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NLC भारत 2025 के तहत बोस्टन में होने वाले ग्लोबल लेजिस्लेटिव समिट में भारत के 24 राज्यों और 21 राजनीतिक दलों के 130 से ज़्यादा निर्वाचित प्रतिनिधि (MLAs एवं MLCs) भाग लेंगे

मुंबई, 4 अगस्त, 2025: अमेरिका के बोस्टन में 4 से 6 अगस्त, 2025 के दौरान आयोजित होने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेटर्स (NCSL) सम्मेलन में 130 से ज़्यादा भारतीय निर्वाचित प्रतिनिधियों का एक खास प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा, जो पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल है। नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस भारत (NLC भारत) की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जो भारतीय निर्वाचित प्रतिनिधियों को सक्षम बनाने के साथ-साथ जानकारी और बेहतरीन तौर-तरीकों के आदान-प्रदान हेतु राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विधायी सहयोग, बेहतर तालमेल एवं संवाद को बढ़ावा देने वाला एक अग्रणी मंच है।
24 से ज़्यादा भारतीय राज्यों के विधान सभा सदस्यों (MLAs) और विधान परिषद सदस्यों (MLCs) वाले इस प्रतिनिधिमंडल में 21 अलग-अलग राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं— जो दर्शाता है कि भारत का लोकतंत्र काफी समृद्ध और सब को साथ लेकर चलने वाला है। इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत 2024 में हुई, जब 50 निर्वाचित प्रतिनिधियों के एक पहले समूह ने अमेरिका के लुईसविले में आयोजित लेजिस्लेटिव समिट में भाग लिया था — यह आज़ाद भारत में शुरू की गई बिल्कुल अनोखी पहल है, जिसकी कमान न तो सरकार और न ही किसी अन्य संस्था के हाथों में है।
ये लम्हा सच में बेहद अहम है क्योंकि अब इस प्रतिनिधिमंडल में 130 निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हो गए हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ — जो दुनिया के किसी भी सम्मेलन में भारतीय निर्वाचित प्रतिनिधियों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी है। ये पहल अपने आप में अनोखी है, जिसका मकसद देशों के बीच जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, कानून बनाने की क्षमता को बेहतर करना और उन्हें शासन-व्यवस्था एवं कानून निर्माण में दुनिया के सबसे अच्छे तरीकों से परिचित कराना है।
मुंबई में आयोजित पहला NLC भारत 2023 बेहद सफल रहा और उसी से प्रेरित होकर इस अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को बढ़ावा दिया गया है। यह लंबे समय में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक ऐसा मंच तैयार करने की योजना का हिस्सा है, जो पूरी तरह से निष्पक्ष और ज्ञान पर आधारित हो। NCSL समिट में, 2,000 से अधिक अमेरिकी निर्वाचित प्रतिनिधियों और दुनिया के अन्य हिस्सों से आए 7,000 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ भारत के निर्वाचित प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। वे सत्रों में भाग लेंगे, जिनमें गवर्नेंस में एआई की भूमिका, डिजिटल डेमोक्रेसी, साइबर सुरक्षा, मतदाताओं के विश्वास और पॉलिसी में इनोवेशन जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

इस मौके पर NLC भारत के संस्थापक, डॉ. राहुल कराड ने कहा, “ये एक प्रतिनिधिमंडल से कहीं बढ़कर है। ये भारत की लोकतांत्रिक ताकत और विविधता में एकता का एक जीता-जागता उदाहरण है — ऐसा पहली बार हुआ है कि माननीय MLAs और MLCs का इतना बड़ा और विविधतापूर्ण समूह इतने बड़े पैमाने पर दुनिया के साथ जुड़ने के लिए एक साथ आया हो। दरअसल इस आयोजन के पीछे की भावना — यानी कुछ नया सीखने, आगे बढ़ने और ज्ञान व दूर की सोच के साथ अगुवाई करने की चाहत ही लम्हे को और भी खास बना देती है। जब हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कदम रखते हैं, तो वे अपने निजी अरमानों के साथ-साथ देश के करोड़ों नागरिकों की उम्मीदों और सदियों पुरानी हमारी सभ्यता के मूल भाव को भी अपने साथ लाते हैं। हमारा लक्ष्य सरल होने के बावजूद काफी मायने रखता है — हम दुनिया के अलग-अलग लोकतंत्रों के बीच मज़बूत संबंध स्थापित करना, एक-दूसरे से सीखना, और ऐसी चर्चाएँ शुरू करना चाहते हैं, जो सीमाओं से परे हों और शासन-व्यवस्था को मजबूत करें।
इस यात्रा-कार्यक्रम में अमेरिका में कानून बनाने वाली व्यवस्था के बारे में अकादमिक जानकारी देने वाला कार्यक्रम, स्थानीय संस्थानों और राज्य विधानसभाओं का दौरा, तथा राजनीति, शिक्षा और उद्योग जगत के भारतीय मूल के लीडर्स के साथ बैठकें शामिल हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच सार्थक संवाद को बढ़ावा देना और प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को गहरा करना है। इन मुलाकातों का उद्देश्य दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच उपयोगी बातचीत को बढ़ावा देना और भारतीय प्रवासियों के साथ रिश्तों को मज़बूत करना है।
बोस्टन का यह प्रतिनिधिमंडल भारतीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्रदान करने वाले कार्यक्रमों की एक बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसके तहत आने वाले समय में एशिया, यूरोप और अमेरिका के देशों के दौरे की भी योजना बनाई जा रही है। एक दूसरे के साथ जुड़ाव के इस शानदार मॉडल के ज़रिये, NLC भारत का लक्ष्य ज़्यादा मज़बूत, अधिक समझदार और विश्व स्तर पर जुड़ा हुआ लेजिस्लेटिव इकोसिस्टम बनाना है— यानी एक ऐसा इकोसिस्टम, जो भारत की लोकतांत्रिक विश्वसनीयता को बढ़ाने के साथ-साथ भारत को डेमोक्रेटिक इनोवेशन के क्षेत्र में विश्व-गुरु का दर्जा दिलाए।

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