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9800 से अधिक बिजली कर्मियों के तबादले किए गए 

एक ही नगर में 30 वर्ष बिताने वाले बिजली अफसरों से इतना याराना तो चंद वर्षों से कार्यरत बिजली आउटसोर्स क्यों हैं बेगाना : पुरोहित

भोपाल। बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के सहसंयोजक कृष्ण गोपाल पुरोहित का कहना है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कं. में चंद वर्ष एक ही स्थान पर कार्यरत 9800 से अधिक बिजली आउटसोर्स कर्मियों के तबादले एक ही झटके में कर उन्हें 10 से 70 कि.मी. दूर री-एलोकेशन की आड़ में खदेड़ दिया गया पर एक सौ से अधिक आला अफसर कई वर्षों से एक ही नगर में तैनात हैं। इस तरह आउटसोर्स कर्मियों को ट्रांसफर में धोया गया, पर अफसरों को सुदूर तबादलों से बचाया जा रहा है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कं. मुख्यालय के आला अफसर चीफ जनरल मैनेजर मनीषा मेश्राम, स्वाति सिंह, महाप्रबंधक आशीष भटनागर, जाहिद खान, शिशिर गुप्ता व जी.पी. सक्सेना एवं प्रकाशन अधिकारी मनोज द्विवेदी अपने कुल सेवाकाल की 95 प्रतिशत अवधि करीब 30 वर्षों से जबकि महाप्रबंधक (आईटी) अभिषेक मारतंड अपनी प्रथम ज्वाईनिंग से ही भोपाल नगर में पदस्थ हैं। यह अधिकारी भोपाल में रहकर ए.ई. से डी.ई. फिर डी.ई. से एस.ई. बन गये व कुछ एस.ई. से सी.ई. का हायर पे-स्केल लेकर या प्रमोशन पाकर भोपाल में ही लंबे समय से जमे हुये हैं। स्वाति सिंह सी.ई. बनने के बाद ही कुछ माह भोपाल से ग्वालियर रीजन में रहीं। इसी तरह महाप्रबंधक विनोद कटारे व नितिन मांगलिक अपने कुल सेवाकाल के 90 प्रतिशत समय ग्वालियर नगर में पदस्थ रहे और अभी भी यह ग्वालियर नगर में तैनात हैं। चंद माह ही यह अधिकारी आस-पास के क्षेत्र में तबादले पर जाकर वापस पाला छूकर अपने गृह नगर वापस आ जाते हैं।

बिजली कंपनी में तबादले का कोई ठोस मापदंड नहीं –

पुरोहित के मुताबिक मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी में तबादले का कोई ठोस मापदंड व पैमाना ही नहीं है। यहां ट्रांसफर की विचित्र लीला यह है कि कर्मचारी हितों के लिए संघर्ष करने वाले कर्मचारी नेता मनोज भार्गव का ट्रांसफर 2 किश्तों में पहले भोपाल से ग्वालियर और बाद में ग्वालियर से श्योपुर के इंटीरियल क्षेत्र में उनके गृह स्थान भोपाल से 500 कि.मी. दूर कर दिया गया, जबकि वह बिजली कंपनी के उत्कृष्ट अवार्ड प्राप्त कर्मचारी हैं।

भोपाल-ग्वालियर में जमें अधिकारियों की लम्बी फेहरिस्त

जबकि दूसरी ओर आला अफसरों की लम्बी फेहरिस्त है, जो भोपाल नगर में ही लम्बे समय से जमें हैं, उनमें प्रमुख हैं महाप्रबंधक रविप्रकाश चौबे, कृष्णचन्द्र मिश्रा, उप महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत पंकज यादव, नवनीत गुप्ता, नरेन्द्र चौहान, अंकुर कांस्कर, संकल्प दिवाकर, राम कुमार मालवीय, कोटिल्या बजाज, विजेता ठाकुर, हेमलता गुप्ता, अमित आनंद, चक्रपाणी चतुर्वेदी, जे.एल. तेजराज, घनश्याम बोहट, निशा गुप्ता व सचिन जैन कई वर्षों से भोपाल में ही पदस्थ रहे हैं। एडीशनल सी.जी.एम. के रूप में अशोक कुमार सक्सेना, एडीशनल डायरेक्टर फायनेंस दीपक सूद, मनोज मुकुंद भावे, उत्कर्ष गौर, ज्वाइंर्ट डायरेक्टर फायनेंस राजीव अग्रवाल भी कई वर्षों से एम.डी. आफिस व भोपाल में कई वर्षों से पदस्थ हैं। इसी तरह उप महाप्रबंधक के रूप में उमेश शर्मा, श्रीनिवास यादव, राजकुमार मालवीय, अजीत राजपूत, चंद्रशेखर गौर, राजेश द्विवेदी, मनोज तिवारी ग्वालियर नगर में ही लगातार पोस्टेड रहे, केवल इनके सर्किल या डिवीजन ऑफिस बदलते रहे, जबकि इनकी 90 प्रतिशत सर्विस लाईफ ग्वालियर नगर में बीती और यह अब भी वहीं तैनात हैं।

मैनेजर (आई.टी.) भी लंबे समय से एक ही नगर में

इसी प्रकार उप महाप्रबंधक (आई.टी.) के रूप में श्याम कुमार राउते, समीर अहमद सिद्दीकी, अंकित सिंह, प्रबंधक (आई.टी.) सुप्रीत सलूजा, यशवंत सिंह, नन्दनी पटेल, राहुल मरावी, इंजी. मनीष श्रीवास्तव, अंजना गोयल, सतेन्द्र सिंह मलिक, इन्दू दुबे, साक्षी ठाकुर एवं सहायक प्रबंधक पद पर सोनम पवार व सपना जैन लगातार कई वर्षों से भोपाल में पदस्थ हैं। इसी तरह प्रबंधक के रूप में अनिल कुमार गुप्ता, सुनील मिश्रा, महेन्द्र कौशल कई वर्षों से ग्वालियर नगर में अपना अधिकांश सेवाकाल बिताते हुये अब भी वहीं पदस्थ हैं। सेक्शन आफिसर प्रेमलता चंदेलकर पिछले 30 सालों से भोपाल में लगातार पदस्थ हैं।

प्रतिनियुक्ति से आये अधिकारी भी भोपाल में डटे

पश्चिम क्षेत्र बिजली कं. इंदौर से प्रतिनियुक्ति पर आये उप महाप्रबंधक रवि चांदवानी व लेखाधिकारी अलका गौड, सहायक प्रबंधक विनय सिंह राजपूत, प्रिया पटेल शुक्ला एवं पूर्व क्षेत्र बिजली कं. से प्रतिनियुक्ति पर आये हेमंत कुमार चौधरी बार-बार अपनी प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़वाकर भोपाल में ही लंबे समय से जमे हुये हैं।

मैनेजर (एचआर) तो नियुक्ति समय से ही एक ही नगर में

इसी प्रकार सबसे ज्यादा दबदबा उप महाप्रबंधक (एचआर) व प्रबंधक (एचआर) का है। उनमें से अधिकांश अपनी प्रथम नियुक्ति से लेकर करीब 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से भोपाल में डटी हुईं हैं। इनमें प्रमुख है उप महाप्रबंधक (एचआर) नीतू सिंह, सुपर्णा सिंह, रूपाली बैरागी, हनी शर्मा, प्रीति सोनी व अंजू वाधवानी। इसी तरह उप महाप्रबंधक (एचआर) हिमांशु वासुदेव व प्रबंधक (एचआर) प्रियंका अटारिया ग्वालियर नगर में कई वर्षों से पदस्थ हैं। प्रबंधक (एचआर) के रूप में रमिता जॉब व रवि शर्मा सहित कई प्रबंधक भोपाल नगर में ही कई वर्षों से जमे हुये हैं।

जो फार्मूला आउटसोर्स पर लागू वही फार्मूला पावरफुल अफसरों पर लागू क्यों नहीं?

मध्य क्षेत्र बिजली कं. की हायर अथारिटी द्वारा आउटसोर्स कर्मियों को थोकबंद सामूहिक तबादलों पर यह तर्क दिये गये कि यह कर्मचारी वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ थे, जिससे कार्य संस्कृति में निष्क्रयता थी, कार्य में गति लाने हेतु यह किया गया है, पर अब सवाल यह है कि यही फार्मूला मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के बड़े पावरफुल अधिकारियों व इंजीनियरों के मामले में लागू क्यों नहीं किया जा रहा है।

9800 आउटसोर्स तबादलों की सीबीआई जांच हो

इस मामले में बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के सह संयोजक के.जी. पुरोहित कहते हैं कि पत्ते छांटे जा रहे हैं, पर बड़े पेड़ों को पाल रखा है। इसलिये रहस्यमय ढंग से किये गये इन 9800 से अधिक बिजली आउटसोर्स तबादलों के मामले में ठेकेदारों ने पर्दे के पीछे जो खेल किया है उसकी सीबीआई जांच होना चाहिये। उन्होंने मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर आउटसोर्स कर्मियों के तबादले निरस्त कर उन्हें वापिस पुरानी जगह पदस्थ करने की अपील की है क्योंकि अल्प वेतन पाने वाले ठेका श्रमिकों के यह तबादले उन पर आर्थिक कुठाराघात है, यह उन्हें नौकरी से हटाने का हथकंडा है।

आउटसोर्स को नहीं है रत्तीभर पॉवर तो वे दोषी कैसे? –

यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि बिजली आउटसोर्स कर्मी गलत काम करते हैं, जबकि हकीकत यह है कि कोई भी बिजली आउटसोर्स कर्मी बिजली अधिकारी की संलिप्तता के बगैर कोई भी सही या गलत काम नहीं कर सकता। बिजली कंपनी में आउटसोर्स कर्मियों को रत्तीभर भी कोई पावर व अधिकार नहीं है। इसलिये श्री पुरोहित का मत है कि गलत कार्यों के लिए आउटसोर्स कर्मियों को पूरी तरह उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिये।

 

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