच्च तापमान वाले बाज़ारों और बढ़ती आग के जोखिम वाली परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हो।”
डॉ. वैदेही देशमुख ने कहा, “हमने हीट-पाइप संरचना के साथ उच्च तापीय क्षमता वाला नैनोफ्लूइड जोड़कर और पंप या पंखे हटा कर, OEMs के सामने आने वाली दो बड़ी समस्याओं—ऊर्जा की अतिरिक्त खपत और थर्मल हॉटस्पॉट का समाधान किया है। इससे भारत जैसे बाजारों में EV की सुरक्षा काफी मजबूत हो जाती है।”
इस नवाचार की अहमियत इस बात से स्पष्ट होती है कि EV का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और भरोसे को लेकर उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। उद्योग के अनुमान के अनुसार, वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम (BTMS) का बाजार जो 2024 में लगभग USD 5.41 बिलियन था, 2030 तक लगभग USD 29.09 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। यह मजबूत वृद्धि इस मांग से प्रेरित है कि बैटरियाँ लंबी दूरी तय करें, जल्दी चार्ज हों और सुरक्षा मानक बेहतर हों। भारत में, EV बैटरी कूलिंग सिस्टम का बाजार 2025 में लगभग USD 138 मिलियन से बढ़कर 2034 तक लगभग USD 470 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। वहीं, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) का व्यापक बाजार 2024 में लगभग USD 199 मिलियन से बढ़कर 2035 तक USD 8.39 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
साथ ही, EV सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं ने गर्मी संबंधी घटनाओं (थर्मल घटनाओं) को प्रमुख मुद्दा बना दिया है। भारत में वित्त वर्ष 2024-25 में EV का हिस्सा लगभग 7.8% पहुँच गया है। मीडिया और उद्योग के आकलन अक्सर बैटरी का अत्यधिक गर्म होना और कूलिंग की कमी को मुख्य समस्याओं के रूप में बताते हैं, जो आग लगने के जोखिम में योगदान देती हैं—विशेषकर दो-पहिया और तीन-पहिया वाहनों में, जिन्हें अपनाने की दर सबसे ज़्यादा है। हालांकि EV में आग लगने की घटनाओं पर देश भर में मिले आंकड़े अभी भी सीमित हैं, विशेषज्ञों का कहना है कि ओवरहीटिंग से बचने और उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ाने के लिए, विश्वसनीय थर्मल प्रबंधन प्रणालियों की तुरंत आवश्यकता है।

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