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भारत में 1000 से ज्यादा कोविड के ऐक्टिव केस

नई दिल्ली: देश में तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। अभी 1009 एक्टिव केस हैं, लेकिन हालात अभी नियंत्रण में है। सरकार ने जीनोम जांच बढ़ा दी है ताकि नए वेरिएंट का पता लगाया जा सके। अभी तक जो जीनोम जांच हुई है, उसमें जिन वेरिएंट का पता चला है, उनकी गंभीरता ओमीक्रोन से कम ही है। यानी अभी गंभीर मामले सामने नहीं आ रहे हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डीजी डॉ. राजीव बहल ने कहा कि लोगों को कोविड-19 के इस नए वेरिएंट के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमें बस सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार और सभी एजेंसियां इस बात पर नजर रख रही हैं कि क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि बुनियादी सावधानियां बरती जानी चाहिए। लेकिन अगर कोई कैंसर या गंभीर बीमारी का मरीज है या उसकी इम्यूनिटी कमजोर है तो उन लोगों को किसी भी संक्रमण से बचने की सलाह दी जाती है।

डॉ. बहल ने कहा कि पहले दक्षिणी भारत में, फिर पश्चिमी भारत में और अब उत्तर भारत में मामले बढ़ रहे हैं। सरकार एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के माध्यम से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, जो देश भर में मामलों को ट्रैक करता है। किसी भी बीमारी की गंभीरता को लेकर दो फैक्टर अहम होते हैं।

घबराने की कोई बात नहीं, लेकिन सतर्क रहें

पहला वायरस कितना संक्रामक है और मामले कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं। दूसरा क्या यह मौजूदा इम्यूनिटी को चकमा दे रहा है, चाहे वह प्राकृतिक हो या वैक्सीन से बनी हो। यदि कोई नया वेरिएंट उभरता है, तो यह पिछली इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है? लेकिन फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। सरकार गंभीर मामलों के प्रतिशत की जांच करती है, यह देखा जाता है कि जो लोग बीमारी से पीड़ित नहीं है तो क्या उन लोगों में भी संक्रमण बढ़ रहा है। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले यह देखा जाता है। अब तक मामलों की गंभीरता कम बनी हुई है। घबराने की कोई बात नहीं है। हमें सतर्क रहना चाहिए और हमेशा तैयार रहना चाहिए।

‘नई वैक्सीन जल्द तैयार करने की भी क्षमता है’

आईसीएमआर डीजी ने कहा कि अगर केसों की गंभीरता बढ़ती है तो उसको देखते हुए सभी तैयारियां की जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भी बैठक की है और सारी स्थिति का जायजा लिया है। उनसे पूछा गया कि अगर नए वेरिएंट के हिसाब से नई वैक्सीन बनाने की जरूरत पड़ती है तो उस स्थिति में क्या होगा, इसके जवाब में डॉ. बहल ने कहा कि अगर कोई नया वेरिएंट आया तो हमारे पास नई वैक्सीन बहुत जल्द तैयार करने की भी क्षमता है। हमारे पास कुछ ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जरूरत पड़ने पर नई वैक्सीन तैयार कर सकते है। लेकिन मौजूदा स्थिति में मुझे नहीं लग रहा है कि इस वक्त ऐसी कोई जरूरत है।

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